Chant these mantras on Vinayaka Chaturthi of Adhik Maas

अधिक मास की विनायक चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप, देखें क्या होगा खास

Ganesh-ji

Chant these mantras on Vinayaka Chaturthi of Adhik Maas

हिन्दू पंचांग के अनुसार, 21 जुलाई को अधिक मास की विनायक चतुर्थी है। विनायक चतुर्थी के दिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। संध्याकाल में आरती-अर्चना कर चंद्र दर्शन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक कहा जाता है। अत: भगवान गणेश के उपासकों को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। अगर आप भी भगवान गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। 

भगवान गणेश के मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

गणेश गायत्री मंत्र
ऊँ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ऊँ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ऊँ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

गणेश बीज मंत्र
ऊँ गं गणपतये नमो नम: ।

धन प्राप्ति मंत्र
ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा। वक्रतुण्ड गणेश मंत्र।।

तंत्र मंत्र
ऊँ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

विघ्न नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजानन: ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप: ॥
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज: ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत क्वचित ।

नौकरी प्राप्ति के लिए मंत्र
ऊँ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

गणेश मंत्र स्तोत्र

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम्।
येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।
विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थित: ।
साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।
सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।
तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणि: ।
एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्य: सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।
क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्तत: ॥

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