चले थे नगर निगम की इनकम बढ़ाने, उल्टा जनता व साथियों के कोपभाजन का बने शिकार: चौतरफा विरोध से बिजली सैस बढ़ाने के प्रस्ताव पर यू-टर्न
- By Vinod --
- Thursday, 21 Nov, 2024
They had set out to increase the income of the Municipal Corporation, but on the contrary they becam
They had set out to increase the income of the Municipal Corporation- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चौतरफा विरोध के बाद नगर निगम की आगामी बैठक में बिजली बिलों पर पंजाब की तर्ज पर अतिरिक्त सैस लगाने का पेश किया जाने वाला प्रस्ताव अब नहीं लाया जाएगा। नगर निगम के मेयर कुलदीप कुमार के मुताबिक बिजली पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के प्रस्ताव को वापिस ले लिया गया। यानि लोगों के ऊपर अतिरिक्त बिजली सैस डालने की जो तैयारी थी, उस पर वापिस पांव खींच लिये गये हैं। 24 घंटे से भी कम समय में मेयर कुलदीप कुमार ने यह यू-टर्न लिया है।
इस प्रस्ताव का निगम की सत्ता पर काबिज इंडी गठबंधन के पार्टनरों ने भी किया। इससे भी आगे आप नेता भी प्रस्ताव का विरोध करने में पीछे नहीं रहे। यानि भाजपा ने तो तुरंत ही इस मुद्दे को लपक लिया और विरोध शुरू कर दिया लेकिन आप पार्टी के निगम में पार्टनर कांग्रेस को भी घेरे में ले लिया। इसके बाद आप पार्टी और उसके मेयर को गठबंधन के साथी कांग्रेस और आप के वरिष्ठ नेताओं ने भी घेर लिया।
बता दें कि नगर निगम की सत्ता पर फिलहाल इंडी गठबंधन की दो पार्टियों, आप और कांग्रेस का कब्जा है। मेयर कुलदीप कुमार आप पार्टी से हैं जो कांग्रेस के पार्षदों के सहयोग से निगम चला रहे हैं।
जैसे ही नगर निगम के एजेंडे में बुधवार को बिजली बिलों पर पंजाब की तर्ज पर 10 पैसे की बजाये 16 पैसे लिये जाने का प्रस्ताव डला, तुरंत कांग्रेस समेत, आप नेता भी हरकत में आ गए। कांग्रेस के चंडीगढ़ यूनिट के प्रधान हरमोहिंदर सिंह लक्की ने इस प्रस्ताव को लेकर घोषणा की कि कांग्रेस के पार्षद निगम बैठक में इस प्रस्ताव का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि जनता के ऊपर किसी तरह का भार स्वीकार नहीं किया जाएगा। मेयर कुलदीप कुमार के प्रस्ताव वापिस लेने से पहले हरमोहिंदर सिंह लक्की ने भी घोषणा कर दी थी कि चंडीगढ़ में बिजली बिलों पर म्यूनिसिपल टैक्स वृद्धि का प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव अब निगम बैठक में नहीं रखा जाएगा। भाजपा की ओर से इस पर पलटवार किया गयाष चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता नरेश अरोड़ा ने कहा कि लक्की लोगों को केवल गुमराह कर रहे हैं। नगर निगम में बिजली बिलों पर सैस बढ़ाने का खेल कांग्रेस की मर्जी से हुआ है। अब दिखावा ऐसे किया जा रहा है जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं था। नरेश अरोड़ा का कहना है कि आप और कांग्रेस की यह मिलीभगत है। अगर सचमुच कांग्रेस को चंडीगढ़ की जनता का ख्याल है तो आप पार्टी जिसका मेयर बनाये कांग्रेस बैठी है, उससे समर्थन वापिस ले ताकि स्पष्ट हो सके कि विरोध सचमुच जायज था। अगर ऐसा कांग्रेस नहीं कर सकती तो लोगों को मूर्ख बनाना बंद करे। जनता सब समझती है। बिजली बिलों पर प्रति यूनिट 6 पैसे म्यूनिसिपल सैस बढ़ाये जाने को लेकर आप के वरिष्ठ नेता प्रेम गर्ग ने भी मोर्चा खोला। उन्होंने भी कहा कि जनता पर बोझ डालना किसी तरह से जायज नहीं है। उन्होंने इसे मूर्खतापूर्ण और जनविरोधी कदम बताया। उन्होंने पार्षदों से इसका विरोध करने को कहा और अनुरोध किया कि अगर निगम का राजस्व बढ़ाना है तो अन्य तरीके खोजे जाने चाहिए।
जनता को लगने जा रहा था दोहरा झटका
चंडीगढ़ नगर निगम अपनी आय बढ़ाने के मकसद से शहर के लोगों को जोर का झटका देने जा रहा था। पहले तो शहर की जनता को ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी रेगुलेटरी कमीशन की ओर से झटका दिया गया और बिजली के रेट बढ़ाए गये और अब नगर निगम इलेक्ट्रीसिटी बिलों पर म्यूनिसिपल सैस बढ़ाने जा रहा है। बिजली बिलों पर जनता पर दोहरी मार की जा रही थी। चंडीगढ़ नगर निगम की 23 नवंबर को होने जा रही 342वीं बैठक का बुधवार को एजेंडा जारी किया गया जिसमें इलेक्ट्रीसिटी बिलों पर म्यूनिसिपल सैस 10 पैसा प्रति यूनिट से बढ़ाकर 16 पैसे प्रति यूनिट किया जा रहा है। यानि प्रति सौ यूनिट पर 6 रुपये बढ़ेंगे। हवाला दिया गया कि यह पंजाब पैट्रन पर किया जा रहा है। इस प्रस्ताव के हक में एजेंजे में इससे होने वाले राजस्व की रकम भी बताई गई। कहा गया कि इससे नगर निगम की प्रतिवर्ष हो रही 15 से16 करोड़ की इनकम 22 से 23 करोड़ रुपये हो जाएगी। बता दें कि पंजाब में इलेक्ट्रीसिटी बिलों पर 2 प्रतिशत म्यूनिसिपल सैस लगता है जो करीब 16 पैसा प्रति यूनिट है। हरियाणा में यह प्रति यूनिट 8 पैसे है।
प्रशासक भी दिखा चुके हैं ठेंग
यहां बता दें कि नगर निगम, चंडीगढ़ गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। निगम के पास शहर के विकास को भी पैसा नहीं है। प्रशासन से नगर निगम के मेयर कुलदीप कुमार ने मदद मांगी तो उन्हें प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की ओर से ठेंगा दिखा दिया गया। उनके अतिरिक्त ग्रांट दिये जाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया और कहा गया कि निगम अपने स्रोतों से ही पैसा जुटाए। मेयर समेत नगर निगम के अफसरों ने पहले तो उन सरकारी महकमों पर शिकंजा कसना शुरू किया जिन्होंने बीते कई सालों से प्रापर्टी टैक्स नहीं दिया। कई मोटे डिफॉल्टर महकमों को नोटिस जारी किया गया। इनसे रकम मिलेगी या नहीं, यह तो फिलहाल निश्चित नहीं लेकिन इस बीच निगम की मीटिंग में प्रस्ताव लाया गया कि बिजली सैस 10 पैसे प्रति यूनिट से बढ़ाकर पंजाब की तर्ज पर 16 पैसे प्रति यूनिट किया जाएगा। हर माह उपभोक्ता पर प्रति सौ यूनिट पर छह रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव था। अगर कोई 500 यूनिट प्रतिमाह खर्च करता है तो उस उपभोक्ता से 36 रुपये बिजली सैस के रूप में लिये जाएंगे।