सांसद तिवारी ने शून्यकाल के दौरान पंजाबी में उठाया अहम मसला: लोकसभा में गूंजा पीयू सीनेट चुनाव का मुद्दा

MP Tiwari raised important issue in Punjabi during zero hour

MP Tiwari raised important issue in Punjabi during zero hour

MP Tiwari raised important issue in Punjabi during zero hour- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I पंजाब यूनिवर्सिटी की गवर्निंग बॉडी, सीनेट के चुनाव में देरी को लेकर  चल रहे जबरदस्त विरोध के बीच, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को लोकसभा में यह मुद्दा उठाया। पंजाब से जुड़े बुद्धिजीवियों व लोगों का मानना है कि सरकार सीनेट को ख़त्म करना चाहती है। सरकार को तुरंत सीनेट चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करनी चाहिए और चुनाव कराना चाहिए। तिवारी ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए पंजाबी भाषा को माध्यम के रूप में चुना।

यहां बता दें कि 8 नवंबर को तिवारी पीयू परिसर में धरना स्थल पर पहुंचे थे और इस मुद्दे को संसद में उठाने का वादा किया था। विश्वविद्यालय के इतिहास का उल्लेख करते हुए तिवारी ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 के अनुसार, पीयू को सीनेट द्वारा शासित किया जाता है। सीनेट का कार्यकाल 31 अक्टूबर को समाप्त हो गया, और अधिनियम के अनुसार, कार्यकाल समाप्त होने से 240 दिन पहले चुनावों को अधिसूचित किया जाना चाहिए लेकिन इस बार, चुनावों की अधिसूचना नहीं दी गई।

गौरतलब है कि छात्र पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा के बैनर तले चुनाव में देरी को लेकर पीयू में कुलपति कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी औपचारिक रूप से भारत के उपराष्ट्रपति और पंजाब विश्वविद्यालय के चांसलर जगदीप धनखड़ से विश्वविद्यालय में तुरंत सीनेट चुनाव कराने का अनुरोध किया है। एक पत्र में, मान ने चुनाव कराने में देरी पर चिंता व्यक्त की, जिसे उन्होंने लोकतांत्रिक सिद्धांतों और विश्वविद्यालय की वैधानिक आवश्यकताओं का उल्लंघन बताया। मान ने राज्य के लिए पंजाब विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व पर प्रकाश डाला। मान के अनुसार, विश्वविद्यालय की सीनेट का गठन ऐतिहासिक रूप से हर चार साल में किया जाता है, जिसके सदस्यों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है। हालाँकि, 31 अक्टूबर को वर्तमान सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, चुनाव नहीं हुए हैं, जो विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से चली आ रही परंपरा का घोर उल्लंघन है। मान ने इस देरी को संकाय, छात्रों और पूर्व छात्रों सहित विश्वविद्यालय के हितधारकों के लिए अभूतपूर्व और अत्यधिक भावनात्मक बताया। पंजाब की सभी पार्टियों के नेता इस मुद्दे पर जोरदार प्रतिक्रिया दे रहे हैं और विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।