मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना को अन्य विभागों द्वारा अपनाया जाएगा

मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना को अन्य विभागों द्वारा अपनाया जाएगा

Chief Minister Urban Body Ownership Scheme

Chief Minister Urban Body Ownership Scheme

मुख्य सचिव ने बैठक कर अधिकारियों को दिये योजना का नये सिरे से खाका तैयार करने के निर्देश

चंडीगढ़, 22 दिसंबर - Urban Body Ownership Scheme: हरियाणा में 20 साल से अधिक समय से किराये या लीज पर चल रही पालिकाओं(municipalities) की व्यवसायिक भूमि(commercial land) की मलकीयत उन पर काबिज व्यक्तियों को देने के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना(Chief Minister Urban Body Ownership Scheme) को अन्य विभागों द्वारा भी अपनाया जाएगा। इसके लिए नये सिरे से योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज विभिन्न विभागों(various departments) के अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें आवश्यक दिशा - निर्देश दिए।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि योजना का प्रारूप 15 दिनों में तैयार करें। तत्श्चचात प्रारूप को मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, वित्त विभाग को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक में लाया जाएगा। 

श्री कौशल ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना जनू, 2021 में बनाई गई थी। इसके तहत, शहरी निकायों के उन सभी नागरिकों को मालिकाना हक प्रदान किया गया, जिनके पास व्यावसायिक भूमि का 20 साल या 20 साल से अधिक कब्जा है। इस योजना के तहत जो व्यक्ति किराये या लीज के माध्यम से भूमि पर 20 साल से काबिज हैं, उन्हें क्लेक्टर रेट का 80 प्रतिशत तक भुगतान करने पर मालिकाना हक दिया जा रहा है। इसी प्रकार, भूमि पर काबिज वर्षों की सीमा के अनुसार क्लेक्टर रेट का अलग-अलग दर पर भुगतान करना होगा। जैसे, 25 साल तक काबिज व्यक्ति को क्लेक्टर रेट का 75 प्रतिशत, 30 साल तक 70 प्रतिशत, 35 साल तक 65 प्रतिशत, 40 साल तक 60 प्रतिशत, 45 साल तक 55 प्रतिशत और 50 साल तक 50 प्रतिशत का भुगतान करने पर मालिकाना हक दिये जाने का प्रावधान है।
 
उन्होंने कहा कि अब सरकार ने निर्णय लिया है कि निकायों के अलावा अन्य विभागों की जमीनों पर भी इसी प्रकार से नागरिकों को मालिकाना हक देने के लिए प्रदेशभर में एकरूपता लाते हुए नये सिरे से योजना बनाई जाएगी। 

उन्होंने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि अन्य विभागों के लिए इस योजना का प्रारूप शहरी स्थानीय निकाय विभाग ही तैयार करे और इस प्रारूप को संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ सांझा किया जाएगा और उनसे टिप्पणियां मांगी जाएगी। 

बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के पहले चरण के दौरान लगभग 7 हजार आवेदन आए थे। 1730 आवेदकों को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी हो चुके हैं। योजना के प्रावधानों व नियम एवं शर्तों के अनुसार 1100 आवेदन रद्द कर दिए गए थे। 1130 आवेदन ऐसे पाये गए, जिनमें भूमि अन्य विभागों से संबंधित है। इसलिए अन्य विभागों द्वारा भी इस प्रकार की योजना बनाई जानी चाहिए। 

बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वित्त आयुक्त श्री वी एस कुंडू, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अंकुर गुप्ता, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अरूण कुमार गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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