BJP struggles to conquer Old Delhi in upcoming elections

Delhi Elections 2025: पुरानी दिल्ली में भाजपा की दीवार को भेदने की चुनौती, क्या इस बार बदल पाएगा इतिहास?

BJP struggles to conquer Old Delhi in upcoming elections

BJP struggles to conquer Old Delhi in upcoming elections

नई दिल्ली, 9 जनवरी: BJP Struggles in Old Delhi Seats: मुगलकालीन दीवारों से घिरी पुरानी दिल्ली, जिसे वाल सिटी के नाम से भी जाना जाता है, भाजपा के लिए ऐतिहासिक महत्व रखती है। पार्टी का पहला दफ्तर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास अजमेरी गेट स्थित इसी इलाके में खुला था। यह इलाका दशकों तक भाजपा की राजनीति का केंद्र रहा, लेकिन विधानसभा चुनावों में यह इलाका भाजपा के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है।

पुरानी दिल्ली में भाजपा की स्थिति
चांदनी चौक, बल्लीमारान, सदर बाजार और मटिया महल जैसे विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए लंबे समय से मुश्किल भरे रहे हैं। इन सीटों पर कभी कांग्रेस का दबदबा रहा, और अब आम आदमी पार्टी (आप) का कब्जा है। सदर बाजार और चांदनी चौक में भाजपा ने आखिरी बार 1993 में जीत दर्ज की थी, जबकि बल्लीमारान कभी भी भाजपा के हाथ नहीं आ सका। मटिया महल में भाजपा ने केवल एक बार, 1983 में जीत हासिल की थी।

आप और कांग्रेस का दबदबा
वर्तमान में इन चारों सीटों पर आप का कब्जा है। चांदनी चौक से विधायक प्रह्लाद सिंह साहनी पांच बार जीत चुके हैं, और इस बार उनकी जगह उनके बेटे पुरनदीप को आप ने उम्मीदवार बनाया है। मटिया महल से विधायक शोएब इकबाल छठी बार विधानसभा पहुंचे थे, और इस बार उनके बेटे आले मोहम्मद इकबाल को आप ने टिकट दिया है। बल्लीमारान से आप के इमरान हुसैन दो बार जीत चुके हैं, जबकि इससे पहले कांग्रेस के हारुन यूसुफ ने यहां से लगातार पांच चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने इस बार फिर हारुन यूसुफ पर दांव लगाया है।

भाजपा के सामने बड़ी चुनौतियां
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन सीटों पर भाजपा की असफलता का मुख्य कारण यहां की मुस्लिम बाहुल आबादी है। हालांकि, भाजपा ने इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, लेकिन यह रणनीति सफल नहीं रही। मटिया महल से भाजपा ने 1983 में बेगम परवीन को उतारा था, जिन्होंने जीत दर्ज की थी। उसके बाद भाजपा यहां पैर जमाने में विफल रही।

सदर बाजार: दिलचस्प मुकाबला
सदर बाजार की कहानी बेहद रोचक है। इस सीट पर अब तक तीन बार कांग्रेस और तीन बार आप ने जीत दर्ज की है। भाजपा ने 1993 में हरी किशन के जरिए यहां जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बाद भाजपा को सफलता नहीं मिली।

पुरानी दिल्ली में भाजपा की रणनीति
पुरानी दिल्ली भाजपा के लिए चुनावी चुनौती बनी हुई है। विधानसभा चुनावों में इन सीटों पर जीत दर्ज करना पार्टी के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को यहां अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए नई रणनीतियां अपनानी होंगी और मजबूत चुनाव प्रचार करना होगा।

पुरानी दिल्ली भाजपा के लिए ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। पार्टी का प्रयास इस बार इन सीटों पर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का होगा। हालांकि, आप और कांग्रेस के मजबूत किले को भेदना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।