Chandigarh sector 26 bad situation

सिटी ब्यूटीफुल का जीता जागता नरक, सेक्टर 26 का ट्रांसपोर्ट एरिया:हालात देख हर कोई शर्मिंदा, प्रशासन को शर्म नहीं

Chandigarh sector 26 bad situation

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चंडीगढ़, 20 जुलाई (साजन शर्मा) चंडीगढ़ जैसे सिटी ब्यूटीफुल का एक ऐसा एरिया भी है जिसे जीते जागते नरक की संज्ञा दी जा सकती है। यहां आने वाले लोगों को प्रशासन इंसान नहीं बल्कि जानवर समझ रहा है। यही वजह है कि इन्हें बीते काफी समय से मूलभूत सुविधाओं से भी महफूज रखा गया है। यहां रोजाना आने वाले लोग ऐसे नारकीय हालातों से गुजर रहे हैं कि देखने वाला भी शर्मिंदा हो जाए। प्रशासनिक अमले को इनके हालातों पर कोई शर्म नहीं आ रही।

प्रशासन की तो शायद यहां के हालातों पर तो नजर ही नहीं जा रही। यहां से होने वाले रेवेन्यू पर जरूर टकटकी लगाकर देखता है। दिन रात पार्किंग के नाम पर आने-जाने वाले ट्रकों की धड़ाधड़ रसीदें काटी जाती हैं लेकिन इलाके के हालात बदलने को कोई तैयार नहीं।
सेक्टर 26 में बने ट्रांसपोर्ट एरिया के इतने बुरे हालात हैं कि यहां मूलभूत सुविधाओं तक का जबरदस्त टोटा है। ट्रांसपोर्ट एरिया में फिलहाल करीब 700 ट्रांसपोर्टर हैं। यहां इतना भीड़ भडक़ा हो चुका है कि ये काम कम कर पा रहे हैं लेकिन परेशानियां ज्यादा झेल रहे हैं। इन 700 ट्रांसपोर्टर मालिकों के अलावा इनके पास करीब 3 हजार लेबर, 2 हजार कर्मचारी काम करते हैं।  2 हजार के करीब ही ड्राइवर -क्लीनर रोजाना पहुंचते हैं। यानि लगभग 8 हजार लोग इस ट्रांसपोर्ट एरिया में रोजा कामकाज को पहुंचते हैं लेकिन इनके लिए नगर निगम ने कोई सुविधा यहां नहीं दे रखी। ट्रक चालकों के मुताबिक पीने के पानी की यहां सबसे बड़ी दिक्कत है। इतनी आबादी के लिए शौचालय भी यहां बहुत कम बने हुए हैं। बरसात के दौरान तो पूरा ट्रांसपोर्ट एरिया नरक बन जाता है। रेन वॉटर के पाइप पूरी तरह डैमेज हो चुके हैं। इनके भीतर तो पानी कम चलता है लेकिन बाहर ज्यादा चलता है। एक बार ठीकठाक बरसात हो जाये तो कई कई दिन तक पानी की निकासी नहीं हो पाती। पानी खड़ा होने के कारण मच्छरों की भरमार है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम या प्रशासन को इनकी परेशानियों के बारे जानकारी नहीं। प्रशासनिक अफसर व राजनीतिक लोग सब कुछ जानने बूझने के बाद भी इन समस्याओं को नजरांदाज कर रहे हैं। यही वजह है कि ट्रांसपोर्ट एरिया के लोगों की दिक्कतों को सुलझाने का अभी तक किसी ने ठोस आश्वासन नहीं दिया गया।

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700 ट्रकों का रोजाना अप-डाऊन
एक दिन की बात करें तो यहां हर रोज करीब 700 ट्रकों का अप-डाऊन होता है। नगर निगम को इससे रोजाना मोटा रेवेन्यू भी मिलता है। पार्किंग के नाम पर इन ट्रक चालकों से अलग-अलग कैटेगरी के 150 रुपये से लेकर 220 रुपये तक वसूले जाते हैं। छह टायर के ट्रक से लेकर 16 टायर के ट्रक की श्रेणियां पार्किंग चार्ज के तौर पर बनाई गई हैं। हर रोज प्रशासन को यहां से 15 से 20 हजार के बीच कमाई होती है। यानि हर माह 5 से 6 लाख रुपये की आसानी से पार्किंग के जरिये ही रकम मिल रही है लेकिन एरिया की सुविधाओं की ओर प्रशासन व नगर निगम का कोई ध्यान नहीं। ऐसा नहीं है कि ये ट्रांसपोर्टर व उनके नुमाइंदे ट्रांसपोर्ट एरिया में सुविधाओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों या राजनीतिज्ञों से नहीं मिले। चंडीगढ़ के प्रशासक से लेकर डीसी, नगर निगम की कमिशनर, सांसद किरण खेर, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से ये लोग मिल चुके हैं। अपनी मांगों का पूरा ब्यौरा उन्हें सौंपा लेकिन अभी तक कोरे आश्वासन के अलावा हल कोई नहीं निकला।

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50 साल पहले ट्रांसपोर्टरों को दिये थे 29 प्लाट
पवन शर्मा के मुताबिक 50 साल पहले केवल 29 प्लॉट ट्रांसपोर्टरों को यहां दिये गए थे। ये ट्रांसपोर्टर बढक़र अब 700 तक पहुंच चुके हैं। इन्होंने आगे लगभग 2 हजार कर्मचारी रखे हुए हैं। इतनी ही लेबर यहां काम कर रही है। पंद्रह सौ से दो हजार ड्राइवर व क्लीनर भी एक वक्त में यहां रहते हैं। सीवरेज की ऐसी समस्या है कि पानी बाहर नहीं निकलता। इतने सारे लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट एरिया में शौचालयों की भी उचित संख्या नहीं। पीने का पानी भी यहां मुहैया नहीं होता। ट्रक ड्राइवरों व क्लीनरों को शौचालय इत्यादि से पानी लेकर ही खाने पीने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है। पवन शर्मा के मुताबिक हम भी इसी समाज का अभिन्न अंग हैं। बीते दिनों खुद अपने तौर पर उन्होंने एरिया को हरा-भरा करने के लिए 150 से 200 पौधे वहां लगवाए ताकि धूप, बरसात इत्यादि से बच सकें। कुछ हरियाली यहां हो जाए। इनकी देखभाल के लिए नगर निगम माली उपलब्ध करवा सकता है लेकिन कोई सुन ही नहीं रहा। इतने गंदे हालात में इस एरिया में लोग रहते हैं कि जिंदगी नरक लगती है। ट्रक चालक ट्रांसपोर्ट एरिया में घुसने से परहेज करते हैं। ट्रकों को कई मर्तबा सडक़ों पर ही खड़ा कर लेते हैं। उनके मुताबिक यहां काम कर रहे लोगों की मजबूरी को कोई नहीं समझ रहा।

ट्रकों से उतार ले जाते हैं ट्रक
ट्रांसपोर्ट एरिया के पिछली तरफ एक छोटी सी दीवार बनाकर बाऊंड्री बनाई गई है। इस बाऊंड्री की तरफ बापू धाम कालोनी लगती है। जो ट्रक रात को ट्रांसपोर्ट एरिया के भीतर दाखिल होते हैं,उनके टायर व सामान इत्यादि गायब हो जाते हैं। यानि यहां ट्रक के साथ आने वाले ट्रक ड्राइवरों की बिलकुल भी सुरक्षा नहीं है। चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के उपप्रधान पवन शर्मा के मुताबिक ट्रकों के टायर तक निकाल कर असामाजिक तत्व ले जाते हैं। ट्रक ड्राइवरों के मोबाइल व अन्य सामान भी निकाल लेते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से ट्रक यहां खड़ा करना बिलकुल भी ठीक नहीं है लेकिन क्या करें मजबूरी के चलते खड़ा करना पड़ता है। नगर निगम और प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं कि इस बाऊंड्री को बड़ा करा दिया जाए या फिर यहां छोटी बाऊंड्री के ऊपर तार की बाड़ लगा दी जाए ताकि बापू धाम की ओर से असामाजिक तत्व इस तरफ न कूद सकें लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। उनके मुताबिक यहां समुचित लाइटिंग की व्यवस्था भी नहीं है। अंधेरे का लाभ उठाकर ही चोरियां होती हैं।  

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मास्टर प्लान में दडिय़ा व मक्खन माजरा में ट्रांसपोर्ट एरिया का जिक्र
पवन शर्मा के मुताबिक ट्रांसपोर्टर व यहां काम करने वाले लोगों ने वर्ष 2006 से समस्याओं को लेकर प्रशासन के सामने गुहार लगाने की शुरुआत की थी लेकिन न तो किसी प्रशासक ने सुनी और न अधिकारियों ने। एक-एक कर सब अपना कार्यकाल पूरा कर निकल लिये, उनकी समस्याएं जस की तस हैं। पवन शर्मा के मुताबिक उनसे लगातार यह कहा जा रहा है कि दडिय़ा और मक्खन माजरा में 39 एकड़ जमीन ट्रांसपोर्टर नगर के लिए दी जा रही है। मास्टर प्लान में इसका जिक्र है। अगर इस योजना को प्रशासन सिरे चढ़ाना चाहता है तो चंडीगढ़ में ट्रैफिक कम हो जाएगा क्योंकि ट्रक बाहर ही बाहर से सामान उतार कर चलते बनेंगे लेकिन यह कब होगा धरातल पर तो कुछ नजर नहीं आ रहा।