मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना से स्वस्थ होगा बचपन, प्रदेश बनेगा कुपोषण मुक्त
मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना से स्वस्थ होगा बचपन, प्रदेश बनेगा कुपोषण मुक्त
6 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल और पौष्टिक आहार प्रदान करने में सहायक होगी एमएमबीएसवाई
शिमला।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश ने चहुंमुखी विकास की दिशा में कदम आगे बढ़ाए है। राज्य सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाएं आरम्भ कर समाज के हर वर्ग को लाभान्वित किया है। नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्गों के प्रति सेवाभाव रखते हुए राज्य सरकार ने उनके हितार्थ में विशेष योजनाएं चलाकर उन्हेें लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है। इनमें मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना (एमएमबीएसवाई) एक है, जो बच्चों को गुणवत्तायुक्त पोषण उपलब्ध करवा कर प्रदेश को कुपोषण से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
एमएमबीएसवाई योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं में कुपोषण को दूर करने के लिए बच्चे के जन्म, प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद लगभग तीन वर्ष तक बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल और पौष्टिक आहार प्रदान करने में सहायता उपलब्ध करवाना है। इससे बच्चों की उचित स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होगी और कुपोषण की समस्या से बचा जा सकेगा।
इस योजना को वर्ष 2021-22 के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में बच्चे और मां के पोषण स्तर के दृष्टिगत कार्य योजना तैयार करने की घोषणा की थी जिसे नीति आयोग के सहयोग से राज्य सरकार ने तैयार किया है।
राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए लगभग 65 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। 6 माह से लेकर 6 वर्ष तक के चार लाख से अधिक बच्चों, 6 वर्ष से 10 वर्ष तक के पांच लाख से अधिक बच्चों, तीन लाख से अधिक किशोरियों और 94000 धात्री माताओं को लाभान्वित करेगी। योजना के अन्तर्गत 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को अतिरिक्त प्रोटीन युक्त भोजन उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त कुपोषित बच्चों, धात्री माताओं और गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
योजना के अन्तर्गत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से खाद्य वस्तुओं की खरीद के विकल्प प्रदान किए गए हैं। बच्चों को बाल्यकाल में होने वाली बीमारियों और कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए प्रदेश में डायरिया नियंत्रण, निमोनिया नियंत्रण, एनीमिया मुक्त हिमाचल जैसे विशेष अभियान चलाए जाएगें।
इस योजना से जन्म के समय कम वजन वाले 14 हजार नवजात शिशुओं, 13335 उच्च जोखिम वाले गर्भधारण, 912 गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों और 5169 मध्यम कुपोषित बच्चों को लाभान्वित किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन में आशा वर्कर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवाएं ली जाएंगी। जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों के लिए प्रतिमाह अन्तिम शनिवार को बाल स्वास्थ्य क्लीनिक का आयोजन किया जाएगा। ऐसे नवजात शिशुओं को विटामिन-डी और आयरन ड्रॉप्स उपलब्ध करवाकर, इसकी कमी को पूरा किया जाएगा।
एमएमबीएसवाई में धात्री माताओं को स्तनपान करवाने और पूरक आहार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसके लिए उन्हें विशेष रूप से प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाएगी। जन्म के समय कम वजन वाले कुपोषित शिशुओं के मामले में प्रत्येक किलो ग्राम वजन बढ़ने पर अभिभावक को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को स्तनपान और पोषण संबंधी परामर्श प्रदान करने का भी उचित प्रावधान किया गया है। इसके लिए ईसीडी 104 कॉल सेंटर को और अधिक प्रभावी बनाने, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली धात्री माताओं को उचित जानकारी प्रदान करने के लिए इस कॉल सेंटर में पोषाहार परामर्शदाताओं की संख्या बढ़ाई गई है ताकि समय-समय पर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली माताओं को स्वास्थ्य देखभाल संबंधी विशेषज्ञ परामर्श प्रदान किया जा सके।
एमएमबीएसवाई योजना का लक्ष्य न केवल बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को ही इसमें शामिल करना है, बल्कि गर्भवती महिला के पति और परिवार के सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। योजना के सफल क्रियान्यवन के लिए चार स्तरीय निगरानी और पर्यवेक्षण प्रणाली भी स्थापित की जाएगी, जिसमें विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ सरकारी स्तर पर समीक्षा भी की जाएगी। योजना में डेटा पोर्टेबिलिटी और इंटरऑपरेबिलिटी के साथ लाभार्थियों का रिकॉर्ड रखने और उनकी ट्रैकिंग के लिए एक एप्लिकेशन को भी विकसित किया जाएगा।
यह योजना प्रदेश में बच्चों, किशोरियों, गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और पोषण के मानकों को हासिल करने में मील पत्थर साबित होगी और इससे एनएफएचएस-5 के आंकड़ों में सुधार होगा।