देश में बने 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की खरीद को CCS की मंजूरी, खराब मौसम में भी दुश्मन के छक्के छुड़ाने की ताकत
देश में बने 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की खरीद को CCS की मंजूरी, खराब मौसम में भी दुश्मन के छक्के छु
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 3,887 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेश में विकसित 15 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टरों (एलसीएच) की खरीद को बुधवार को मंजूरी दे दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 10 हेलीकाप्टर भारतीय वायु सेना के लिए और पांच भारतीय थल सेना के लिए होंगे। मंत्रालय ने कहा, 'सीसीएस ने 3,887 करोड़ रुपये की लागत से 15 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर (एलसीएच) लिमिटेड सीरीज उत्पादन की खरीद के साथ-साथ 377 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे की प्रणाली को मंजूरी दी है।'
सीमा पर चुनौतियों को देख, सेनाओ को दी जा रही मजबूती
हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (एलएसपी) स्वदेशी रूप से विकसित लड़ाकू हेलीकाप्टर है जिसमें मूल्य के हिसाब से लगभग 45 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है जो धीरे-धीरे बढ़कर 55 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इसका निर्माण किया है। इस हेलीकाप्टर की खरीद का फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन की सीमा पर मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना के तीनों अंग अपनी मारक क्षमता बढ़ा रहे हैं।
यह है खूबियां
यह हेलीकाप्टर अपेक्षित दक्षता, गतिशीलता, विस्तारित रेंज, ऊंचाई पर उड़ान के प्रदर्शन और सभी मौसमों में मुकाबला करने की क्षमता से लैस है। इनमें काम्बैट स्तर पर खोज और बचाव (सीएसएआर), दुश्मन की वायु रक्षा (डीईएडी) को तबाह करना और उग्रवाद रोधी (सीआई) संचालन शामिल हैं।
बीईएल से भी कान्ट्रैक्ट
रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड यानी बीईएल की बेंगलुरु और हैदराबाद इकाइयों के साथ भी दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। 3,102 करोड़ रुपये के इन समझौतों से भारतीय वायु सेना के विमान की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय और बीईएल बेंगलुरु के बीच हुए करार के तहत भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इलेक्ट्रानिक युद्धक सूट की आपूर्ति के लिए समझौते पर दस्तखत किए हैं।
स्नाइपर राइफलों से लैस हो रही सेना
हाल ही में भारतीय सेना ने साको .338टीआरजी-42 स्नाइपर राइफलों से अपने जवानों को लैस करना शुरू कर दिए हैं। फिनलैंड से आयातित यह राइफलें नियंत्रण रेखा पर तैनात सेना के जवानों को दी जा रही है। बताया जाता है कि साको स्नाइपर राइफल पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल की जा रही स्नाइपर राइफल से हर मामले में आगे है। इस राइफल से लैस जवान ज्यादा घातक साबित हो चुके हैं। LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना की आपरेशनल गतिविधियों में स्नाइपर शूटर की भूमिका बहुत मायने रखती है।
आठ गश्ती पोतों के निर्माण को लेकर करार
गौरतलब है कि बढ़ती सामरिक चुनौतियों और वैश्विक हालात के मद्देनजर सरकार लगातार भारतीय सेनाओं को मजबूती देने का काम कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने बीते सोमवार को ही भारतीय तटरक्षक बल के लिए आठ गश्ती पोतों के निर्माण के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ 473 करोड़ रुपये का करार किया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक इन पोतों को जीएसएल द्वारा स्वदेश में ही डिजायन, विकसित और निर्मित किया जाएगा। इन आठों पोतों को भारतीय तटों के पास तैनात किया जाएगा।