चंडीगढ़ निवासियों के लिए संपत्ति कर को लेकर बड़ी राहत

Big Relief for Chandigarh Residents
रेजीडेंशियल प्रापर्टी पर प्रापर्टी टैक्स 9 प्रतिशत से हुआ 6 प्रतिशत
प्रशासक ने आम लोगों और जनप्रतिनिधियों के साथ चर्चा के लिया फैसला
प्रशासन की कर निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए बनाई गई संपत्ति कर की दरों में की कटौती
चंडीगढ़, 23 अप्रैल (साजन शर्मा): Big Relief for Chandigarh Residents: चंडीगढ़ के लोगों को एक बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक निर्णय में चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने प्रापर्टी टैक्स की दरें घटा दी हैं। प्रशासन ने कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, इंस्टीच्यूशनल व रेजीडेंशियल लैंड व बिल्डिंगों पर प्रापर्टी टैक्स की निर्धारित की गई दरों में कटौती का फैसला किया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने कर निर्धारण वर्ष 2025-26 के लिए कमर्शियल, इंडस्ट्रियल व इंस्टीच्यूशनल अदारों पर संपत्ति कर 6 फीसदी लगाया था जिसे रिवाइज करने के बाद 5 फीसदी कर दिया गया है। इसी तरह रेजीडेंशियल बिल्डिंगों पर पहले से निर्धारित तीन गुणा की बजाये दो गुणा करने का फैसला लिया गया है। सेक्रेट्री लोकल गवर्नमेंट मनदीप सिंह बराड़ की ओर से इस आशय की अधिसूचना बुधवार देर शाम जारी की गई।
बता दें कि प्रापर्टी टैक्स में बढ़ोतरी को लेकर भाजपा नीत नगर निगम के फैसलों पर सवाल उठ रहे थे। कांग्रेस समेत आम आदमी पार्टी ने भी इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। भाजपा के पार्षदों ने भी अपने इस्तीफे देने की घोषणा कर दी थी। खुद मेयर हरप्रीत कौर बबला ने कहा था कि प्रापर्टी टैक्स बढ़ाने के एजेंडे को नगर निगम हाऊस ने स्वीकार नहीं किया था। इसके बाद से वह भी प्रशासन के फैसले पर सवाल उठा रही थी। बीते एक रोज पहले भाजपा से जुड़े 10 मेयरों ने प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात कर उन्हें अनुरोध किया था कि प्रापर्टी टैक्स के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। इन्होंने नगर निगम की आय के स्रोतों को बढ़ाने के लिये भी कुछ महकमे सौंपने का अनुरोध प्रशासक से किया था। उल्लेखनीय है कि सम्पत्ति कर को बढ़ाने के मामले को लेकर शहरवासियों और जनप्रतिनिधियों से चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने स्वयं चर्चा की। इसके अलावा, प्रशासक ने चंडीगढ़ के मेयर और पूर्व मेयरों के साथ भी इस विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार-विमर्श किया था। इसके उपरांत चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा संपत्ति कर कम करने संबंधी व्यापक जनहित में कदम उठाया गया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि यह कदम शहर भर के निवासियों और व्यवसायियों पर वित्तीय बोझ को काफी हद तक कम करने वाला है। प्रशासन की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि नागरिक कल्याण के लिए सदैव समर्पित है और भविष्य में और अधिक जन-केंद्रित उपायों की खोज जारी रखेगा।
प्रशासन की रणनीति, पहले बढ़ाओ, फिर थोड़ा घटाओ
सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के आरके गर्ग के मुताबिक प्रशासन की यह रणनीति रहती है कि पहले टैक्स में खूब बढ़ोतरी करो लेकिन जनता जब विरोध करे तो उसमें से थोड़ा सा घटा दो। पहले सीवरेज सैस में भी 30 प्रतिशत से 20 प्रतिशत किया और अगले साल 25 फीसदी कर दिया। प्रशासन अपनी मर्जी कर रहा है और जनता और जीते हुए प्रतिनिधियों की बात नहीं मानता। यह बिलकुल गलत है। लोग प्रशासन की मनमानी को भुगत रहे हैं।