Chant the mantra of 108 names of Lord Krishna on the eighth day of Jyeshtha month

ज्येष्ठ माह की अष्टमी पर करें भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का मंत्र जप, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम, देखें क्या खास

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Chant the mantra of 108 names of Lord Krishna on the eighth day of Jyeshtha month

सनातन पंचांग के अनुसार, 31 मई को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही वैष्णव समाज के अनुयायी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत भी रखते हैं।

धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही यश, कीर्ति, सुख-समृद्धि और धन-वैभव में वृद्धि होती है। न्याय के देवता शनिदेव के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण हैं। इसके लिए ज्योतिष भी कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने की सलाह देते हैं।

राहु और केतु के प्रभाव तत्काल से समाप्त हो जाते हैं। वहीं, कृष्णजी की भक्ति करने से न्याय के देवता शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जातक के जीवन में व्याप्त आर्थिक विषमता दूर होती है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण संग श्रीजी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का मंत्र जप अवश्य करें।

भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम 

ऊँ कृष्णाय नम:

ऊँ कमलानाथाय नम:

ऊँ वासुदेवाय नम:

ऊँ सनातनाय नम:

ऊँ वसुदेवात्मजाय नम:

ऊँ पुण्याय नम:

ऊँ लीलामानुष विग्रहाय नम:

ऊँ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नम:

ऊँ यशोदावत्सलाय नम:

ऊँ हरिये नम:

ऊँ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नम:

ऊँ शङ्खाम्बुजायुधाय नम:

ऊँ इलापतये नम:

ऊँ परंज्योतिषे नम:

ऊँ यादवेंद्राय नम:

ऊँ यदूद्वहाय नम:

ऊँ वनमालिने नम:

ऊँ 46. ? पीतवसने नम:

ऊँ पारिजातापहारकाय नम:

ऊँ गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे नम:

ऊँ गोपालाय नम:

ऊँ सर्वपालकाय नम:

ऊँ अजाय नम:

ऊँ निरञ्जनाय नम:

ऊँ कामजनकाय नम:

ऊँ कञ्जलोचनाय नम:

ऊँ मधुघ्ने नम:

ऊँ मथुरानाथाय नम:

ऊँ द्वारकानायकाय नम:

ऊँ बलिने नम:

ऊँ बृन्दावनान्त सञ्चारिणे नम:

ऊँ तुलसीदाम भूषनाय नम:

ऊँ स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे नम:

ऊँ नरनारयणात्मकाय नम:

ऊँ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नम:

ऊँ मायिने नम:

ऊँ  परमपुरुषाय नम:

ऊँ मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय नम:

ऊँ संसारवैरिणे नम:

ऊँ कंसारये नम:

ऊँ मुरारये नम:

ऊँ नाराकान्तकाय नम:

ऊँ अनादि ब्रह्मचारिणे नम:

ऊँ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नम:

ऊँ शिशुपालशिरश्छेत्रे नम:

ऊँ दुर्योधनकुलान्तकाय नम:

ऊँ  विदुराक्रूर वरदाय नम:

ऊँ  विश्वरूपप्रदर्शकाय नम:

ऊँ  सत्यवाचे नम:

ऊँ सत्य सङ्कल्पाय नम:

ऊँ सत्यभामारताय नम:

ऊँ जयिने नम:

ऊँ सुभद्रा पूर्वजाय नम:

ऊँ विष्णवे नम:

ऊँ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय नम:

ऊँ जगद्गुरवे नम:

ऊँ जगन्नाथाय नम:

ऊँ वेणुनाद विशारदाय नम:

ऊँ वृषभासुर विध्वंसिने नम:

ऊँ बाणासुर करान्तकाय नम:

ऊँ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नम:

ऊँ बर्हिबर्हावतंसकाय नम:

ऊँ पार्थसारथये नम:

ऊँ अव्यक्ताय नम:

ऊँ गीतामृत महोदधये नम:

ऊँ कालीय फणिमाणिक्य रञ्जित श्री पदाम्बुजाय नम:

ऊँ दामोदराय नम:

ऊँ यज्ञभोक्त्रे नम:

ऊँ दानवेन्द्र विनाशकाय नम:

ऊँ नारायणाय नम:

ऊँ परब्रह्मणे नम:

ऊँ पन्नगाशन वाहनाय नम:

ऊँ जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराकाय नम:

ऊँ पुण्य श्लोकाय नम:

ऊँ तीर्थकृते नम:

ऊँ वेदवेद्याय नम:

ऊँ दयानिधये नम:

ऊँ सर्वभूतात्मकाय नम:

ऊँ सर्वग्रह रुपिणे नम:

ऊँ परात्पराय नम:

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