भांजा आ रहा है 'चंदा मामा', घर आने देना; इसरो का मैसेज- All Set..., चंद्रयान-3 के लैंडिंग ऑपरेशन पर दुनियाभर की नजर, अपडेट जानिए
Chandrayaan 3 Moon Landing Updates
Chandrayaan 3 Moon Landing Updates: भारत के लिए आज की तारीख ऐतिहासिक होने वाली है. चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड होते ही पूरी दुनिया में भारत की सफलता का शोर छा जाएगा। पूरी दुनिया अपनी फटी आंखों से भारत के जज्बे को देख रही होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से मिले अब तक के अपडेट के अनुसार, शाम 6 बजकर 4 मिनट के करीब चंद्रयान-3 चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा। तैयारी पूरी कर ली गई है और अब तक सब ठीक ठाक है। इसरो ने अपने एक मैसेज में All Set कहा है।
चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर इसरो ने बताया है कि स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है और लगभग 17:44 बजे निर्धारित बिंदु पर लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। आईएसटी. एएलएस कमांड प्राप्त होने पर, एलएम संचालित वंश के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करता है। मिशन संचालन टीम आदेशों के क्रमिक निष्पादन की पुष्टि करती रहेगी। एमओएक्स में संचालन का प्रथम सीधा प्रसारण 17:20 बजे शुरू होगा।
यानि लैंडिंग समय से करीब 19 मिनट से पहले चंद्रयान-3 का लैंडर चांद के उस बिन्दू पर पहुंच जाएगा। जहां से उसे लैंडिंग करनी है। निर्धारित बिंदु पर पहुंचने के बाद लैंडर को लैंड कराने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया जाएगा। लैंडिंग ऑपरेशन के वो 19 मिनट बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। इस बीच चंद्रयान-3 के साथ-साथ इसरो पर काफी प्रेशर होगा। क्योंकि इस दौरान जरा सी भी चूक सब खेल बिगाड़ सकती है। वहीं चंद्रयान-3 के लैंडिंग ऑपरेशन को इसरो लाइव दिखाएगा। इसरो ने बताया कि, शाम 5 बजकर 20 मिनट के करीब लैंडिंग ऑपरेशन को लाइव कर दिया जाएगा।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होनी है लैंडिंग
चंद्रयान-3 की सबसे खास बात यह है कि, इसे चांद के ऐसे क्षेत्र पर लैंड होना है। जहां के बारे में अब तक ज्यादा जानकारी दुनिया के सामने नहीं आ पाई है। चांद की यह साइड ऐसी है जहां अधिकतर अंधेरा रहता है और सतह ऊबड़ खाबड़ है। सतह पर गड्ढे ही गड्ढे, छल्ले जैसे निशान दिखाई देते हैं। हम बात कर रहे चांद के दक्षिणी ध्रुव की। चांद का दक्षिणी क्षेत्र रहस्य है। इसरो यहीं पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराने की कोशिश में है।
हालांकि इस क्षेत्र में लैंडिंग करना आसान नहीं है। अगर यहां चांद के दक्षिणी क्षेत्र पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हो जाती है तो लैंडिंग के बाद वहां से जो जानकारियां सामने आएंगी। उससे कई रहस्य खुलेंगे। पूर्ण रूप से यह भी पता चलेगा कि चांद पर पानी है या नहीं। हालांकि, अपने चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी होने के संकेत दिये थे। बता दें कि, अगर चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग हो गई तो भारत इस मामले में पहला देश बन जाएगा। जबकि चांद पर सिर्फ सॉफ्ट-लैंडिंग के मामले में अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
14 जुलाई को लॉन्च हुआ था मिशन चंद्रयान-3
मालूम रहे कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 की LVM3-M4 रॉकेट के जरिए सफल लॉन्चिंग की थी। वहीं लॉन्च होने के बाद चंद्रयान-3 ने रॉकेट से इजेक्ट होके अंतरिक्ष में धरती की कक्षा में प्रवेश किया और यहां चक्कर लगाने लगा था। इसके बाद हाल ही में 5 अगस्त को चंद्रयान-3 धरती की कक्षा को पार कर गया और चांद की कक्षा में प्रवेश किया था। जिसके बाद से चंद्रयान-3 ने चांद की बेहद करीब से तस्वीरें भेजनी शुरू कर दी थीं। चंद्रयान-3 ने इसरो के पास अब तक कई तस्वीरें भेजी हैं। जिन्हें देखकर हैरानी भी हुई।
भारत दो बार फेल हुआ, मगर हिम्मत नहीं हारी
बतादें कि, इससे पहले भारत ने चांद पर उतरने की दो बार कोशिश की है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पहली बार 22 अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। जिसके बाद 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने चांद की कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश किया और पानी की खोज भी की। लेकिन 28 अगस्त 2009 को अचानक चंद्रयान-1 से इसरो का संपर्क टूट गया। इसके बाद भारत ने फिर से तैयारी की और 22 जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया। मगर चंद्रयान-2 भी चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सका। दरअसल, 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया. मगर बाद में चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया. लेकिन भारत ने फिर भी हार नहीं मानी और अब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के साथ इतिहास रचने को तैयार है।
अगर चंद्रयान-3 को बनाने में आई लागत की बात करें तो जानकारी के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत करीब 75 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपये में 615 करोड़ रुपए है। कई देशों ने कम लागत पर चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की लेकिन हमने ये पहले करके दिखाया है। चंद्रयान-3 मिशन के तीन अहम हिस्से हैं। प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर। इसका कुल खर्च 600 करोड़ रुपये ज्यादा आया है। इस मिशन में इसरो के अलग-अलग विभाग के सैकड़ों वैज्ञानिक जुटे थे।