सीटीयू में नियम व शर्तों के विपरीत लग रहे टैंडर: पौने 15 करोड़ रुपये हुए खर्च,डिपो में पड़ी चेसियां

Tenders being issued in CTU against rules and conditions

Tenders being issued in CTU against rules and conditions

Tenders being issued in CTU against rules and conditions- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग में किस तरह से नियमों व शर्तों के विपरीत जाकर टैंडर लगाये जा रहे हैं इसका ताजा तरीन उदाहरण सामने आया है। सीटीयू ने 60 डीजल बसें खरीदनी थी जिनके दस साल के एनुअल मैंटेनेंस कांट्रेक्ट का प्रावधान भी टैंडर की शर्तों में था लेकिन अधिकारियों ने मनमर्जी करते हुए टैंडर ही बदल दिया। सीटीयू ने पूरी बसें न खरीद कर बसों की चेसी का अलग और बस बॉडी फेब्रीकेशन का अलग टैंडर जारी किया। इसके लिये बाकायदा पौने 15 करोड़ की राशि खर्च कर दी गई लेकिन आज तक ये बसें नहीं मिल पाई।

13 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गई चेसिज सीटीयू डिपो में 8 माह से पड़ी हैं। आरटीआई में जानकारी मांगने वाले आरके गर्ग ने कहा है कि आठ माह बीत गये, पौने 15 करोड़ की राशि पूरी तरह से डंप हो गई। 60 बसें खरीदते तो लोगों को सुविधा मिलती और चंडीगढ़ प्रशासन को रेवेन्यू। न तो सुविधा मिली और करोड़ों रुपये के रेवेन्यू का लॉस हुआ सो अलग। इसके लिये कौन जिम्मेदार है। जिसकी देखरेख व जिममेदारी में यह काम हुआ उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

आरके गर्ग के मुताबिक 14 करोड़ की प्रापर्टी अनयूज पड़ी है। इन बसों से करोड़ों रुपये कमाये जा सकते थे। ऑडिट ने जो ऑब्जेक्शन लगाया, उसको लेकर जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा। किसकी वजह से यह नुकसान हुआ इसकी जांच तो होनी चाहिए? अगर टैंडर नियमों के मुताबिक पूरी बसें खरीदी जाती तो इसमें दस साल का मेंटेनेंस कांट्रेक्ट भी फ्री मिलता।

इंटर स्टेट ऑपरेशन के लिये खरीदी जानी थी 60 बसें

चंडीगढ़ प्रशासन ने 2023-24 के दौरान इंटर स्टेट ऑपरेशन सुदृढ़ करने के लिये चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग यानि सीटीयू को 6 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। सीटीयू ने इनका जैम की थ्रू टैंडर इनवाइट किया। 60 फुली बिल्ड-अप-आर्डनरी डीजल बीएस-6 स्टेज 2 बसों के लिये यह टैंडर जारी होना था जिसमें दस साल की कांप्रीहेंसिव मैंटेनेंस कांट्रेक्ट का भी प्रावधान था।

सीटीयू ने टैंडर महज 60 बसों की चेसी का ही जारी किया।  अप्रूव्ड बॉडी मेकर्स से बस बॉडी फेब्रीकेशन का अलग टैंडर इनवाइट किया गया। इससे टैंडर में दस साल का कांप्रीहेंसिव मैंटेनेंस कांट्रेक्ट का प्रावधान खुद बखुद गायब हो गया। मैसर्ज टाटा मोटर्स ने चूंकि कम बोली लगाई थी लिहाजा उन्हें 60 बसों की चेसी सप्लाई करने का आर्डर दिया गया। इसके लिये जीएसटी सहित 14.76 करोड़ रुपये देने थे। टाटा मोटर्स ने 8 अप्रैल 2024 तक बसों की 60 चेसी सप्लाई कर दी। सप्लायर को 13 करोड़ 17 लाख 12 हजार 300 रुपये  की पेमेंट भी कर दी गई। सीटीयू के रिकार्ड चैक करने पर पाया गया कि आठ माह बीत जाने के बाद भी यह चेसियां सीटीयू के डिपो में पड़ी है क्योंकि न तो फेब्रीकेटर फर्म तय की गई है और न ही इस संबंध में विभाग की ओर से कोई आदेश जारी किया गया है। इसकी वजह से करोड़ों रुपये की खर्च की गई राशि जिससे जनता का भला होना था, बेकार हो गई है। ऑडिट ने इसको लेकर ऐतराज जताया लेकिन विभाग की ओर से कोई जवाब अब तक नहीं दिया गया।

55.67 लाख रुपये की जीएसटी राशि

विभाग ने कांट्रेक्टर को 55.67 लाख रुपये  की राशि दे दी हालांकि इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी रकम काटी जानी थी। सीटीयू के रिकार्ड जांचने पर ऑडिट ने पाया कि 2023-24 के दौरान सीटीयू ने एसएस 4 सेफनेट और मैसर्ज  प्रो-इंटरएक्टिव सर्विसेज से सिक्योरटी सर्विस ली और फर्मों को 4 करोड़ 10 लाख 54 हजार 797 रुपये की पेमेंट की। 18 प्रतिशत जीएसटी के रूल के मुताबिक 62 लाख 62 हजार 596 रुपये कांट्रेक्टर पर बकाया हैं जिसे गवर्नमेंट अकाउंट में जमा करवाया जाना था। ऑडिट ने पाया कि विभाग ने 6 लाख 95 हजार 844 रुपये पर केवल 2 फीसदी टीडीएस डिपोजिट करवाया। कांट्रेक्टर को 55 लाख 66 हजार 752 रुपये दे दिये गये जो आरसीएम के सर्विस कवर के तहत अनियमित थे। यानि टीडीएस कम जमा हुआ। इस पर भी कोई जवाब नहीं मिला।

8 कंडक्टरों ने भी लगाया चूना

कुछ कंडक्टरों ने भी ड्यूटी पूरी होने के बाद 2021-22 और 2023-24 के दौरान 8 कंडक्टरों ने खोने की वजह से मैनुअल बॉक्स जमा नहीं कराये। हर कंडक्टर अपनी ड्यूटी पूरा होने के बाद मैनुअल बॉक्स और एकत्रित कैश जमा कराता है। इससे 3 लाख, 83 हजार, 768 रुपये ब्लॉक हो गये।