Change in leadership in Haryana BJP will make the party stronger

Editorial: हरियाणा भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन पार्टी को बनाएगा और सबल

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Leadership change party in Haryana BJP

हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नई नियुक्ति अप्रत्याशित ही कही जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपना तीन वर्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा कर चुके ओम प्रकाश धनखड़ की एकाएक विदाई अचंभित करती है, हालांकि आजकल के राजनीतिक माहौल में इस प्रकार के चौंकाने वाले फैसले नई बात नहीं रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव का वर्ष शुरू होने से कुछ महीने पहले भाजपा नेतृत्व ने हरियाणा में अपना प्रदेश अध्यक्ष बदलकर नया संदेश देने का प्रयास किया है, इससे पार्टी के अंदर लोकतंत्र की जीवंतता का भी परिचय मिलता है। भाजपा में दूसरी पार्टियों की तुलना में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निर्धारित समय पर बदलती रही है। प्रदेश में जितने भी अध्यक्ष बने हैं, उन सभी का कार्यकाल सफल और पार्टी को आगे ले जाने वाला रहा है।

ओमप्रकाश धनखड़ का कार्यकाल इस वर्ष जुलाई में संपन्न हो चुका है। उनकी नियुक्ति जिस समय की गई थी, तब भाजपा सरकार का दूसरा कार्यकाल आरंभ हो चुका था। इन तीन वर्षों में हरियाणा में भाजपा ने अपने स्वरूप को प्रभावी बनाया है, वहीं वह हर कोने तक पहुंच कर जनता के करीब आई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जिस प्रकार से प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन किया है, उससे जनता को शासन का अलग ही एहसास हासिल हुआ है। इसमें पार्टी संगठन का भी अहम योगदान रहा है, क्योंकि पार्टी ही सरकार की योजनाओं और उसकी नीतियों का प्रचार-प्रसार करती है। यह भी सच है कि धनखड़ के नेतृत्व में पार्टी ने जहां अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को काम पर लगाए रखा है, वहीं जनता से कनेक्टिविटी नहीं टूटने दी है।

निश्चित रूप से एक पद पर किसी के कार्यकाल का समय होता है, उसके बाद उसे जाना ही होता है। फिर कोई नया आता है और अपनी सोच एवं क्षमताओं से संस्थान, पार्टी, संगठन को आगे ले जाता है। दूसरे दलों की तुलना में भाजपा ज्यादा अनुशासित पार्टी है और उसका यह अनुशासन आरएसएस से आता है, यही वजह है कि पार्टी के अंदर अध्यक्ष पद को लेकर किसी प्रकार का हल्ला नजर नहीं आया। बेशक, ओमप्रकाश धनखड़ के कार्यकाल पूरा होने के बाद अगर नेतृत्व पार्टी नेताओं से अपने नाम का आग्रह करता तो अनेक नाम सामने आते। लेकिन जिस प्रकार की रिपोर्ट है और जैसे संकेत हैं, उनमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हालिया बैठक के बाद यह तय हो गया था कि प्रदेश में कुछ नया घटित होने वाला है। बेशक, राजनीति में दो नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद होते ही हैं। लेकिन बतौर मुख्यमंत्री अगर एक राजनेता सरकार एवं पार्टी पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने की मंशा से अपनी पसंद के नेता को अध्यक्ष भी बनवा लेता है तो यह पार्टी हाईकमान का उन पर भरोसा ही कहा जाएगा।

हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सबकुछ बदल चुका है। प्रदेश में मनोहर सरकार के 9 साल के कार्यकाल के दौरान शासन, प्रशासन, समाज, पुलिस, संस्कृति, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण, कृषि, खेल और व्यापार आदि में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। एक कुशल राजनेता के द्वारा ही यह संभव है। प्रदेश में भ्रष्टाचार बेशक पूरी तरह खत्म न हुआ हो, लेकिन इतना जरूर है कि अब इस पर प्रभावी अंकुश लगा है। प्रदेश में यह भी अब हो रहा है कि अगर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो पुलिस कर्मचारियों, अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। क्या इससे पहले किसी सरकार ने ऐसा करने का साहस दिखाया था। इसके लिए गृहमंत्री अनिल विज भी बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने डीजीपी जोकि मुख्यमंत्री की पसंद हैं, के द्वारा पुलिस विभाग के ढीले पेच कसने की जो कवायद शुरू की है, वह जनता को बेहद पसंद आ रही है। आखिर जनता और क्या चाहती है, उसे सरकार के काम करने और उसका जीवन सुगम बनाने के सभी जत्न होते नजर आने चाहिए। हरियाणा में अब यही हो रहा है, प्रदेश अब प्रगति के राजमार्ग पर है।

निश्चित रूप से नए प्रदेश अध्यक्ष नायब सैनी के समक्ष अनेक चुनौतियां होंगी। उन्हें प्रदेश में सभी जाति-वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलना होगा। प्रदेश में जाट समाज के इतर लंबे समय बाद किसी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है। प्रदेश में जाट समाज की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह समझते हुए पार्टी नेतृत्व ने धनखड़ को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी है। नए प्रदेश अध्यक्ष से अब संभव है, सरकार और संगठन के बीच की दूरी खत्म होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में अगर पार्टी संगठन में भी आवश्यक फेरबदल होंगे तो यह पार्टी के भले के लिए ही होंगे। वैसे, भाजपा को चाहिए कि वह प्रदेश में सर्वव्यापी पार्टी बने, किसी वर्ग तक सीमित रहना उसकी सफलता की संभावनाओं को सीमित करेगा। 

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