चंद्रबाबू का सिंगापुर प्रेम जारी: अमरावती को फिर से सिंगापुर की कंपनियों को सौंपने की बातचीत!

चंद्रबाबू का सिंगापुर प्रेम जारी: अमरावती को फिर से सिंगापुर की कंपनियों को सौंपने की बातचीत!

Chandrababu's love for Singapore continues

Chandrababu's love for Singapore continues

** एक बार फिर सिंगापुर की कंपनियों के लिए अमरावती

** सीआरडीए की पहली बैठक में चंद्रबाबू सरकार ने अमरावती को लेकर विवादित फैसला किया

** मंत्री नारायण ने घोषणा की कि वे सिंगापुर के साथ फिर से बातचीत करेंगे

** चंद्रबाबू का सिंगापुर प्रेम जारी

** मंत्री ईश्वरन को पहले सिंगापुर सरकार ने जेल भेजा था

(अर्थ प्रकाश/ बोम्मा रेड्डी)

अमरावती : Chandrababu's love for Singapore continues: (आंध्र प्रदेश) चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने एक बार फिर अमरावती के विकास को सिंगापुर की कंपनियों को सौंप दिया है। सीआरडीए की पहली बैठक में चंद्रबाबू सरकार ने अमरावती को लेकर विवादित फैसला किया। मंत्री नारायण ने घोषणा की कि वे सिंगापुर के साथ फिर से बातचीत करेंगे। इससे पहले, चंद्रबाबू सरकार ने स्विस चैलेंज पद्धति के माध्यम से सिंगापुर की कंपनियों के साथ समझौता किया था। गठबंधन सरकार ने एसेन्डास, सिंगब्रिज और सेम्बकॉर्प कंपनियों को वापस लाने का फैसला किया है।  पिछले दिनों सिंगापुर समझौते पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। इस समझौते में शामिल सिंगापुर के मंत्री ईश्वरन को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भी जाना पड़ा था। घोटाले में शामिल होने के कारण मंत्री ईश्वरन को सिंगापुर सरकार ने जेल भेज दिया था। जमीन और फंड हमारे थे, जबकि मुनाफा सिंगापुर की कंपनियों को मिला। सिंगापुर सीड कैपिटल समझौते के पीछे यही रहस्य है। सिंगापुर की कंपनियों के पास 58 फीसदी हिस्सेदारी थी। सरकार ने इन कंपनियों को 1691 एकड़ जमीन वापस सौंपने का फैसला किया है। चंद्रबाबू सरकार ने सीड कैपिटल डेवलपर के तौर पर सिंगापुर की कंपनियों को वापस लाने का फैसला किया। स्विस चैलेंज की आड़ में सरकार ने बिना ग्लोबल टेंडर के ही ठेका दे दिया। पूर्व सीएस आईवाईआर कृष्णा राव ने पहले भी स्विस चैलेंज की चयन प्रक्रिया की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एपीआईडीआई एक्ट के खिलाफ है। पिछले दिनों 66,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू द्वारा उसी सिंगापुर मॉडल को फिर से हरी झंडी देने के फैसले की आलोचना हो रही है।