ISRO से आया नया वीडियो; चांद पर रुकता-चलता घूम रहा अपना रोवर, अरे जरा देखिए तो सही
Chandrayaan 3 Rover on Moon Video ISRO Latest News
Chandrayaan 3 Rover on Moon: चंद्रयान-3 की सफलता से जहां एक तरफ दुनियाभर में भारत का डंका बज रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हमारे रोवर प्रज्ञान ने चांद पर अपना काम शुरू कर दिया है। रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर रुक-रुककर घूम रहा है और जानकारियां इकट्ठा कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से रोवर के चांद पर घूमने का ताजा वीडियो जारी किया गया है। जिसमें इसरो ने बताया कि, चांद के साउथ पोल पर उतरने के बाद रोवर अभी लैंडर के आसपास ही मौजूद है और चंद्र के रहस्यों की खोज में चक्कर लगा रहा है। रोवर चांद पर करीब 8 मीटर तक सफलतापूर्वक अपनी यात्रा कर चुका है। यहां आपको यह भी बता दें कि, पीएम मोदी ने लैंडर पॉइंट को अब 'शिवशक्ति' नाम दे दिया है। यानि चांद के जिस पॉइंट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने लैंडिंग की वो पॉइंट 'शिवशक्ति' के नाम से जाना जाएगा।
आपको यह भी ज्ञात रहे कि, रोवर के इस वीडियो से पहले इसरो ने एक और वीडियो जारी किया था। जिसमें चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलते हुए नजर आ रहा था। वीडियो में दिखाया गया कि कैसे चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान, लैंडर विक्रम की गोद से चांद की सतह पर उतर रहा है। रोवर प्रज्ञान बड़े आहिस्ता-आहिस्ता लैंडर विक्रम को छोड़ रहा है और बाहर निकल रहा है। इसी के साथ जब रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतर जाता है तो इसके बाद वह वहां आगे चलते हुए भारतीय सबूत के तौर पर अपने पैरों के निशान छोड़ता जाता है। इस दौरान रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम दोनों की चांद पर परछाई भी दिखती है।
ये था वीडियो
23 अगस्त की शाम 6:04 बजे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग
बता दें कि, 23 अगस्त की शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की। साउथ पोल चांद का हाई रिस्क जोन माना जाता है। यही वजह है कि, अब तक जितने भी देशों ने चांद पर अपने यान भेजे हैं। उनमें से किसी ने भी चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग नहीं की है। भारत ऐसा पहला देश बन गया है जिसने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की है। जबकि चांद पर सिर्फ सॉफ्ट-लैंडिंग के मामले में अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन गया है। भारत से पहले इन तीन देशों ने ही अपने यान चांद पर सफलतापूर्वक उतारे हैं।
14 जुलाई को लॉन्च हुआ था मिशन चंद्रयान-3
मालूम रहे कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 की LVM3-M4 रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की थी। वहीं लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में धरती की कक्षा में प्रवेश किया और यहां चक्कर लगाने लगा था। इसके बाद हाल ही में 5 अगस्त को चंद्रयान-3 धरती की कक्षा को पार कर गया और चांद की कक्षा में प्रवेश किया था। चंद्रयान-3 ने हाल ही में चांद की बेहद करीब से तस्वीर भी इसरो के पास भेजी थी।
भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी
बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया।
इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी।
चंद्रयान-3 मिशन में आई इतनी लागत
अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से थे। प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया था । इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।
चंद्रयान-3 के बाद इसरो का अगला मिशन क्या है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हमारे वैज्ञानिक मिशन चंद्रयान-3 की सफलता से गदगद हो रखे हैं। वहीं इस सफलता के बाद इसरो अपने अगले मिशन के लिए भी तैयार है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने जानकारी दी है कि, इसरो का अगला मिशन आदित्य एल-1 मिशन है जो श्रीहरिकोटा में तैयार हो रहा है। यह मिशन सूर्य पर जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा।