ABG Shipyard घोटाले में CBI ने 8 लोगों के खिलाफ जारी किया लुक आउट नोटिस, जानें कौन हैं ये
ABG Shipyard घोटाले में CBI ने 8 लोगों के खिलाफ जारी किया लुक आउट नोटिस, जानें कौन हैं ये
ABG Shipyard news: केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने करीब 22,842 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) कंपनी के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (CMD) ऋषि कमलेश अग्रवाल (Rishi Kamlesh Agarwal) और आठ दूसरे लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एजेंसी ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) पहले ही सीबीआई की तरफ से जारी किए जा चुके हैं.
सीबीआई ने कहा आरोपी भारत में हैं
खबर के मुताबिक, सीबीआई ने कहा कि आरोपी भारत में हैं. अधिकारियों ने बताया कि मामले के आरोपी देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकें, इसके लिए नोटिस जारी किए गए हैं. भारतीय स्टेट बैंक ने भी 2019 में मुख्य आरोपी के खिलाफ एलओसी प्रक्रिया शुरू की थी. सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (Former CMD of ABG Shipyard) ऋषि कमलेश अग्रवाल और दूसरे लोगों के खिलाफ बैंकों के एक समूह (कंसोर्टियम) के साथ करीब 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है.
सीबीआई ने लगाए हैं ये आरोप
एजेंसी ने तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक दूसरी कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं. ये आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत लगाए गए हैं. सीबीआई ने अपनी जांच जारी रखते हुए 12 फरवरी को 13 स्थानों पर छापेमारी की थी.
बैंक क तरफ से सबसे पहली शिकायत
अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें कई ठोस दस्तावेज मिले हैं, जिनमें कंपनी के खाते शामिल हैं और उनकी जांच की जा रही है. बैंक ने सबसे पहले 8 नवंबर, 2019 को एक शिकायत दर्ज कराई, जिस पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण देने को कहा था. बैंक ने उसी साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज कराई थी. सीबीआई ने डेढ़ साल से ज्यादा समय तक जांच करने के बाद शिकायत पर कार्रवाई की और 7 फरवरी, 2022 को एफआईआर दर्ज की.
आरोपियों ने मिलीभगत की
‘अर्न्स्ट एंड यंग’ की तरफ से किए गए ‘फोरेंसिक ऑडिट’ से पता चला है कि 2012-17 के बीच, आरोपियों ने मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों में शामिल हुए. यह सीबीआई की तरफ से दर्ज बैंक धोखाधड़ी का सबसे बड़ा मामला है. एजेंसी के मुताबिक, फंड का इस्तेमाल बैंकों की तरफ से जारी किए गए मकसद के अलावा दूसरे मकसद के लिए किया गया.