विधेयक किसी के धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता:मनोहर लाल
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विधेयक किसी के धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता:मनोहर लाल

विधेयक किसी के धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता:मनोहर लाल

विधेयक किसी के धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता:मनोहर लाल

जिला मैजिस्ट्रेट को देनी होगी धर्म परिवर्तन आयोजन समारोह की जानकारी

इच्छापूर्वक धर्म परिवर्तन के लिए किया जा सकता है आवेदन 

नियमों का उलंघन करने पर दस साल तक की सजा का प्रावधान

चंडीगढ़, 4 मार्च। हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को पुन: स्थापित किए गये हरियाणा विधिविरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 को लेकर हुए विवाद के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट किया है कि यह विधेयक किसी व्यक्ति को इच्छापूर्वक धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता, बशर्ते कि इसके लिए उसे जिला मैजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा।
विधानसभा में हुए भारी हंगामे के बाद मुख्यमंत्री खुद फ्रंट पर आए और मीडिया के माध्यम से सरकार का पक्ष रखा। 
उन्होंने कहा कि धर्म-परिवर्तन का आयोजन करने का आशय रखने वाला कोई भी धार्मिक पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति जिला मजिस्ट्रेट को आयोजन स्थल की जानकारी देते हुए पूर्व में नोटिस देगा। इस नोटिस की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है। 
जिला मजिस्ट्रेट जांच करके यह तय करेगा कि धर्म-परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघना है या नहीं है। यदि वह इसमें कोई उल्लंघना पाता है तो आदेश पारित करते हुए धर्म-परिवर्तन को अस्वीकार कर देगा। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है।
यदि किसी प्रलोभन, बल प्रयोग, षडयंत्र अथवा प्रपीडऩ से धर्म-परिवर्तन करवाया जाता है, तो एक वर्ष से पांच वर्ष तक के कारावास और कम से कम एक लाख रुपये जुर्माने के दण्ड का प्रावधान है। यदि विवाह के आशय से धर्म छिपाया जाएगा, तो तीन से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 3 लाख रुपये के जुर्माने का दंड दिया जाएगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में इस विधेयक की धारा-3 के उपबंधों की उल्लंघना करने पर 5 से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 4 लाख रुपये के जुर्माने का दंड दिया जाएगा। यदि कोई संस्था अथवा संगठन इस अधिनियम के उपबंधों की उल्लंघना करता है, तो उसे भी इस अधिनियम की धारा-12 के अधीन दंडित किया जाएगा और उस संस्था अथवा संगठन का पंजीकरण भी रद्द कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिल की धारा तीन में स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति मिथ्या निरूपण द्वारा बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या डिजिटल ढंग के उपयोग सहित किन्ही कपटपूर्ण साधनों द्वारा या विवाह द्वारा या विवाह के लिए, या तो प्रत्यक्षत: या अन्यथा से किसी अन्य व्यक्ति का एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन नही करवायेगा या परिवर्तन करवाने का प्रयास नहीं करेगा।

क्यों लेकर आ रही है सरकार यह कानून
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कई मामले संज्ञान में आये हैं कि प्रदेश में लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्म-परिवर्तन करवाया गया । इनमें से कुछ का तो जबरन धर्म-परिवर्तन किया गया । इसके अलावा, ऐसे भी मामले आये हैं कि अपने धर्म की गलत व्याख्या करके दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद ऐसी लड़कियों को धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया।
इस तरह की घटनाएं न केवल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती हैं, बल्कि समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी ठेस पहुंचाती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए हमने ‘हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म-परिवर्तन निवारक विधेयक-2022’ बनाया है।