सुना आपने! पेड़ों का गजब आशिक है चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस का ये पुलिसमैन, लोग ऐसे ही नहीं कहते 'ट्रीमैन'

सुना आपने! पेड़ों का गजब आशिक है चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस का ये पुलिसमैन, लोग ऐसे ही नहीं कहते 'ट्रीमैन'

Chandigarh Traffic Policeman Devinder Singh Tree Man Story

Chandigarh Traffic Policeman Devinder Singh Tree Man Story

''सांसों को जीने का सहारा मिल गया, पेड़ लगे तो ऑक्सीजन खूब सारा मिल गया''... अब आप समझ ही गए होंगे कि बात पेड़ों के निर्माण और उनकी अहमियत की हो रही है| इस दुनिया में पेड़ों का एक अलग और बहुत बड़े स्तर पर काफी गहरा महत्व है| हमने इस दुनिया में जन्म तो ले लिया है लेकिन उस जन्म को जीवंत रखने में पेड़ भी अपना अथक योगदान दे रहे हैं| बात साफ है कि प्रकृति रूपी पर्यावरण बचेगा तो सांसे बचेंगी और अगर पर्यावरण पर हम बेपरवाह रहेंगे तो एक दिन इसका खामियाजा हम खुद भुगत भी रहे होंगे और देख भी रहे होंगे| इसलिए पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने की बजाय उन्हें संजोइए और एक बच्चे की तरह पालते हुए उन्हें बड़ा किये जिए| इससे आपको भी फायदा होगा और दूसरों को भी| यार आप चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के इस पुलिसमैन से क्यों नहीं कुछ सीखते| जिसने पेड़ों को संजोने के लिए अपना शारीरिक जीवन तो समर्पित किया ही हुआ है साथ ही अपनी कमाई भी पर्यावरण पर न्योछावर कर रखी है| यही कारण है कि आज चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के इस पुलिसमैन को लोग 'ट्री मैन' के नाम से जानते हैं, बुलाते हैं|

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नाम है देविंदर सिंह....

बतादें कि, चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के इस पुलिसमैन यानि 'ट्री मैन' का नाम देविंदर सिंह है| देविंदर सिंह मूल रूप से हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं| देविंदर सिंह के अनुसार, साल 2011 में कांस्टेबल के तौर पर उनका चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस में सिलेक्शन हुआ था| देविंदर सिंह बताते हैं कि जब उन्होंने हरियाणा से आकर चंडीगढ़ में ड्यूटी ज्वाइन की तो वह चंडीगढ़ को देख बेहद प्रभावित हुए| सिटी ब्यूटीफुल की खूबसूरती उन्हें अंदर ही अंदर मोह रही थी| इसके बाद उन्होंने इस खूबसूरती की वजह को जब निहारा तो वह और ज्यादा कायल हो गए| चंडीगढ़ की खूबसूरती की वजह थी हरियाली और ऐसी हरियाली कि जिस देखने से मन कतई न ऊबे| फिलहाल, चंडीगढ़ की इसी हरियाली को देख देविंदर सिंह के मन में ललक जागी कि अब वह हरियाली को बनाये रखने और इसे बढ़ाने में अपना अथक योगदान देंगे|

साल 2012 से काम पर लग गए देविंदर सिंह....

अब साल था 2012| जब चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के पुलिसमैन देविंदर सिंह ने हरियाली में योगदान देने को लेकर एक जूनून के रूप में अपना पहला कदम आगे बढ़ाया| बस फिर क्या था देविंदर सिंह इस कड़ी में आगे ही बढ़ते चले गए| देविंदर सिंह ने पर्यावरण बचाव अभियान में जो पौधारोपण शुरू किया| उस कतार में उन्होंने और भी लोगों को लाकर खड़ा कर दिया| आज देविंदर सिंह अकेले ही पेड़-पौधों को नहीं संजो रहे हैं बल्कि उनके साथ इस मुहीम में हजारों की तादाद में लोग जुड़ गए हैं| जो कि पर्यावरण बचाव अभियान में पौधारोपण कर उन पौधों को जीवंत रख उन्हें पेड़ का रूप दे, इस धरा को हरा-भरा करने के साथ प्रकृति से तालमेल बना रहे हैं|

लोन भी लिया....

चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस के पुलिसमैन देविंदर सिंह पेड़-पौधे के प्रति इतने ज्यादा आकर्षित हैं कि अगर उन्हें पेड़ों का आशिक कहा जाए तो कोई हर्ज नहीं| पेड़ों से उनके प्यार का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वह इस अभियान के लिए जहाँ अपनी सैलरी लगा रहे हैं तो वहीं इसके अलावा उन्होंने पेड़ों के खातिर लोन भी उठाया हुआ है| देविंदर सिंह बताते हैं कि वह और इस अभियान में उनसे जुड़ी टीम अबतक करीब दो लाख पौधे लगा चुकी है| वहीं देविंदर सिंह ने सोनीपत में एक बड़ी नर्सरी भी तैयार की हुई है जबकि हरियाणा में अलग-अलग जगहों पर छोटी-छोटी कई नर्सरी तैयार की हैं| इसके अलावा ऑक्सीजन बाग़ बनाने पर देविंदर सिंह ज्यादा जोर दे रहे हैं| देविंदर सिंह भारतीय प्रजाति के पेड़ों को बढ़ावा देते हैं|

कमाई लगा देते हैं तो घर की आर्थिक स्थिति...

देविंदर सिंह से जब पूछा गया कि आपका परिवार भी है और आप अपनी कमाई इसमें लगा रहे हैं तो घर पर आर्थिक स्थिति कैसे मैनेज होती है? इसपर देविंदर सिंह का कहना था कि उनके पिता जी आर्मी से रिटायर हैं उनको पेंशन मिलती है| वह आर्थिक स्थिति मैनेज कर रहे हैं और उनका पूरा समर्थन उन्हें मिला हुआ है| परिवार के अन्य लोग भी पूरा समर्थन दे रहे हैं| इसके अलावा चंडीगढ़ प्रशासन, पुलिस और हरियाणा शासन-प्रशासन से भी सपोर्ट मिल रहा है|

उपाधि से खुशी नहीं, पक्षियों के चहक सुनने की खुशी...

वहीं, जब देविंदर सिंह से पूछा गया कि आपको ट्री मैन के नाम से जाना जाने लगा है| कैसा लगता है आपको? इसपर देविंदर सिंह का कहना था कि यह लोगों द्वारा दी गई उन्हें एक संज्ञा है| इससे उन्हें ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है| उन्हें असली खुशी तब मिलती है जब वह देखते हैं कि पेड़ों का निर्माण हो रहा है| पौधों का पालन-पोषण रंग लाया और वह पेड़ के रूप में तैयार हो गए| देविंदर सिंह का कहना है कि जीवन में प्रकृति ही वास्तविक है| इससे जुड़िये| इससे तालमेल बनाइये| इससे ही आत्मा को संतुष्टी और खुशी मिलेगी|

 

REPORT - SAJAN SHARMA

EDITED by SHIVA TIWARI