मौत से हार कर भी 6 लोगों को नई जिंदगी दे गए चंडीगढ़ के रवीश, गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई अंतिम विदाई
Chandigarh Advocate Donated Organs
चंडीगढ़: Chandigarh Advocate Donated Organs: कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। अगर कोई किसी दूसरे की जिंदगी बचा जाए तो उससे बड़ा पुण्य और क्या होगा। चंडीगढ़ के रवीश (रॉनी) ने एक नहीं बल्कि छह लोगों को नई जिंदगी दी है। हालांकि रवीश इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन अपने आखिरी समय में वह छह लोगों की जिंदगी में खुशियां बिखेर गए।
मोहाली के जीरकपुर निवासी 36 वर्षीय वकील रवीश कुंवर मलिक ने दुनिया से जाते हुए छह लोगों की जिंदगी में खुशियां बिखेरी हैं। सड़क दुर्घटना के कारण 4 दिसंबर को पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों की टीम ने उन्हें 9 दिसंबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इसके बाद उनके परिजनों से मिली अंगदान की अनुमति से उनका हृदय, लीवर, किडनी और कॉर्निया पीजीआई में पंजीकृत छह मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। पीजीआई की तरफ से रवीश को भावभीनी विदाई देते हुए उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
पीजीआई निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल का कहना है कि रवीश कुंवर और उनके परिवार का यह कार्य उदारता का अविश्वसनीय उदाहरण है, यह मलिक परिवार की निस्वार्थ भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अंगदान की प्रक्रिया में विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों व उनकी टीम की मेहनत भी सराहनीय है।
माता-पिता ने कहा- हमेशा करता था दूसरों की मदद
मंगलवार के दोपहर पीजीआई से अपने पुत्र के शव को लेते हुए पिता एडवोकेट वीएसटी मलिक और माता एडवोकेट नवीन मलिक ने कहा कि रॉनी (रवीश) हमेशा दूसरों की मदद करना चाहता था। इसलिए उसकी याद में हम कुछ ऐसा करना चाहते थे जो उसकी भावना का सम्मान करें। ऐसे में दूसरों को जीवन देने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है। उनका कहना है कि हमने प्यारे बेटे को खो दिया है, लेकिन यह जानकर कि वह दूसरों को जीने का दूसरा मौका दे सकता है, हमारे दिल को सुकून मिलता है।
हीरो है मेरा भाई
रवीश के भाई सोहेल प्रताप मलिक ने कहा कि हमें उसे पर गर्व है वह अब शारीरिक रूप से हमारे साथ नहीं है, लेकिन अपने नेक काम के माध्यम से वह हीरो है। वह हमेशा दूसरों की मदद करने में विश्वास करता था और उसने दुनिया से जाते हुए भी इसे जारी रखा है। रवीश को अंतिम विदाई देते हुए पीजीआई में एकत्र हुए लोगों के साथ ही वहां मौजूद पादरी ने कहा कि उनका जीवन भले ही छोटा हो गया हो, लेकिन उनकी आत्मा मानवता के लिए उनके अंतिम उपहार के माध्यम से चमकती रहेगी।
पीजीआई में हुआ 10वां हृदय प्रत्यारोपण
अंगदान की अनुमति मिलने पर रवीश का हृदय, लीवर, दोनों किडनी और दोनों कॉर्निया पीजीआई में पंजीकृत 6 मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया है। हृदय को हिमाचल की 30 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया गया, यह पीजीआई में दसवां हृदय प्रत्यारोपण है।
परिवार का फैसला समाज को प्रेरित करेगा
पीजीआई चिकित्सा अधीक्षक व रोटो के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने कहा कि रवीश के परिवार ने दुख की घड़ी में दूसरों के जीवन के बारे में सोचकर एक अनुकरणीय कार्य करने के लिए पूरे समाज को प्रेरित करने का काम किया है। अंगदान का यह कार्य न केवल प्राप्तकर्ताओं को जीवन का मौका देता है बल्कि पूरे समाज को इसके लिए प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।