Chandigarh Administration: 4 महीने बाद भी लागू न हो सकी चंडीगढ़ प्रशासन की नई संरचना; अब उठ रहे सवाल

4 महीने बाद भी लागू न हो सकी चंडीगढ़ प्रशासन की नई संरचना; अब उठ रहे सवाल, जनवरी में 11 नए प्रशासनिक पदों की घोषणा हुई थी

Chandigarh Administration New Structure Could Not Be Implemented Till Now

Chandigarh Administration New Structure Could Not Be Implemented Till Now

Chandigarh Administration: चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासन में 3 जनवरी 2025 को जारी एक अधिसूचना के तहत 11 नए प्रशासनिक पदों की घोषणा की गई थी, लेकिन लगभग चार महीने बीत जाने के बाद भी यह आदेश लागू नहीं हो सका है। इस अधिसूचना में मुख्य सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, शहरी नियोजन/स्मार्ट सिटी सचिव, उपायुक्त, संयुक्त वित्त सचिव, आबकारी आयुक्त, दो सचिव, अतिरिक्त सचिव और अतिरिक्त उपायुक्त जैसे पद शामिल थे।

चंडीगढ़ यूटी का मौजूदा प्रशासनिक ढांचा अपेक्षाकृत छोटा है, जिसमें मुख्य सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, उपायुक्त, चार अन्य आईएएस अधिकारी (जिनमें एक प्रशासक यूटी के विशेष सचिव के रूप में कार्यरत हैं), अतिरिक्त उपायुक्त, चार अतिरिक्त सचिव, छह संयुक्त सचिव, एक डीएएनआईसीएस अधिकारी (एसटीए सचिव) और एक सीएसएस अधिकारी (सामाजिक कल्याण और आतिथ्य सचिव) शामिल हैं। यह ढांचा कुल मिलाकर लगभग 20 प्रमुख पदों पर आधारित है।

3 जनवरी 2025 की अधिसूचना में प्रस्तावित संरचना में शहरी नियोजन/स्मार्ट सिटी सचिव, संयुक्त वित्त सचिव और आबकारी आयुक्त जैसे नए पद शामिल हैं, जो मौजूदा ढांचे में स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं हैं। इसके अलावा, दो अतिरिक्त सचिव और एक अतिरिक्त सचिव की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है। यह संरचना चंडीगढ़ जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश के लिए अपेक्षाकृत बड़ी मानी जा रही है। चार महीने बाद भी इस आदेश के लागू न होने से कई सवाल उठ रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि चंडीगढ़ की छोटी आबादी (लगभग 12 लाख) और क्षेत्रफल (114 वर्ग किमी) को देखते हुए इतनी बड़ी प्रशासनिक संरचना की आवश्यकता नहीं हो सकती। मौजूदा ढांचा पहले से ही प्रभावी है, और नए पदों से नौकरशाही में जटिलता बढ़ सकती है। इसके अलावा, नए पदों के लिए वित्तीय संसाधनों और प्रशासनिक सहमति की कमी भी देरी का कारण हो सकती है।

प्रस्तावित संरचना की आवश्यकता पर पुनर्विचार करना चाहिए

आरटीआई विशेषज्ञ आरके गर्ग के मुताबिक चंडीगढ़ यूटी प्रशासन को इस प्रस्तावित संरचना की आवश्यकता पर पुनर्विचार करना चाहिए। मौजूदा छह संयुक्त सचिव और चार अतिरिक्त सचिव पहले से ही विभिन्न विभागों को संभाल रहे हैं, जिससे नए पदों की आवश्यकता कम हो सकती है। विशेष सचिव (प्रशासक यूटी) जैसे मौजूदा पदों को स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रशासन को एक सुव्यवस्थित और कुशल ढांचे पर ध्यान देना चाहिए, जो छोटे यूटी की जरूरतों के अनुरूप हो।

यदि प्रशासन इस संरचना को लागू करना चाहता है, तो उसे चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और गृह मंत्रालय (जो यूटी की देखरेख  करता है) के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। चंडीगढ़ जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासनिक दक्षता और त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह मामला चंडीगढ़ प्रशासन की कार्यप्रणाली और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय प्रशासन से इस बारे में जल्द ही स्पष्टता की उम्मीद की जा रही है।

रिपोर्ट- साजन शर्मा