सनातन धर्म का पालन कर रख सकते हैं परिवार को स्वस्थ - Mira Tiwari
सनातन धर्म का पालन कर रख सकते हैं परिवार को स्वस्थ - Mira Tiwari
सनातन धर्म का पालन करके हम अपने परिवार को स्वस्थ रख सकते हैं क्योंकि यह धर्म नहीं एक विज्ञान है जो हमें जीने के तरीके रहन-सहन और खान-पान की पद्धति के तरीके बताता है।
हर घर योग पहुंचे हर बच्चा योग करें हर महिला योग करें तो इस देश को स्वस्थ होने से कोई नहीं रोक सकता आज हमारे देश की बदनसीबी है कि हर घर में व्यसन पहुंच चुका है। जिसके कारण दिन पर दिन कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और जब हमारे आसपास में कोई अस्पताल खुलता है। तो हम खुश हो जाते हैं लेकिन वह खुशी की चीज नहीं है
अगर हम स्वस्थ रहेंगे हमें अस्पताल की कोई जरूरत ही नहीं है। पहले तो हमने अपने आप को व्यसनों के चक्रव्यूह में बांध दिया फिर हम बीमार होने लगे हमने अपने योग और खानपान की पद्धति को बिल्कुल बदल दिया और हम खतरनाक बीमारियों के चंगुल में फंसने लगे। पहले हम ताजी खाना खाते थे आज हम बासी खाना पैकेट में बंद था खा रहे हैं और हर परिवार में खाया जा रहा है। हम कई कई दिनों की बांसी बिस्किट ब्रेड नमकीन सोस और अनेक प्रकार से भोजन को सुरक्षित रखने के लिए मिक्स करे हुए केमिकल जो इन पदार्थों में डाला जाता है खा रहे हैं जिसका हमारा शरीर विरोध करता है। हमने ताजा खाना खाना ही छोड़ दिया है ।और यह हम अभी तक समझ नहीं पाए हैं क्योंकि हमारे चेतना तंत्र पर विदेशी कंपनियों मार्केटिंग कंपनियों ने कब्जा कर दिया है और वह अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए इस प्रकार चक्रव्यू बनाते हैं कि हम उस चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। और उनके नक्शे कदम पर चलने लगते हैं क्या पिज्जा खाना कोई शान की बात है
क्या बर्गर खाना कोई शान की बात चाइनीस खाना शान की बात है ।
और रोटी खाने में हमें हमारा स्टेटस नीचा लगने लगता है ।अंकुरित दाल खाने में हमारा स्टेटस छोटा हो जाता है ।
होटल में जाकर हम लोग दाल रोटी का आर्डर नहीं देते हैं क्यों क्या यह खाने की चीज नहीं है। क्या इससे हमारा शरीर बीमार पड़ जाएगा। क्या इसमें हमें प्रोटीन नहीं मिलेगा क्या इसमें एनर्जी नहीं है।
क्या यह आहार और भोजन प्रणाली के विरुद्ध आहार है ।क्या कमी है क्यों हम यह ऑर्डर नहीं देते हैं ।
हम भोजन क्यों करते हैं हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उसको सभी प्रकार के प्रोटीन की जरूरत है उसी प्रकार का भोजन शरीर को देते हैं और शरीर को एनर्जी देने के लिए भोजन करते हैं। और उसके लिए हमारे शास्त्रों ने सभी ऋतु और मौसमों के अनुकूल भोजन प्रणाली के बारे में बताया है ।और उसका अनुकरण हमारे दादा परदादा करते आए हैं ।
जिससे वह स्वस्थ रहते थे। लंबी आयु जीते थे और उन्हें कभी कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी नहीं हुई यह आप अपने परिवार को अगर कुछ पीढ़ियों में पीछे जाओगे तो पता कर सकते हैं तो क्या उनके नियम गलत थे। उनके खानपान पद्धति गलत थी हम क्यों किसी के बहकावे में आ जाते हैं सदियों से चला आ रहा हमारा खानपान पद्धति का तरीका जिसने केवल स्वस्थ और स्वस्थ ही दिया है। तो उसे हम कैसे छोड़ सकते हैं हम अपने बच्चों के टिफिन में बाजार से लाए बासी भोजन को रखने में शान समझते हैं ।एलुमिनियम फॉल लगाकर भोजन पैक करते हैं पहले लंच बॉक्स ओं में महिलाएं कपड़ा लगाकर रोटियां रखती थी। जिससे की रोटियां भी नरम रहती थी वह भोजन गर्म रहता था वह पद्धति भी हमने आधुनिकता की दौड़ में छोड़ दी।
मटके का पानी तांबे के कलश में रखा हुआ पानी जो हमारे शरीर को जरूरत है उतनी चीजे देता है।
फ्रिज के आने पर हमने उसे भी अपने जीवन से निकाल दिया।
ठंडा पानी जो हर तरीके से शरीर को नुकसान करता है उसे हमने अपने जीवन में शामिल कर लिए ।
क्यों हमारे शरीर को क्या चाहिए?
यह शरीर को मालूम है लेकिन हम शरीर के जरूरत के अलावा उसको अलग चीज देने की कोशिश कर रहे हैं।
और हमारा शरीर उन सब चीजो का विरोध कर रहा है और अलग-अलग तरीकों से हमें बताने की कोशिश कर रहा है ।
वह तरीके हैं मोटापा हाई ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर दृष्टि हीनता मधुमेह और ना जाने कितनी अनगिनत बीमारी जो हमारे विरोध खान-पान के कारण हमारा शरीर हमें चैलेंज के तौर पर आगाह कर रहा है।
कि मुझे वह नहीं चाहिए जो आप दे रहे हो मुझे जो चाहिए वह दे आहार दो ।
अभी समय है और यह हम अपने शरीर की हालत देखकर आसानी से समझ सकते हैं कि हमने अपने शरीर का अपने बच्चों का शरीर का और अपने परिवार के शरीर का उनकी मानसिक स्थिति का कितना नुकसान कर दिया है ।
और इसे बदलने के लिए पूरे देश में हम स्वास्थ्य लक्ष्य कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं और उसमें हमें देश के हर एक नागरिक की जरूरत है तभी हम अपने इस भागीरथ कार्य में सफल हो सकेंगे। डॉ अनिल जैन जैन आरोग्य नेचुरोकेयर वेलफेयर सोसाइटी