चंडीगढ़ मेयर चुनाव से कांग्रेस का फिर किनारा, VIDEO; अध्यक्ष का ऐलान- पार्टी का कोई पार्षद नहीं डालेगा वोट, BJP और AAP को हमारा साथ कभी नहीं
Chandigarh Mayor Election 2023
Chandigarh Mayor Election 2023: चंडीगढ़ मेयर चुनाव से कांग्रेस ने फिर पूरी तरह से किनारा कर लिया है। इस साल भी कांग्रेस के पार्षद मेयर चुनाव की वोटिंग में शामिल नहीं होंगे। वहीं चुनाव की नामांकन प्रक्रिया से कांग्रेस ने पहले ही दूरी बना ली थी। हालांकि, फिर भी यह माना जा रहा था कि कांग्रेस वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेगी। परन्तु कांग्रेस ने अब यहां से भी खुद को अलग कर लिया.
दरअसल, चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लकी ने फाइनल ऐलान कर दिया है कि पार्टी का कोई भी पार्षद चंडीगढ़ मेयर चुनाव 2023 में हिस्सा नहीं लेगा। लकी के अनुसार, पार्षदों की एक मीटिंग कर सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है। पार्टी का कोई भी पार्षद वोट नहीं डालेगा। बतादें कि, चंडीगढ़ कांग्रेस के पास वर्तमान में कुल 6 पार्षद हैं। दो अन्य पार्षद टूटकर बीजेपी में जा चुके हैं।
BJP और AAP को हमारा साथ कभी नहीं
इस दौरान चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लकी ने यह भी साफ़ कर दिया कि उनकी पार्टी का साथ BJP और AAP को कभी नहीं मिल सकता। हरमोहिंदर सिंह लकी ने कहा कि, कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ती है और उक्त दोनों पार्टियां भी कांग्रेस की विरोधी हैं। जनता या तो इनके खिलाफ जाकर कांग्रेस को वोट करती है या फिर कांग्रेस के खिलाफ जाकर इनको। इसलिए ऐसे में जब जनता ने कांग्रेस को विपक्ष में बैठाया है तो वह विपक्ष में ही बैठेगी और जनता की आवाज को सड़क से सदन तक उठाएगी। लकी ने कहा कि अगर BJP और AAP को कांग्रेस के साथ की तनिक भी उम्मीद रहती है तो यह बेमानी है। ऐसा कभी नहीं होगा।
बीजेपी और आप एक जैसी पार्टी
चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लकी का कहना है कि, बीजेपी और आप दोनों एक जैसी पार्टी हैं। इनका कोई भरोसा नहीं है। दोनों ही पार्टियां अन्य पार्टी में सेंधमारी का काम करती हैं।
देखें वीडियो
चंडीगढ़ मेयर चुनाव 17 जनवरी को
बतादें कि, चंडीगढ़ में इस बार मेयर चुनाव 17 जनवरी को होना है। मेयर चुनाव में इस बार AAP ने मेयर के लिए जसवीर सिंह लाडी, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए तरुणा मेहता और डिप्टी मेयर के लिए सुमन देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि बीजेपी ने मेयर के लिए अनूप गुप्ता, सीनियर डिप्टी मेयर के लिए कंवरजीत राणा और डिप्टी मेयर के लिए हरजीत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मेयर चुनाव के बारे में
मालूम रहे कि, मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है। इस चुनाव में जनता वोट नहीं करती है। जनता द्वारा चुने हुए पार्षद इस चुनाव में वोट डालते हैं। वर्तमान में अगर चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर अलग-अलग पार्टियों की स्थिति देखें तो आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षदों की संख्या बराबर (14-14) है। बीजेपी के पास सांसद का एक वोट अलग से है। मेयर चुनाव में सांसद का वोट भी पड़ता है। बतादें कि, कांग्रेस के पास पार्षदों की संख्या 6 है, जबकि अकाली के पास एक 1 पार्षद है।
पार्षदों पर मत जाइए, क्रॉस वोटिंग से पलट जाती है बाजी
दरअसल, नेताओं की वोटिंग में क्रॉस वोटिंग का अंदेशा बरकरार रहता है। जहां किसी पार्टी के लिए बाजी किसी भी वक्त पलट जाती है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अक्सर क्रॉस वोटिंग देखने को मिलती है।
चंडीगढ़ का पिछला मेयर चुनाव 8 जनवरी को हुआ था
चंडीगढ़ का पिछला मेयर चुनाव 8 जनवरी 2022 को हुआ था। इस चुनाव में चंडीगढ़ के मेयर का ताज बीजेपी की सरबजीत कौर के सिर सजा था। वार्ड नंबर- 6 से बीजेपी पार्षद सरबजीत कौर चंडीगढ़ की 28वीं मेयर बनी थीं। सरबजीत कौर ने वार्ड नंबर- 22 से पार्षद और आप की मेयर उम्मीदवार अंजू कत्याल एक वोट से हराया था। इस चुनाव में भी सीधी टक्कर आप और बीजेपी में हुई थी। कांग्रेस और अकाली ने मेयर चुनाव (2022) में हिस्सा नहीं लिया था।
35 में 14 वार्ड जीत के भी AAP के हाथ पूरी तरह खाली रह गए
बतादें कि, चंडीगढ़ के 35 वार्डों में आम आदमी पार्टी के पास 14 वार्ड हैं। यानि पार्टी ने शहर के 14 वार्डों में अपना कब्जा जमाया हुआ है। उसके पास कुल 14 पार्षद हैं। वहीं पिछले मेयर चुनाव के दौरान कांग्रेस के 1 पार्षद के पार्टी में शामिल होने के बाद बीजेपी के पास कुल 13 पार्षद हो गए थे। वहीं इस दौरान कांग्रेस के पास 7 और अकाली दल के पास पार्षद की संख्या 1 थी।
सांसद के चलते बराबरी की टक्कर
चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर बीजेपी से हैं तो ऐसे में लाजमी है कि उनका वोट बीजेपी को ही जाता है। इसलिए जहां आम आदमी पार्टी के पास 14 पार्षदों के वोट थे तो वहीं बीजेपी के पास भी सांसद का एक वोट लगाके कुल 14 वोट हो गए थे। मुकाबला बराबर का हो गया था। लेकिन जब मेयर चुनाव के लिए वोटिंग हुई और इसके बाद वोटों की गिनती की गई तो आप का एक वोट डैमेज निकल गया, जिसे इनवैलिड करारा दिया गया और ऐसे में आप के कुल 13 वोट ही माने गए। इधर कुल 14 वोटों के साथ बीजेपी ने अपना मेयर बना लिया। आप को एक वोट से शिकस्त खानी पड़ गई।
डैमेज वोट का मसला हाईकोर्ट तक पहुंचा
वोट डैमेज घोषित होने के बाद आप ने खूब हंगामा किया था और चुनाव प्रक्रिया को गलत बताया था। लेकिन आप के हंगामे से कुछ हो नहीं पाया और आलम यह रहा कि पार्टी के हाथ मेयर पद तो गया ही गया साथ ही पार्टी न तो अपना सीनियर डिप्टी मेयर बना पाई और न ही डिप्टी मेयर। इधर बाद में आम आदमी पार्टी ने डैमेज वोट को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आप ने हाईकोर्ट में मेयर चुनावी प्रक्रिया को गलत बताया था। हालांकि, बाद में इस मसले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया था।