शुक्रवार को करें मां लक्ष्मी के इन खास मंत्रों का जाप, धन-वैभव में होगी वृद्धि
- By Habib --
- Thursday, 14 Sep, 2023
Chant these special mantras of Goddess Lakshmi on Friday
Chant these special mantras of Goddess Lakshmi on Friday: अगर किसी जातक पर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाए, तो उसे कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को पुरुष और स्त्री दोनों ही कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
शुक्रवार उपाय
शास्त्रों में बताया गया है कि मां लक्ष्मी कभी भी ज्यादा समय तक एक स्थान पर नहीं ठहरती हैं। मां लक्ष्मी स्वभाव से बहुत चंचल होती हैं। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नियमित रूप से उनकी उपासना करनी चाहिए। शुक्रवार के दिन पूजा के समय मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और जातक के घर में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती।
मां लक्ष्मी मंत्र
1. ऊँ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ऊँ॥
2. ऊ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नम:॥
3. ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य
नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ऊँ ।
4. ऊँ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम
गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
5. ऊँ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्य: सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ऊँ ।।
6. ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद
प्रसीद ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
7. ऊँ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्य: सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ऊँ ।।
8. ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।
9. आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
10. ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
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