BSP सुप्रीमो मायावती की जान को खतरा; सिलसिलेवार कई ट्वीट किए, SP से हमले का डर, कहा- अनहोनी हो सकती है, याद आया गेस्ट हाउस कांड
BSP Chief Mayawati Fears To Attack By Samajwadi Party As Like Guest House Kand
BSP Chief Mayawati: उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी (BSP) चीफ मायावती ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। मायावती के अनुसार, उन्हें समाजवादी पार्टी से हमले का डर है और ऐसे में उनकी जान को खतरा है। मायावती ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ बेहद तीखी और हैरानजनक बयानबाजी की है। मायावती का कहना है कि, समाजवादी पार्टी दलित विरोधी है और वह अपने एजेंडे के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। मायावती ने योगी सरकार से अपील है कि, उनके कार्यालय का स्थान बदल दिया जाए। वरना कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है।
मायावती ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए
दरअसल, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्विटर पर सिलसिलेवार कई ट्वीट किए हैं और समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया है। मायावती ने अपने एक ट्वीट में लिखा- सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालाँकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबन्धन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेण्डे पर आ गई।
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड याद किया
मायावती ने अपने दूसरे ट्वीट में 28 साल पहले के गेस्ट हाउस कांड को याद किया। मायावती ने लिखा- अब सपा मुखिया जिससे भी गठबन्धन की बात करते हैं उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है। वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं। जिसमें बीएसपी यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है जहां से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुंचा सकते हैं जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा।
वहीं मायावती ने अपने आगे के एक अन्य ट्वीट में लिखा- इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुँचने पर वहाँ पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है।
कार्यालय की जगह बदलने की अपील
मायावती ने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा- ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी माँग है।
क्या है गेस्ट हाउस कांड?
मायावती ने जिस गेस्ट हाउस कांड (Guest House Kand Mayawati) को याद किया है और जिक्र कर रहीं हैं, वह कांड आखिर क्या है? मायावती गेस्ट हाउस कांड को क्यों याद कर रहीं हैं? दरअसल, यूपी के राजनीतिक इतिहास में यह गेस्ट हाउस कांड सबसे काला कांड है। 2 जून 1995 को हुए इस गेस्ट हाउस कांड को राजनीतिक इतिहास में कभी नहीं भूला जा सकता। दरअसल, साल 1993 में बीजेपी को यूपी की सत्ता से बाहर करने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठजोड़ किया था। उस समय उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था और उस समय यूपी की कुल विधानसभा सीटें थीं 422। गठजोड़ के बाद मुलायम की पार्टी सपा 256 सीट पर चुनाव लड़ी और बीएसपी 164 सीटों पर मैदान में उतरी।
इधर जब चुनाव रिजल्ट आया तो एसपी और बीएसपी गठबंधन की जीत हो चुकी थी। एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीट मिली थीं। दोनों ने मिलकर सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। लेकिन अंदरूनी आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया और समर्थन वापसी की सार्वजनिक घोषणा कर दी। जिसके बाद मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई। इधर सरकार को गिरने से बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने हाथ-पैर मारने शुरू किए तो वहीं दूसरी तरफ मायावती लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मौजूद थीं और विचार-विमर्श कर रहीं थीं। लेकिन इसी दौरान अचानक से मायावती को सूचना मिली कि सपा के भड़के हुए समर्थक गेस्ट हाउस में आ रहे हैं। जिसके बाद मायावाती और विधायकों ने गेस्ट हाउस के कमरे में खुद को बंद कर लिया।
इधर सपा के भड़के हुए समर्थक गेस्ट हाउस के अंदर घुस चुके थे। सपा समर्थकों की भारी भीड़ गेस्ट हाउस में उस कमरे के दरवाजे को पीट रही थी जिसमें मायावती अपने विधायकों के साथ मौजूद थीं। समर्थक मायावती पर हमला करने को आतुर थे। कहते हैं कि इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस को इशारा था कि सपा समर्थकों पर कोई कार्रवाई न की जाए। बताते हैं कि, सपा समर्थकों के हमले से मायावाती को किसी तरह से बचाया गया। लेकिन मायावती इस हमले से इतनी ज्यादा सिहर गईं कि वह कभी भी इस हमले को भूल नहीं पाईं। मायावती ने इस हमले का आरोप खुलेआम मुलायम सिंह यादव पर लगाया था।
मुलायम-मायावती में हो गई थी कट्टर दुश्मनी
गेस्ट हाउस कांड के बाद मुलायम-मायावती में कट्टर दुश्मनी हो गई थी। दोनों एक-दूसरे पर तीखी बयानबाजी करने से नहीं चूकते थे। बयानबाजी के इस सिलिसले में दोनों ओर से मर्यादाओं को भी तार-तार किया गया। गेस्ट हाउस कांड ने न सिर्फ दोनों को कट्टर दुश्मन बना दिया बल्कि खाई इतनी चौड़ी हो गई कि सियासी मतभेद एक दूसरे को देख लेने जैसी चेतावनी में बदल गए। हालांकि, गेस्ट हाउस कांड के ठीक 24 साल बाद साल 2019 में मायावती ने गेस्ट हाउस कांड को भुलाने की कोशिश की और 19 अप्रैल 2019 को पहली बार मुलायम सिंह यादव के साथ मायावती एक ही मंच पर नजर आईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा ने गठबंधन किया। हालांकि, ये गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला और चुनाव के ठीक बाद बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया।