चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मार डालने की धमकी; सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आगबबूला हुआ धमकाने वाला, बोला- मार डालूंगा
Chief Justice of India DY Chandrachud Death Threat Over Supreme Court Verdict
CJI Chandrachud Death Threat: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मार डालने की धमकी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से आगबबूला हुए एक शख्स ने CJI को धमकी दी है। उक्त शख्स ने सोशल मीडिया पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को जान से मारने के संबंध में पोस्ट लिखी और शेयर की. वहीं सीजेआई को लेकर इस प्रकार की धमकी सामने आने के बाद पुलिस तुरंत एक्शन में आई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी शख्स के खिलाफ आगे की कड़ी कार्रवाई कर रही है। आरोपी शख्स की पहचान मध्य प्रदेश के बैतूल के रहने वाले पंकज अतुलकर के रूप में हुई है।
SC-ST कोटे में कोटा को लेकर था आगबबूला
दरअसल, एससी-एसटी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बहुत बड़ा फैसला सुनाया था। चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की संविधान पीठ ने SC-ST कोटे के भीतर कोटे को मंजूरी दे दी थी। इस फैसले को लेकर कई लोगों ने विरोध जताया। राजनीति से जुड़े कुछ लोग भी फैसले को लेकर विरोध में नजर आए। वहीं सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर बहस लगातार छिड़ी हुई है। जहां इस सबके बीच मध्य प्रदेश के बैतूल के रहने वाले पंकज अतुलकर ने फेसबुक पर सीजेआई को सीधा धमकाने का मन बना लिया।
बोला- वह सीजेआई को मार डालेगा
पंकज अतुलकर ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट में लिखा- वह सीजेआई को मार डालेगा. क्योंकि उन्होंने ‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को गुलाम बनाने का फैसला’ दिया है, जो संविधान का उल्लंघन है। फिलहाल, बैतूल पुलिस का कहना है कि शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपी को पकड़ने के प्रयास जारी है।
SC-ST कोटे में सब-कैटेगरी बनाने की मिली है मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST कोटे में सब-कैटेगरी बनाने की मंजूरी दी है। राज्य सरकारें अब अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में शामिल जातियों के बीच सब-कैटेगरी भी बना सकती हैं। जिसमें एससी-एसटी कोटे में अधिक पिछड़ी, कमजोर और उत्पीड़ित जातियों का उप-वर्गीकरण होगा। इन जातियों के कई वर्ग बनाए जा सकेंगे और ऐसे वर्गों के लिए एससी-एससी कोटे के अंदर अलग से स्पेशल कोटा बनाया जा सकेगा। जिसके तहत ऐसी चुनिंदा जातियों के किसी वर्ग के लिए ज्यादा आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा। जिससे राज्य सरकारें उस वर्ग को ज्यादा आरक्षण का लाभ दे सकेंगी।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का फैसला देने के बाद 2004 के अपने ही फैसले को पलट दिया था। दरअसल, 2004 में दिये उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी जनजातियों में सब कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती. तब 5 जजों ने यह फैसला दिया था। बता दें कि, भारतीय संविधान के अनुसार देश की आबादी को अलग-अलग जातियों के आधार पर मूल रूप से चार वर्गों (सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति) में बांटा गया है।