श्रमिक कल्याण बोर्ड में अफरशाही हावी,छह महीने से गैरकानूनी तरीके से रोका है काम-भूपेंद्र सिंह
Labor Welfare Board
Labor Welfare Board: हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड की बैठक होटल हॉली डे होम शिमला में श्रम और स्वास्थ्य मंत्री एवं बोर्ड के चेयरमैन कर्नल धनी राम शांडिल की अध्यक्षता में आयोजित हुई।बैठक में विभागीय अधिकारियों के अलावा चार मज़दूर संगठनों के प्रतीनिधियों ने भी भाग लिया जिनमें इंटक के सीता राम सैनी और हेमा सीटू के भूपेंद्र सिंह,एटक के जगदीश भारद्वाज और बीएमएस के प्रदीप कुमार शामिल रहे। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सभी मज़दूर संगठनों के नेताओं ने बोर्ड में पिछले छह महीने से बन्द पड़े कार्यों को पुनः बहाल करने का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया और 12 दिसंबर2022 के उस पत्र को तुरन्त वापिस लेकर मज़दूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण औऱ सहायता राशी जारी करने की मांग उठाई।पिछले तीन साल के रुके हुए लाभ तुरन्त जारी करने कोरोना कॉल की सहायता राशी शेष मज़दूरों को जारी करने की भी मांग की है।मनरेगा व अन्य विभागीय स्कीमों में निर्माण करने वाले मज़दूरों को साल में 90 दिनों से अधिक कार्य करने पर बोर्ड के सदस्य बनने के क़ानूनी अधिकार को जारी रखने तथा पंजीकरण के लिए सेस जारी करने की अनिवार्यता ख़त्म करने की भी मांग की।इसके अलावा बोर्ड में पिछले 15 वर्षों से आउटसोर्सिंग आधार पर काम कर रहे 175 कर्मचारियों को बोर्ड में मर्ज करने की मांग रखी तथा पुराने कर्मचारियों के वेतन में बृद्धि करने की मांग उठाई है।इसके अलावा बोर्ड में पिछले पांच साल में प्रचार प्रसार और विज्ञापनों पर ख़र्च की गई करोड़ो रूपये की राशी की जांच करने की भी मांग की गई।भविष्य में बोर्ड का पैसा मज़दूरों के कल्याण पर ज़्यादा ख़र्च करने तथा स्कीमों की जानकारी ग्राम पंचायतों और पंजीकृत मज़दूर यूनियनों के माध्यम से देने का भी फैसला लिया गया।भूपेंद्र सिंह ने चेतावनी दी है कि इन सब सुझावों को जल्दी लागू नहीं किया तो सीटू से सबंधित मनरेगा व निर्माण यूनियन शिमला में प्रदर्शन करेगा।उन्होंने ये कहा कि वे इस बारे दूसरे मज़दूर संगठनों को भी इस बारे तालमेल करेंगे और सहमति बनती है तो सयुंक्त रूप में भी आंदोलन छेड़ा जायेगा। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बोर्ड में अफ़सरशाही हावी है और वे भवन एवं अन्य सनिर्माण कामगार क़ानून 1996 के प्रावधानों को अपनी मर्ज़ी से तोड़ मरोड़ रहे हैं और सरकार को ग़ुमराह कर रहे हैं।पिछले कल जब मज़दूर संगठनों ने इस पर तर्क पेश किए तो उन्होंने फ़ैसले को लटकाने के लिए मामले को लॉ विभाग को भेजने का पेच जानबूझकर फंसा दिया जबकि इन्ही अफसरों ने गत सितंबर महीने से बिना बोर्ड और सरकार की सहमति से सारा काम रोक दिया है।उन्होंने बताया कि यदि इनका रवैया ऐसे ही मज़दूर विरोधी और मनमानी वाला रहा तो सभी मज़दूर संगठन मई माह में बोर्ड कार्यालय का शिमला में घेराव करेंगे।
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