श्री मद भागवत कथा व वृन्दावन प्राकट्य उत्सव धूम धाम से संम्पन

Sri Mada Bhagavat Katha and Vrindavan Prakatya Utsav

Sri Mada Bhagavat Katha and Vrindavan Prakatya Utsav

‘हंसा करो हंसाया करो, बागेश्वर धाम अपने बाप के घर आया जाया करो’: कथामें बोले धीरेंद्र शास्त्री

चंडीगढ़: Sri Mada Bhagavat Katha and Vrindavan Prakatya Utsav: श्री कृष्ण प्रिया जू संकीर्तन मण्डल के तत्वाधान में दिनांक 7 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक सेक्टर 34, के मेला ग्राउंड में रोजाना दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक श्री मद भागवत कथा का आज विराम हुआ आज कथा में विश्व विख्यात बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज आशीर्वाद देने पहुंचे  इस प्राकट्य उत्सव के अवसर पर वृन्दावन से विश्व विख्यात कथा व्यास परम आदरणीय श्री इंद्रेश जी महाराज ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज का स्वागत किया और इस कार्यक्रम के आयोजक बालीवुड के सुप्रसिद्ध गायक बी - प्राक द्वारा  बागेश्वर धाम के पीठाधीश जी को शाल भेट कर स्वागत किया इस अवसर पर धीरेंद्र शास्त्री ने आशीष प्रवचन देते हुए बताया की अभगत दुसरो को गुलाम बनाना चाहता है और भगत दूसरे का दास बनना चाहता है  और बताया जहाँ प्रेम होता है वहा आँखे बोलती है चंडीगढ़ के भगतो को बताया की सात दिनों से आप ने चंडीगढ़ को ब्रज बना रखा इस ब्रज को बनाये रखना ‘हंसा करो हंसाया करो, बागेश्वर धाम अपने बाप के घर आया जाया करो’- कथामें में बताया भारत में वर्तमान में माला और भाला   दोनों महत्व बताते हुए बताया की माला भगति का प्रतीक और भाला लडकियो की रक्षा प्रतीक भारत को राम राज्य बनाने के प्रसंग सुनाया ओर  बताया की "ऐसी कोई गली नहीं जहाँ बजरंग बली की चली नहीं "

इस अवसर कथा आरम्भ करते हुए कथा व्यास  इंद्रेश जी महाराज अपनी दिव्य वाणी में कथा विराम के अवसर पर उद्धव प्रसंग, द्वारिका प्रसंग,कृष्ण से मिलने का गोपी प्रसंग,परीक्षित प्रसंग,के साथ ही श्री मदभागवत कथा को सांगितमय भजनो से कथा को विराम की और ले गए इस अवसर और आयोजक के बालीवुड के सुप्रसिद्ध गायक बी - प्राक ने बताया की जब तक शरीर में प्राण है तव तक भागवत कथा करवाता रहूँगा  और कथा व्यास परम आदरणीय श्री इंद्रेश जी महाराज को दंडवत प्रणाम कर धन्यवाद किया और साथ समस्त भगतो एवं प्रशाशन, पुलिस अधिकारिओ,और संदीप चुग के साथ सभी सहयोगिओ को सम्मानित कर  धन्यवाद दिया 
कथा उपरांत आरती कर प्रसाद भण्डारा वितरित किया गया