कहानी एडवोकेट मनीष बंसल की... जिसने वकालत की जिद पकड़ी तो लिख दी कामयाबी की इबारत, क्रिमनल केसों में माहिर हैं, चंडीगढ़ में मिली है बड़ी ज़िम्मेदारी
Chandigarh Advocate Manish Bansal Story
Chandigarh Advocate Manish Bansal: पंजाब के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मनीष बंसल ने उच्च शिक्षा के पहले चरण के दौरान ही एक जिद पकड़ ली थी कि करनी है तो केवल वकालत। कोई कितना जोर लगा ले लेकिन इसके सिवाय दूसरे पेशे में जाना ही नहीं। वकालत में भी वो विशेषज्ञता जिसमें इज्जत और शोहरत तो मिले, एक दबदबा भी रहे। अपने इसी जुनून की बदौलत पंजाब के दूर सुदुर क्षेत्रों में शामिल फाजिल्का जिले के एक छोटे से कस्बे अबोहर से मनीष ने अपनी प्रोफेशनल जिंदगी की शुरूआत की। परिवार में पिता व दो भाईयों ने तो अपने पारिवारिक बिजनेस को ही पेशे के रूप में चुना लेकिन मनीष बंसल के जहन में कुछ अलग करने की ललक थी जिसने उन्हें ये रास्ता चुनने की प्रेरणा दी।
पारिवारिक बैकराउंड में वकालत के पेशे से कोई भी शख्स नहीं था लेकिन बावजूद इसके उन्होंने श्री गंगानगर से वर्ष 2002 में क्रिमनल लॉ में महारत हासिल की। सितंबर 2002 से लेकर 2015 तक तो वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस करते रहे लेकिन इसके बाद काबलियत के दम पर सरकारों के स्तर पर उन्हें जिममेदारी मिलनी शुरू हो गई। क्रिमनल लॉ में हासिल महारत व विशेषज्ञता का उन्हें लाभ भी मिला। फरवरी 2015 में हरियाणा सरकार ने उन्हें डिप्टी एडवोकेट जनरल तैनात कर दिया। वर्ष 2015 से 2 मई 2023 तक वह इसी ओहदे पर रहे। 2 मई 2023 को उन्हें सरकार ने सीनियर डिप्टी एडवोकेट जनरल के ओहदे पर प्रमोट कर दिया। हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने उन्हें यूटी के सीनियर स्टैंडिंग काउंसल के ओहदे पर तैनात कर दिया। यूटी प्रशासन की ओर से वह पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अब क्रिमनल केसों की पैरवी करेंगे। उन्हें पुलिस, जेल और साइबर केसों में यूटी प्रशासन ने लिटीगेशन इंचार्ज बनाया है।
केसों की बेहतर पैरवी के लिए कई सुधार किये शुरू
मनीष बंसल ने इस ओहदे पर अपनी ज्वाइनिंग के बाद से ही कई सुधार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है ताकि ज्यादा बेहतर तरीके से प्रशासन का पक्ष कोर्ट में रखा जा सके। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में यूटी के केसों की पैरवी सही तरीके से हो, इस कमी को दूर करने के लिए मनीष बंसल ने पुलिस के इनवेस्टीगेशन अफसरों (आईओ)के लिए पैरवी परफोर्मा तैयार कराया है। यूटी के काउंसल को इस बाबत दिशा निर्देश भी जारी कर दिये गए हैं। आईओ को यह परफोर्मा पहले भरकर लाना होगा। यह एक तरह की प्रश्नावली है जिसमें केस से संबंधित मुख्य बिंदुओं को आईओ को भरकर लाना होगा। इसके दो फायदे मिलेंगे। पहला केस से संबंधित त्वरित जानकारी स्टैंडिंग काउंसल के पास उपलब्ध रहेगी, दूसरा आईओ अपने स्तर पर कोर्ट के आगे कोई स्टेटमेंट नहीं दे सकेगा। उसे इसी परफोर्मे के आधार पर अपनी तमाम जानकारी कोर्ट के समक्ष रखनी होगी। मनीष बंसल के मुताबिक इससे सही और सटीक सूचना स्टैंडिंग काउंसल के पास जायेगी और गलती की संभावना कम रहेगी।
मनीष बंसल ने बताया कि दूसरा सुधार लिटीगेशन मार्किंग को लेकर है। अगर सोमवार को केस लगा है तो वीरवार या शुक्रवार को ही यह परफोर्मा संबंधित थानों को भेज दिया जाएगा और वहां नोडल अफसर को केस से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी इसमें भरनी होगी ताकि समय से पहले ही केस की तैयारी हो सके। मनीष बंसल का मानना है कि इन दो महत्वपूर्ण सुधारों की शुरुआत की बदौलत वह मजबूती से यूटी प्रशासन का पक्ष रख सकेंगे। आगे आने वाले समय में जो-जो भी दिक्कतें या परेशानियां सामने आती रहेंगी, उनका हल निकालने की कोशिश की जाएगी ताकि तमाम व्यवस्था सुचारु बन सके।
- साजन शर्मा