महाकुंभ में अरबपति महिला का तप चर्चा में; साध्वी बनकर साधना, विदेशी नाम लॉरेन से बदलकर 'कमला' रखा, स्वामी कैलाशानंद ने दिया गोत्र
Billionaire Laurene Powell Jobs MahaKumbh 2025 Apple Steve Jobs Wife
Laurene Powell Jobs MahaKumbh: सदियों से आस्था और महान संस्कृति के संगम महाकुंभ 2025 में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग पहुंचने वाले हैं और वहां के अलौकिक माहौल में खुद की जिंदगी को पावन करने वाले हैं। जहां इसी कड़ी में अमेरिकन एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) की पत्नी और दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में शुमार अरबपति कारोबारी लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Laurene Powell Jobs) भी प्रयागराज में महाकुंभ आ रही हैं।
इस महाकुंभ में आने वाली वह वीवीआईपी विदेशी अरबपति हैं। इसके अलावा, वह महाकुंभ में 19 जनवरी से शुरू हो रही कथा की पहली यजमान भी होंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 61 साल की अरबपति कारोबारी लॉरेन महाकुंभ में कठिन कल्पवास भी करेंगी और साधुओं की संगत में संन्यासियों सा सादगीपूर्ण जीवन गुजारेंगी और सनातन धर्म को करीब से समझने का प्रयास करेंगी।
कहा जा रहा है कि, लॉरेन पॉवल भी पति की ही राह चल पड़ी हैं। वह अपने दिवंगत पति स्टीव जॉब्स की तरह ही हिंदू और बौद्ध धर्म से खास जुड़ाव रखती हैं और अक्सर ऐसे धार्मिक समागमों में उनकी मौजूदगी देखी जाती रही है। लॉरेन पॉवेल के महाकुंभ में आने को लेकर निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने जानकारी दी।
शिव तत्व को जानेंगी लॉरेन पॉवेल
एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल प्रयागराज महाकुंभ में निरंजनी सन्यासी अखाड़े के साथ एक अलग शिविर में अकले रुकेंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार लॉरेन यहां महाकुंभ के पहले दिन ही 13 जनवरी को आ जाएंगी और करीब दो सप्ताह तक रुकेंगी। इस दौरान लॉरेन पॉवेल जॉब्स भारत में अपने गुरु महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज का सानिध्य लेंगी और उनसे आध्यात्मिक ज्ञान की चेतना प्राप्त करेंगी। लॉरेन अपने गुरु से अपने कई मानसिक सवालों के जवाब जानेंगी और साथ में उनसे शिव तत्व का बोध करेंगी।
दूसरी बार भारत आ रहीं लॉरेन पॉवेल जॉब्स
लॉरेन महाकुंभ में कल्पवास करेंगी। ये तो बड़ी बात है ही साथ ही इससे भी बड़ी बात ये है कि, वह महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल नहीं बल्कि कमला नाम के साथ कदम रखेंगी। इस बारे में मीडिया बातचीत करते हुए कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि, महाकुंभ में सभी का स्वागत है। एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरिन पॉवेल प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शामिल होने आ रही हैं।
विदेशी नाम लॉरेन से बदलकर 'कमला' रखा
कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि, "वह यहां अपने गुरु से मिलने आ रही हैं। वह हमारी शिष्या हैं तो हमारी बेटी जैसी भी हैं। इसलिए हमने उनको अपना गोत्र भी दिया है और उनका नाम 'कमला' रखा है। यानि लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में कमला बनकर रहेंगी।
सवालों के जवाब जानेंगी लॉरेन
कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि, लॉरेन पॉवेल जॉब्स का मेरे प्रति बहुत स्नेह है। यह दूसरी बार है जब लॉरेन भारत आ रही हैं। मेरा मानना है कि यह उनका निजी कार्यक्रम है। इस निजी कार्यक्रम में पूजन, ध्यान, तप साधना करेंगी. यहां वह अपने गुरु का दर्शन करेंगी और महाकुंभ में आए हुए तमाम महापुरुषों का सानिध्य प्राप्त करेंगी। लॉरेन पॉवेल जॉब्स अपने सवालों के जवाब भी गुरु जी से लेंगी। शिव तत्व का ज्ञान प्राप्त करेंगी और अपनी आध्यात्मिक ज्ञान की चेतना जाग्रत करेंगी।
कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि, अगर उनकी इच्छा होगी तो वह और दिन रहेंगी। मुझे लगता है कि यह उनकी इच्छा होगी। जब कैलाशानंद गिरी पूछा गया कि क्या पॉवेल को अखाड़े की पेशवाई में शामिल किया जाएगा, तो उन्होंने कहा, "हम उन्हें पेशवाई में शामिल करने का प्रयास करेंगे। हम यह निर्णय उन्हीं पर छोड़ेंगे। मगर वह इस कुंभ का दौरा करेंगी और यहां के संतों से मिलेंगी. उन्हें भी अच्छा लगेगा। हमें भी अच्छा लगेगा कि जो लोग हमारी परंपराओं के बारे में ज्यादा नहीं जानते, दुनिया के वो लोग हमारी परंपरा से जुड़ना चाहते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Apple के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी और एमर्सन कलेक्टिव की संस्थापक और अध्यक्ष लॉरेन पॉवल और उनके परिवार को जुलाई 2020 तक फोर्ब्स की दुनिया के अरबपतियों की सालाना सूची में 59वें स्थान पर रखा गया था। इसके अलावा टाइम्स मैगज़ीन ने कई बार उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया है।
क्या होता है कल्पवास? इसका कितना महत्व
कहा जा रहा है कि, स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन भी कुंभ में कल्पवास करेंगी। आखिर क्या है कल्पवास और इसका कितना महत्व है? बताया जाता है कि, कल्पवास का अर्थ है आध्यात्मिक और आत्मिक तपस्या। सदियों से भारत की धरा पर 'कल्पवास' का अद्भुत महत्व रहा है। 'कल्पवास' शब्द संस्कृत से उत्पन्न हुआ है, जहाँ 'कल्प' का अर्थ है ब्रह्मांडीय युग और 'वास' का अर्थ है- प्रवास या वास।
कल्पवास एक ऐसा पवित्र प्रवास है, जिसमें एक गहन आध्यात्मिक अनुशासन की अवधि के साथ आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की चेतना प्राप्त की जाती है और भगवान से संबंध बढ़ाया जाता है। कल्पवास में आत्म-शुद्धि के लिए एक अद्वितीय अवसर है। माघ माह में यह कल्पवास एक महीने का होता है और यह प्रयाग आदि तीर्थों पर पवित्र नदियों के तट पर किया जाता है। विशेष रूप से महाकुंभ के अवसर पर गंगा और यमुना के संगम तट पर एक माह तक का कल्पवास और ज्यादा फलदायी है।
कल्पवास में दिनचर्या को लेकर कई कठिन नियम और यम-नियम हैं। जिनसे रोज गुजरना पड़ता है। इन्हें आप टाल नहीं सकते। बताया जाता है कि, कल्पवास की दिनचर्या में तीन बार स्नान, एक बार भोजन, भूमि पर सोना होता है। यानि कल्पवास के दौरान में सूर्योदय से पूर्व स्नान, मात्र एक बार भोजन, पुनः मध्यान्ह तथा सायंकाल तीन बार स्नान का विधान है परन्तु अधिकांश लोग केवल सुबह, शाम स्नान करते हैं।
वहीं कल्पवास में विशेष पूजा, तप और ध्यान के नियम हैं। कल्पवासी कुंभ मेले के दौरान ऋषियों और संतों के शिविरों में जाकर प्रवचन सुनते हैं। साथ ही भजन और कीर्तन में भाग लेते हैं।