Chandigarh Mayor Election 2025: चंडीगढ़ में मेयर चुनाव-2025 की घोषणा; प्रशासन ने जारी कर दी अधिसूचना

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव-2025 की घोषणा; प्रशासन ने जारी कर दी अधिसूचना, किस तारीख को इलेक्शन, इस बार पीठासीन अधिकारी कौन?

Chandigarh Mayor Election 2025 Announced Today News Update

Chandigarh Mayor Election 2025 Announced Today News

Chandigarh Mayor Election 2025: चंडीगढ़ में मेयर चुनाव-2025 की घोषणा कर दी गई है। प्रशासन ने मंगलवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना के मुताबिक, 24 जनवरी 2025 को मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होगा। उम्मीदवार 20 जनवरी शाम 5 बजे तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं।

वहीं 24 जनवरी को पहले सुबह 11 बजे मेयर पद के लिए नगर निगम सदन में वोटिंग होगी। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और फिर डिप्टी मेयर पद के लिए वोट पड़ेंगे। इस समय आम आदमी पार्टी के नेता कुलदीप कुमार टीटा चंडीगढ़ के मेयर हैं। उन्हें कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त है। दरअसल, चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों पार्टियां गठबंधन में हैं।

इस बार पीठासीन अधिकारी कौन?

चंडीगढ़ में मेयर चुनाव-2025 के लिए इस बार पीठासीन अधिकारी (प्रीसाइडिंग ऑफिसर) यानि चुनाव अधिकारी के तौर पर नॉमिनेटेड काउंसलर रमणीक बेदी की नियुक्ति की गई है। वहीं हर बार की तरह इस बार भी मेयर चुनाव-2025 में सीक्रेट बैलेट के माध्यम से ही वोटिंग होगी। चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से आम आदमी पार्टी की ओपन वोटिंग की मांग खारिज कर दी गई है।

इसी के साथ आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने मांग की थी कि मेयर का चुनाव 20 फरवरी से पहले न कराया जाए। कहा गया था कि, वर्तमान मेयर कुलदीप कुमार का कार्यकाल 19 फरवरी 2025 तक होना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी 2024 को आदेश देकर कुलदीप कुमार को मेयर पद के लिए नियुक्त किया था। अगर 20 फरवरी से पहले चुनाव कराया जाता है तो मेयर का 1 साल की कार्यकाल पूरा नहीं होगा।

पिछले मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था

30 जनवरी 2024 को हुए पिछले Chandigarh Mayor Election में जो हुआ था, वह तो आपको अच्छे से याद ही होगा कि कैसे मनोनीत पार्षद अनिल मसीह (उस समय पीठासीन अधिकारी) ने कांग्रेस-आप गठबंधन के गलत तरीके से 8 वोट अवैध घोषित कर दिये थे। अनिल मसीह ने जानबूझकर गठबंधन के वोटों पर पेन से निशान लगाए और वोट खराब किए।

वहीं 8 खराब मानते हुए अनिल मसीह ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन की हार डिक्लेयर कर दी। क्योंकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को उस दौरान गठबंधन के 20 वोटों में से 12 वोट ही मिले। वहीं चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में बीजेपी के मनोज सोनकर की 16 वोट मिलने से जीत घोषित कर दी गई। इस बीच आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ फर्जीवाड़े और गड़बड़ी को लेकर का मोर्चा खोल दिया था।

कांग्रेस-आप गठबंधन ने सबसे पहले हाईकोर्ट का रुख किया। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। जिसके बाद इस मामले में पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान पिछले साल पांच फरवरी को सुनवाई के बीच चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अनिल मसीह पर सख्त टिप्पणी की और मसीह को व्यक्तिगत पेश होने का आदेश दिया।

उस दौरान सीजेआई ने मेयर चुनाव में गड़बड़ी के संबंध में पेश वीडियो को देखते हुए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था- चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी ने जो भी किया है, वह लोकतंत्र की 'हत्या' और 'मजाक' है। चुनावी प्रक्रिया का मजाक बनाया गया है। सीजेआई ने आगे कहा था कि, पीठासीन अधिकारी का यह कैसा व्यवहार है?

वीडियो में साफ दिख रहा है कि पीठासीन अधिकारी कैमरे की तरफ बार-बार देख रहा है और बैलट पेपर ख़राब कर रहा है। क्या इसी तरह चुनाव करवाया जाता है? CJI ने कहा था कि वीडियो में पीठासीन अधिकारी का व्यवहार साफतौर पर संदिग्ध है। इस अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या की नहीं होने दे सकते। अनिल मसीह को कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भी जारी किया था। वहीं अनिल मसीह ने कोर्ट में माना था कि उन्होंने बैलेट पेपर में क्रॉस के निशान बनाए थे।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बारे में

मालूम रहे कि, चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। इस चुनाव में जनता वोट नहीं करती है। जनता द्वारा चुने हुए पार्षद इस चुनाव में वोट डालते हैं। मेयर चुनाव में मौजूदा सांसद का वोट भी पड़ता है। मौजूदा समय में मेयर चुनाव के लिए सांसद के एक वोट समेत कुल 35 पार्षदों के वोट हैं। लेकिन इस बार बीजेपी के पास अपना सांसद नहीं है। इस बार कांग्रेस के पास सांसद के वोट की ताकत है। यानि इस बार किरण खेर के बजाय मनीष तिवारी वोट करेंगे।

क्रॉस वोटिंग का अंदेशा भी बरकरार रहता

चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान पार्षदों की वोटिंग में क्रॉस वोटिंग का अंदेशा भी बरकरार रहता है। अक्सर क्रॉस वोटिंग देखने को मिलती है। मतलब किसी पार्टी के लिए बाजी किसी भी वक्त पलट जाती है। वहीं चुनाव से पहले पार्षदों के जोड़-तोड़ की उठापटक भी खूब देखी जाती है।

बीजेपी 2016 से लगातार 2023 तक नगर निगम की सत्ता में काबिज

चंडीगढ़ बीजेपी 2016 से लगातार 2023 तक नगर निगम की सत्ता में काबिज रही है। यानि 8 सालों से चंडीगढ़ में बीजेपी का ही मेयर बनता रहा है। वहीं पिछले मेयर चुनाव 2024 में बीजेपी जीती तो लेकिन उसकी जीत कोई काबिल नहीं रही। फर्जीवाड़े के चक्कर में फंसकर बीजेपी के जीते हुए मेयर को इस्तीफा देना पड़ा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी कांग्रेस-आप गठबंधन के मेयर उम्मीदवार की जीत पर मुहर लगाई। जिससे सिर्फ चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में बीजेपी को लेकर गलत संदेश गया।