लापरवाही भरी टिप्पणियों को लेकर पवन कल्याण के खिलाफ मामला दर्ज : तिरुपति लड्डू मुद्दा

लापरवाही भरी टिप्पणियों को लेकर पवन कल्याण के खिलाफ मामला दर्ज : तिरुपति लड्डू मुद्दा

Case filed against Pawan Kalyan

Case filed against Pawan Kalyan

तिरुपति लड्डू: उपमुख्यमंत्री पवन की टिप्पणियों से विवाद में फंसे।

( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )

अमरावती : Case filed against Pawan Kalyan: (आंध्र प्रदेश) अपने भड़काऊ बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले नेता पवन कल्याण एक बार फिर गलत कारणों से चर्चा में हैं। इस बार मुद्दा तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में चढ़ाए जाने वाले सबसे पूजनीय प्रसाद में से एक पवित्र तिरुमाला लड्डू पर उनकी लापरवाह और निराधार टिप्पणियों को लेकर है। पवन कल्याण के इस बयान पर कि लड्डू में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी मिलाई गई थी, लोगों में आक्रोश फैल गया है, क्योंकि अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत पेश करने में विफल रहे।

उनकी टिप्पणियों के कारण हैदराबाद सिटी सिविल कोर्ट में उनके खिलाफ औपचारिक मामला दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि पवन कल्याण की टिप्पणियां न केवल झूठी थीं, बल्कि बेहद आपत्तिजनक भी थीं, क्योंकि उन्होंने लाखों भक्तों की भक्ति के धार्मिक प्रतीक पर संदेह जताया है।  लड्डू सिर्फ़ मिठाई नहीं है - यह तिरुमाला की आध्यात्मिक परंपरा का अभिन्न अंग है, और पवन कल्याण द्वारा इस तरह के अपुष्ट दावे करना लोगों को नाराज़ कर रहा है।

याचिकाकर्ता ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से एक गैग ऑर्डर जारी करने की भी मांग की है, जिसमें कल्याण की भड़काऊ टिप्पणियों के सभी वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने के लिए कहा गया है। यह मांग गलत सूचना के प्रसार और इससे धार्मिक भावनाओं को होने वाले नुकसान को लेकर बढ़ती चिंता को उजागर करती है।

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही तिरुमाला लड्डू को लेकर व्यापक विवाद की सीबीआई के नेतृत्व में जांच शुरू कर दी है, लेकिन पवन कल्याण की लापरवाह टिप्पणियों ने पहले से ही संवेदनशील मुद्दे को और भी ज़्यादा तूल दे दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की इच्छा रखने वाला एक नेता इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी में लगा हुआ है, जिससे उसकी छवि और भी खराब हो रही है।

सवाल यह है कि क्या पवन कल्याण अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेंगे, या फिर वे बेबुनियाद दावों के साथ विवाद की आग को हवा देते रहेंगे?  ऐसे राजनीतिक माहौल में जहां जवाबदेही महत्वपूर्ण है, ऐसी लापरवाह टिप्पणियों के लिए कोई स्थान नहीं है, खासकर जब वे लाखों लोगों की धार्मिक मान्यताओं से संबंधित हों।