हरियाणा के राजकीय स्कूलों में बेहतर इन्फ्रास्टक्चर विकसित करने और व्यवस्था सुधारने के लिए विभिन्न पहलों की शुरूआत करने की सीएम ने की घोषणा
Haryana Government Schools
राज्य में लगभग 14,000 विद्यालयों में सिविल कार्यों व बच्चों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाने पर लगभग 3500 करोड़ रुपये किए जा रहे खर्च
बहुत जरूरी विषयों के अध्यापक अस्थाई तौर पर रखने के लिए बनाई जाएगी योजना-सीएम
सरकारी स्कूलों में शौचालय, पेयजल, चारदिवारी, ग्रीनरी आदि की व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए किया जाएगा सर्वे
हर वर्ष 31 जुलाई से पहले सभी पात्र विद्यार्थियों का वर्दी भत्ता उनके खाते में भिजवाना सुनिश्चित किया जाएगा
छात्र-अध्यापक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए सरकार जल्द लेकर आ रही एमआईएस प्रणाली- मनोहर लाल
मुख्यमंत्री ने स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों से किया संवाद
नई दिल्ली। Haryana Government Schools: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज राज्य के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी राजकीय स्कूलों में बेहतर इन्फ्रास्टक्चर विकसित करने और व्यवस्था सुधारने के लिए विभिन्न पहलों की शुरूआत करने की घोषणा की। इसके तहत जिन स्कूलों में अध्यापकों की कमी है, वहां पर स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के माध्यम से बहुत जरूरी विषयों के अध्यापक अस्थाई तौर पर रखने की एक योजना बनाई जाएगी। सरकारी स्कूलों में शौचालय, पेयजल, चारदिवारी, ग्रीनरी आदि की व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए सर्वे किया जाएगा। प्रत्येक स्कूल की एसएमसी इन विषयों पर चर्चा करके अपने प्रस्ताव शिक्षा विभाग को सौपेंगी। यहीं नहीं एक एसएमसी सदस्य द्वारा विद्यार्थियों को मिलने वाला वर्दी भत्ता देरी से मिलने की बात रखी तो मुख्यमंत्री ने तत्काल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे भविष्य में हर वर्ष 31 जुलाई से पहले सभी पात्र विद्यार्थियों का वर्दी भत्ता उनके खाते में भिजवाना सुनिश्चित करें और यदि इस कार्य में देरी होती है तो संबंधित अधिकारी अथवा कर्मचारी की जिम्मेदारी तय कर उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज नई दिल्ली में ‘मुख्यमंत्री की विशेष चर्चा’ कार्यक्रम के तहत ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों से संवाद कर रहे थे। इस संवाद में आज 16 हजार 200 से ज्यादा एसएमसी सदस्य आॅनलाइन जुडे़ जो अब तक के संवाद कार्यक्रमों में सबसे अधिक संख्या रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के साथ उनके अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डाॅ अमित अग्रवाल, विद्यालय शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने एसएमसी सदस्यों से बातचीत की और उनके सुझाव भी लिए।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य में लगभग 14,000 विद्यालयों में सिविल कार्यों के साथ-साथ बच्चों के लिए डयूल डेस्क जैसी कई सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सरकार लगभग 3500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इसके तहत प्रत्येक स्कूल के लिए 25 लाख रूपये तक का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में स्कूलों के लिए ज्यादा से ज्यादा धनराशि उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया जाएगा। स्कूलों में व्यवस्था और प्रबंधन अच्छा होगा तो परिणाम भी अच्छे निकलेंगें। श्री मनोहर लाल ने कहा कि हमने स्कूल संचालन समितियों को सशक्त किया है और खरीद, निर्माण व संचालन के अधिकार दिए हैं। इन समितियों ने इतनी कुशलता से स्कूलों में कार्य सम्पन्न करवाएं है जिससे 15 से 20 प्रतिशत की बचत हुई है।
छात्र-अध्यापक अनुपात सुनिश्चित करने के लिए सरकार जल्द लेकर आ रही एमआईएस प्रणाली
श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में छात्र-अध्यापक अनुपात को सुनिश्चित करने के लिए सरकार जल्द ही एमआईएस प्रणाली लेकर आ रही है । इसके तहत प्रत्येक विद्यालय में कितने बच्चे हैं, कितने अध्यापकों की आवश्यकता है, उसके अनुसार अध्यापक की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। अगर स्थायी नियुक्ति नहीं हो पाती तो अस्थायी तौर पर अध्यापकों की भर्ती कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
हर बच्चे को शिक्षा मिले, इसके लिए ड्रॉप आउट कम करने के लिए सरकार कर रही हर संभव प्रयास
श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में 6 वर्ष से 18 वर्ष तक के लगभग 47 से 48 लाख बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं। इनमें से 20-22 लाख सरकारी व इतने ही निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनके अलावा 3 से 5 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो शायद अनरिकॉग्नाइज्ड स्कूल, गुरुकुल या मदरसों में पढ़ रहे हैं। कुछ बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं, इसलिए ड्रॉप आउट को कम करने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग को जिम्मेवारी सौंपी गई है कि हर बच्चे की ट्रैकिंग करें और हर बच्चे की पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की नई उम्मीदों, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम
श्री मनोहर लाल ने कहा कि 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार मानव संसाधन बनाना शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती है। आज का युग रिफोर्म, प्रफोर्म और ट्रांसफोर्म का युग है। शिक्षा के क्षेत्र में यह बात अधिक लागू होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी बात को ध्यान में रखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। उन्होंने कहा था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत की नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है। हमें ऐसे स्कूलों, ऐसे शिक्षकों की जरूरत है जो फन लर्निंग, प्लेफुल लर्निंग का वातावरण दें। सभी स्कूल संचालकों को स्कूलों में ऐसा ही वातावरण बनाने का काम करना है।
हरियाणा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्ष 2025 तक होगी लागू
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्ष 2025 तक पूरी तरह लागू करने के लिए संकल्पबद्ध है। हालांकि इसको लागू करने की समयावधि 2030 तक है। लेकिन हमें इस लक्ष्य को पांच वर्ष पहले ही हासिल करना है और इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है। इसमें शिक्षकों के अलावा माता-पिता व अभिभावकों के सहयोग की भी जरूरत है।
ई-अधिगम कार्यक्रम के तहत स्कूलों में बच्चों को वितरित किए 5.50 लाख टैबलेट
श्री मनोहर लाल ने कहा कि 12वीं तक के सभी सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें देने का प्रावधान किया है। समितियां पाठ्य-पुस्तकों, शिक्षण सामग्री, वर्दी एवं विभिन्न प्रोत्साहन राशियों का समय पर वितरण करवाएं। इसके अलावा, राज्य सरकार ने ई-अधिगम कार्यक्रम के तहत प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को 5.50 लाख टैबलेट निःशुल्क दिए हैं।
स्कूल प्रबंधन समितियां स्कूलों में सिविल कार्यों व अन्य सुविधाएं पर रखें निगरानी
मुख्यमंत्री ने कहा कि समितियां अध्यापकों की उपस्थिति एवं समय पालन के सम्बन्ध में अध्यापकों, माता-पिता और संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करते रहें। इसी प्रकार स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की उपस्थिति, शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य, पढाई की प्रगति की जानकारी लेते रहें। इसके लिए शिक्षकों व अभिभावकों की संयुक्त बैठक कर सकते हैं। स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों की नियमित समीक्षा करें ताकि शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाया जा सके और यह भी सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्र के हर बच्चे का स्कूल में दाखिला हो और हर बच्चा स्कूल जाए। उन्होंने कहा कि पढाई बीच में छोड़ने वाले बच्चे को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उसकी अथवा उसके माता-पिता की कोई समस्या है तो सामुदायिक आधार पर उसका निराकरण करें। उन्होंने कहा कि स्कूल में दोपहर के भोजन की गुणवत्ता से बच्चों का स्वास्थ्य जुड़ा है, इसलिए दोपहर के भोजन पर निगरानी रखें। समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की जांच भी करवाएं। स्कूल में खेल के मैदान, चारदीवारी, कमरों, फर्नीचर, पेयजल, शौचालय आदि के रख-रखाव पर ध्यान दें
यह पढ़ें: