तंग दायरों की तोड़ दीवार, असीम की और हो विस्तार
- By Vinod --
- Thursday, 23 Jan, 2025
Break the walls of narrow boundaries and expand towards the infinite
Break the walls of narrow boundaries and expand towards the infinite- चण्डीगढI आज जहां एक ओर देश और दुनिया में समाज हर प्रकार से संकीर्णता और तंगदिली के दायरों में बटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर संत निरंकारी मिशन इन दीवारों को गिराकर विस्तार की ओर प्रेरित करने का प्रयास कर रहा है। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सानिध्य में महाराष्ट्र का 58 वां वार्षिक निरंकारी संत समागम 24 से 26 जनवरी, 2025 को आयोजित हो रहा है, जिसमें ‘विस्तार - असीम की और’ विषय के आधार पर आध्यात्मिक मंथन का दिव्य रूप सजेगा।
लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में सजने वाले भक्ति के इस महायज्ञ में देश और विदेशों से जहां लाखों श्रद्धालु, भक्त और गणमान्य नागरिक सम्मिलित होंगे, वहीं इस निरंकारी संत समागम का सीधा प्रसारण भी पूरे विश्व में कई धर्म प्रेमी देखा पाएंगे। निरंकारी संत समागम की व्यवस्था मिशन के सेवादारों द्वारा बहुत ही मर्यादित एवं सुनियोजित रूप से 24 जनवरी से शुरू होकर निरंतर जारी हैं।
संत निरंकारी मिशन समागम चैयरमेन श्री शम्भुनाथ तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वास्थ्य, सुरक्षा, यातायात, कैंटीन, सहायता, पार्किंग, स्वच्छता और अन्य मूलभूत सेवाओं को निभाने के लिए संत निरंकारी सेवादल के लगभग 15 हजार सदस्य समर्पित भावना से जुटे रहेंगे।
संत समागम के तीनो दिन दोपहर 2.00 बजे से रात 8.30 बजे तक मुख्य कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें अनेक विद्वान अपने भाव व्यक्त करेंगे और अनेक समर्पित संगीतज्ञों के माध्यम से भक्ति भाव की छटा बिखरेंगे जिसमे हर वर्ष आयु वर्ग के अनेक भाषा-भाषी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक रूहानी कवि दरबार समागम का विशेष आकर्षण बना रहेगा। सत्संग के अंत में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी के प्रेरक प्रवचनों से सभी श्रद्धालु लाभान्वित होंगे।
निरंकारी मिशन के संत कलाकारों द्वारा एक अनूठी प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है, जहां मिशन के इतिहास, दर्शन, आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियों का मनोरम चित्रण किया गया है। मिशन द्वारा प्रकाशित सभी पत्रिकाएं और पुस्तकें भी समागम में उपलब्ध होंगी।
इस विशाल संत समागम के आयोजन में महाराष्ट्र राज्य की व्यवस्था से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहेगा। मानव मन की सोच और दृष्टि को ज्ञान और विचार के आधार पर विस्तार प्रदान करने वाले इस संत समागम में आप सभी का स्वागत है।
संत निरंकारी मिशन का इतिहास: निरंकारी मिशन ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी से समूची मानवता को एकत्व के सूत्र में बाँधने का प्रयास करता है। वर्ष 1929 से ही मिशन सतगुरु के दिव्य संदेश को जनमानस तक पहुंचा रहा है। वर्ष 1948 में इस संत समागम की अविरल श्रृंखला का प्रारंभ किया गया, जो कि पिछले 96 वर्षों से सफलतापूर्वक आयोजित हो रहा है। वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज नई ऊर्जा के साथ सत्य के इस पावन संदेश को संपूर्ण भारत और विदेशों में प्रसारित कर रहे है। महाराष्ट्र में 1967 से संत समागम की शुरुआत हुई और ये साल इस समागम का 58 वा वर्ष है।
निरंकारी प्रदर्शनी: इस वर्ष सभी संतों के लिए मुख्य आकर्षण के रूप में निरंकारी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है जिसका आधार ‘विस्तार असीम की ओर’ है। पहले भाग में श्रद्धालुओं को मिशन के इतिहास, विचारधारा, और संस्थागत गतिविधियों के अतिरिक्त लक्षणीय कार्यों द्वारा देश और विदेशों में की गई मानवतावादी कल्याणकारी यात्रा की समुचित जानकारी प्राप्त होगी। दूसरे भाग में निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों और गतिविधियों को दर्शाया जाएगा। तृतीय भाग के अंतर्गत बाल प्रदर्शनी को बड़े ही मनमोहक और प्रेरणादायक रूप में बाल संतों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।