बिहार के सरकारी स्कूल में लड़कों को भी आते हैं पीरियड्स, इस्तेमाल करते हैं सैनिटरी नैपकिन

बिहार के सरकारी स्कूल में लड़कों को भी आते हैं पीरियड्स, इस्तेमाल करते हैं सैनिटरी नैपकिन

बिहार के सरकारी स्कूल में लड़कों को भी आते हैं पीरियड्स

बिहार के सरकारी स्कूल में लड़कों को भी आते हैं पीरियड्स, इस्तेमाल करते हैं सैनिटरी नैपकिन

पटना (बिहार) : बिहार में सरकारी योजनाओं में इस तरह से लूट मची है कि लूटने वाले अधिकारी, लूटने के दौरान ऐसी-ऐसी गलतियाँ करते हैं जिसे देख और सुन कर पाँव की जमीन खिसकने लगती है। यह वही बिहार है, जहाँ स्कूटर से भैंस की बड़ी खेप को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया है। यही नहीं, पुल-पुलिया, सड़क और विभिन्न कल्याणकारी योजनाएँ, कागजों पर ही सिमट कर रह जाती हैं और इन मदों की करोड़ों की राशि का उठाव कर लिया जाता है। लेकिन इस बार की लूट ने, पूरे सिस्टम को हासिये पर ला खड़ा किया है। आप यह जानकर बेहद हैरान और परेशान हो जाएंगे कि बिहार में स्कूली लड़कों को माहवारी आती है और वे भी सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करते हैं। बिहार के एक सरकारी स्कूल में ऐसा ही चौंकाने वाला और सियासी तख्त को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहाँ घोटाले की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए लड़कों के नाम पर सैनिटरी नैपकिन और लड़कियों के पोशाक योजना का लाभ लड़कों को दिए गए हैं। यह ऐतिहासिक कारगुजारी छपरा के एक सरकारी स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक के द्वारा की गई है। उनके बही-खाते और डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि उनके स्कूल के लड़कों को माहवारी आती थी। इसके लिए दर्जनों लड़कों के खाते में सैनिटरी नैपकिन और पोशाक योजना का लाभ का पैसा पहुँचा है। छपरा के मांझी प्रखंड के हलखोरी साह उच्च विद्यालय में इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब यहाँ के प्रधानाध्यापक रिटायर हो गए और दूसरे प्रधानाध्यापक ने यह पदभार ग्रहण किया। नए प्रधानाध्यापक से जब पुरानी योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र माँगा गया तो, लगभग एक करोड़ की योजनाओं का झोल देखने को मिला। इस कारण नव पदस्थापित प्रधानाध्यापक ने इस पूरे मामले की जाँच शुरू कर दी। जाँच के क्रम में उन्होंने बैंक स्टेटमेंट खंगाला, तो पता चला कि लड़कियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का पैसा, लम्बे समय से लड़कों के खाते में ट्रांसफर किया जाता रहा है। सारा मामला जानकार वे दंग रह गये। लड़कियों को देने के लिए सरकार की ओर से आने वाली सैनिटरी नैपकिन की पूरी राशि लड़के उपभोग भी कर चुके हैं। कई और तरह की अनियमितता पाये जाने के लिए नव नियुक्त प्रधानाध्यापक
 रईस उल एहरार खान ने जिलाधिकारी को पत्र भेजा है।
उस पत्र में जिक्र किया गया है कि विद्यालय के लड़कों ने सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग किया है। पत्र के आते ही विभाग में हड़कंप मच गया। डीएम के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने इस मामले की जाँच शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के डीपीओ राजन गिरी ने कहा है कि अगर जाँच में मामला सही पाया जाता है, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह पूरा मामला बीते 3 वित्तीय वर्ष का है। तब अशोक कुमार राय, इस स्कूल के प्रधानाध्यापक थे। उनकी सेवानिवृत्त हो चुकी है लेकिन उन्होंने अभी तक अपना प्रभार नव पदस्थापित प्रधानाध्यापक
को नहीं सौंपा है। मामले की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी के निर्देश पर जाँच टीम का गठन कर दिया गया है। शिक्षा विभाग की एक टीम ने जाँच की शुरुआत कर दी है। अब इस जाँच में क्या कुछ निकलता है और कैसी कार्रवाई होती है, इस पर कयास लगाना बेमानी है। बिहार में अमूमन योजनाओं में हुई लूट मामले में बड़ी या छोटी कार्रवाई की जगह, मामले को एडजस्ट, यानि बीच का रास्ता निकाल कर, मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह