नीतीश कुमार से भाजपा नाराज, पर क्यों नहीं दिल से निकल पा रहे 'बिहारी बाबू'
कड़वे बोलों के बीच सीएम के जन्म दिन पर भाजपा नेता नहीं भूले शुभकामनाएं देना
Nitish kumar and bjp politics: नई दिल्ली: बिहार में मौजूदा राजनीतिक हालात ऐसी कसमसाहट से भरे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की राजनीति में व्यापक फेरबदल देखने को मिल सकता है। जिस भाजपा के साथ मिलकर जनता दल यू ने चुनाव लड़ा था, उसके सर्वेसर्वा नीतीश कुमार पाला बदलकर लालू प्रसाद यादव के साथ चले गए। अब प्रदेश और देश की राजनीति में इसकी चर्चा है कि क्या भाजपा नीतीश कुमार को माफ करेगी। यह तब और भी यकीनी हो जाता है, जब पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हो चुके हैं। हालांकि राजनीति में यह जुमला अब बेहद लोकप्रिय हो गया है कि यहां कब हवा किधर बहने लग जाए कोई नहीं जानता। कड़वे बोल कब शहद जैसी चाशनी में बदल जाएं, यह भी किसी को नहीं पता चलता। पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार को भाजपा के वरिष्ठ नेता केंद्रीय गृहमंत्री (Amit shah and Nitish kumar) अमित शाह ने जब जन्म दिन की शुभकामनाएं दी तो यही लगा कि नीतीश के लिए भाजपा नेताओं के दिल में जगह बाकी है। इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नीतीश कुमार को फोन कर जन्म दिन विश किया था।
भाजपा के लिए इसलिए अहम हैं नीतीश कुमार
बिहार में जब-जब जनता दल यू और भाजपा ने साथ-साथ लोकसभा चुनाव लड़ा है, तो इसका परिणाम शानदार रहा है। साल 2019 में एनडीए गठबंधन ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। अब 2024 में भी केंद्र की सत्ता मेें वापसी के लिए भाजपा को बिहार की जरूरत है। बिहार में एक वर्ग ऐसा भी है जो सिर्फ नीतीश कुमार के भरोसे वोट करता है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान यह बात साबित भी हो चुकी है। यही वजह है कि अभी तक जनता दल यू और भाजपा साथ-साथ चलने को मजबूर होती रही है। गौरतलब है कि नीतीश कुमार की ओर से भी भाजपा से दूरियां मिटाने के संकेत दिए जाने लगे हैं। सीएम शनिवार को अपने पुराने साथी और भाजपा नेता तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध कर्म में शामिल होने के लिए कटिहार पहुंचे। वे यहां करीब एक घंटे तक रूके।
एक वह जमाना था जब लालू का राज जंगल राज दिखता था
दरअसल, एक जमाने में जॉर्ज फनार्डिस और नीतीश कुमार जैसे नेताओं के साथ मिलकर लालू यादव की सरकार पर जंगलराज का आरोप लगाकर आंदोलन छेड़ने वाली भाजपा ने अब राज्य में अपने पुराने सहयोगी रहे नीतीश कुमार को लेकर अपनी रणनीति पूरी तरह से बदल दी है। जंगलराज को लेकर लालू यादव पर हमलावर रहने वाली भाजपा अब लगातार तीखे शब्दों में बिहार विधान सभा से लेकर बिहार की जनसभाओं तक अपने पुराने सहयोगी नीतीश कुमार पर हमला बोल रही है।
भाजपा की नई रणनीति को लेकर यह कहा जा रहा है कि पार्टी ने अब पूरे प्रदेश में नीतीश कुमार की छवि को बेनकाब कर उन्हे सबक सिखाने की योजना बनाई है ताकि उनके समर्थक मतदाताओं में सेंघ लगाकर अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में लाभ उठाया जा सके।
भाजपा नीतीश को बता रही कुशासन बाबू
इसी रणनीति के तहत नीतीश कुमार को सुशासन बाबू का खिताब देने वाली भाजपा अब उन्हें कुशासन बाबू साबित करते हुए यह आरोप लगा रही है कि सिर्फ मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्होंने जंगलराज के प्रतीक लालू यादव से हाथ मिलाकर बिहार को धोखा दिया है। यही वजह है कि भाजपा के आला नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं तक सभी लगातार और बार-बार एक तरफ जहां नीतीश कुमार की छवि पर चोट कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बिहार के मतदाताओं को राजनीतिक संदेश देते हुए लगातार यह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं।
नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा की इस नई रणनीति की कमान पार्टी के सबसे कुशल रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं संभालते नजर आ रहे हैं। शाह लगातार बिहार का दौरा कर नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए बिहार की बदहाली के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हाल ही में अपने बिहार दौरे के दौरान अमित शाह ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि उन्होंने अपने जीवन में इतना झूठ बोलकर दल-बदल करने वाला व्यक्ति नहीं देखा।
नीतीश कुमार दो बार पलट चुके भाजपा से
नीतीश कुमार ने भाजपा को दो बार धोखा दिया है, लेकिन वे तीसरी बार धोखा नहीं देंगे क्योंकि अब नीतीश कुमार के लिए भाजपा के सारे दरवाजे बंद हैं। शाह ने कहा कि नीतीश कुमार के सत्ता मोह में बिहार जंगलराज बन गया है। पहले भाजपा ने नीतीश कुमार के साथ मिलकर लालू यादव के जंगलराज के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, आज नीतीश कुमार के खिलाफ बिहार से जंगलराज को निकालने के लिए लड़ाई लड़ेंगे और लालू-नीतीश की सरकार को बिहार से उखाड़ फेंकेंगे। शाह ने सीधे-सीधे नीतीश कुमार पर हमला जारी रखते हुए आगे कहा कि नीतीश कुमार को हर तीन साल में प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है और प्रधानमंत्री बनने के लोभ में नीतीश कुमार बिहार की जनता के साथ विश्वासघात करते हुए लालू यादव की गोदी में जाकर बैठ गए हैं।
सत्ता की लालसा में नीतीश कुमार विकासवादी से अवसरवादी बन गए हैं और प्रधानमंत्री बनने की उनकी आकांक्षा ने बिहार का बंटाधार कर दिया है। नीतीश कुमार पर लालू यादव के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगाते हुए शाह ने कहा कि नीतीश कुमार ने लालू यादव के बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का समझौता किया है लेकिन वे तारीख नहीं बता रहे हैं क्योंकि उन्हें लालू यादव को भी धोखा देना है।
बिहार का मध्यवर्ग आएगा भाजपा के साथ
दरअसल, बिहार को लेकर भाजपा ने अपनी रणनीति बिल्कुल साफ कर दी है। एक तरफ जहां भाजपा नीतीश कुमार के समर्थक मिडिल क्लास को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश-लालू गठबंधन से नाराज नेताओं और मतदाताओं को भी साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा इस बार बिहार में छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर एनडीए के जनाधार को बढ़ाने का प्रयास कर रही है ताकि नीतीश लालू गठबंधन को लोक सभा चुनाव में हराया जा सके। लालू यादव से ज्यादा नीतीश कुमार पर हमला करने की भाजपा की रणनीति से यह भी बिल्कुल साफ-साफ नजर आ रहा है कि भाजपा इस बार नीतीश कुमार को सबक सिखाना चाहती है।
-आईएएनएस के इनपुट के साथ