ब्रह्मज्ञान के बाद इंसान के मन में मिलवर्तन का भाव पैदा होता है: जोगिन्द्र मनचन्दा जी

After the knowledge of Brahma, a feeling of harmony arises in the mind of a person

After the knowledge of Brahma, a feeling of harmony arises in the mind of a person

After the knowledge of Brahma, a feeling of harmony arises in the mind of a person- चंडीगढ़I जब इंसान सतगुरु की शरण में जाकर ब्रह्मज्ञान हासिल कर लेता है तो उसके बाद इंसान के मन में मिलवर्तन का भाव पैदा होता है, जिसके बाद सभी में परमात्मा का रूप नजर आने लगता है उक्त विचार दिल्ली से निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश लेकर पहुंचे सन्त निरंकारी मण्डल के वित्त एवं लेखा विभाग के मैम्बर इन्चार्ज श्री जोगिन्द्र मनचन्दा जी ने संत निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर 15 डी चंडीगढ़ में व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि जब इंसान ब्रह्मज्ञान लेकर इस निरंकार से जुड़ता है उसके मन में बिना किसी भेदभाव के हरेक के प्रति प्यार पैदा होता है। वह बिना किसी स्वार्थ के हरेक के हित की बात करता है। आज के आधुनिक युग में स्वार्थ भारी पड़ रह रहा है, जिसके चलते हर रिश्ते व समाज में असहनशीलता व अन्य बुराइयां बढ़ रही है।

श्री मनचन्दा जी ने किसी व्यक्ति विशेष की बजाए सभी के लिए हितकारी बनने की चर्चा करते हुए बताया कि आमतौर पर हर इन्सान के मन में वह स्वयं खुद, उसका परिवार व उसकी इच्छाएं बसी होती हैं जिस कारण इंसान हर समय स्वार्थ भाव से ही हर कर्म करता है, लेकिन जिनको वर्तमान सतगुरु माता सुदीक्षा जी की कृपा से परमपिता परमात्मा की जानकारी हो जाती है और फिर जब यह सर्वव्यापी परमात्मा उसके मन में बसने लग जाता है तो उसका जीवन हरि व्यापक सर्वत्र समाना प्रेम ते प्रकट होहि मैं जाना जैसा हो जाता है क्योंकि उसे फिर सभी में हरि का रूप दिखाई देता है और वह सभी को परमपिता परमात्मा की संतान मानते हुए जो भी कर्म करता है वह निष्काम भाव से व उनके भले की कामना से करता है । इस अवसर पर यहां के जोनल इंचार्ज व संयोजक और मुखी भी उपस्थित थे । उन्होंने देहली से आए जोगिन्द्र मनचन्दा जी का स्वागत व धन्यवाद किया ।