नेबरहुड पार्कों की मेंटेनेंस में बड़ा हेराफेर!- रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के हाथ में पार्कों की मेंटेनेंस देने से हुई पार्कों की दुर्दशा
- By Vinod --
- Friday, 01 Dec, 2023
Big manipulation in the maintenance of neighborhood parks!
Big manipulation in the maintenance of neighborhood parks!- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनें नेबरहुड पार्कों की मेंटेनेंस में जबरदस्त हेराफेरी कर रही हैं। शहर की 86 रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को अब तक 4 रुपये 15 पैसे प्रति स्कवायर मीटर के हिसाब से 809 पार्कों के लिए मोटा पैसा नगर निगम की ओर से दिया जा चुका है लेकिन पार्कों की पहले से भी ज्यादा दुर्दशा हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार अब तक निगम रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को इन पार्कों की मेंटेनेंस की ऐवज में 4.5 करोड़ की भारी भरकम राशि जारी कर चुका है। निगम के सामने फिर भी नतीजा सिफर है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि निगम के पार्षद कह रहे हैं। पार्षदों ने इस मुद्दे पर खूब शोर मचाया और मामले में जांच की मांग की है।
इलाके के पार्षदों ने भी इसमें बड़े हेरफेर की आशंका जताई है। कई रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को नगर निगम की ओर से पार्क मेंटेन करने के लिये मोटा पैसा दिया जा रहा है लेकिन इन पर आरोप लग रहे हैं कि इन पार्कों को मेंटेन ही नहीं किया जा रहा। पार्कों को मेंटेन न करने को लेकर निगम के पास भी सैकड़ों शिकायतें पहुंची हैं। एमसी ऑफिस ने इन पार्कों की मेंटेनेंस को लेकर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ कांट्रेक्ट किया है लेकिन इस पर ये एसोसिएशनें खरी नहीं उतर पा रही हैं।
पार्कों की मेंटेनेंस न होने और इसमें जबरदस्त हेरफेर की आशंका को लेकर खूब हो हल्ला हो रहा है। कमिश्नर अनंदिता मित्रा ने इसका कड़ा नोटिस लिया। नगर निगम ऐसी कई रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को पार्क मेंटेन न करने के लिये नोटिस भी जारी कर चुका है। 4.5 करोड़ की जो राशि रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को दी गई है, यह बाकायदा आरडब्ल्यू एसोसिएशनों के अकाउंट्स का ऑडिट कर दी गई है।
पार्कों की मेंटेनेंस के लिये जो स्टाफ नियुक्त किया गया है, वह न तो पार्कों की ही सही मेंटेनेंस कर पा रहा है और न ही फंड्स का सही इस्तेमाल कर पा रहा है। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के लिये पार्कों की मेंटेनेंस एक कमर्शियल एक्टीविटी बन गई है। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके गर्ग ने मांग की है कि नेबरहुड पार्कों की मेंटेनेंस को लेकर जो पैसा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को दिया गया है, उसका यूटी के लोकल ऑडिट विभाग से ऑडिट कराया जाए। इतना ही नहीं कंप्ट्रोरल ऑडिटर जनरल (सीएजी) से भी इसका पिछले पांच साल का ऑडिट कराया जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
एमसी हाउस में इसकी धांधली की आशंका को लेकर हुए बवाल को आधार बनाकर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के साथ साथ नगर निगम के अकाउंट का भी समय समय पर ऑडिट किया जाए। कैग को लगातार ऑडिट करना चाहिए।
हर माह ली जा रही दो लाख रुपये से ज्यादा की राशि
सेक्टर 22 में कुल 70 पार्क हैं। इनमें से 44 पार्कों को अमरुत रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन मेंटेन कर रही है। इसे भाजपा नेता प्रिंस भांदुला चला रहे हैं। चंडीगढ़ नगर निगम हर माह इन पार्कों की मेंटेनेंस की ऐवज में एसोसिएशन को पैसा देता है। प्रिंस भांदुला भाजपा मेडिकल सेल के प्रधान हैं। उन्होंने दिसंबर 2021 में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के सचिन गालव के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन हार गये थे। मिली जानकारी के अनुसार प्रिंस भांदुला को प्रतिमाह इन पार्कों की मेंटेनेंस की ऐवज में 2 लाख रुपये और करीब 26 लाख रुपये सालाना दिये गए। इतना ही नहीं पार्क सही तरीके से मेंटेन न करने की ऐवज में निगम की ओर से कई नोटिस भी भांदुला की एसोसिएशन को दिये गए। नगर निगम के इंजीनियरिंग विंग के अधिकारी के अनुसार अमरुत रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को तीन बार नोटिस दिया जा चुका है। इसमें कहा गया है कि एमओयू के अनुसार पार्कों की मेंटेनेंस नहीं की जा रही। एमसी कमिश्नर ने इंजीनियरिंग विंग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर पार्कों की मेंटेनेंस सही नहीं हो रही तो एमओयू को कैंसिल क्यों नहीं कर दिया जाए। नगर निगम के चीफ इंजीनियर एनपी शर्मा का भी कहना है कि अमरुत वेलफेयर एसोसिएशन के पास सबसे अधिक पार्कों की मेंटेनेंस है। एमओयू के अनुसार काम न करने के लिये इस एसोसिएशन को नोटिस जारी किया गया है। कई बार एसोसिएशन ने पार्कों की मेंटेनेंस के लिये ज्यादा बिल मांगा तो उसमें से अधिक राशि काटी गई। निगम का हॉर्टीकल्चर विभाग लगातार जाकर चैक करता है कि पार्कों में पेड़ों की कटाई की गई है या नहीं, घास काटा गया है या नहीं या अन्य नाम्र्स फालो किये गए हैं या नहीं, उसके बाद ही पेमेंट रिलीज की जाती है। एसोसिएशन को इस वर्ष जुलाई में 2,08,619, अगस्त में 2,29,514, सितंबर में 1,79,438 रुपये की पेमेंट की गई। अमूमन एसोसिएशन हर माह करीब 2,84,665 रुपये का बढ़ा बिल बना कर भेजती रही है। भांदुला का इस मामले में कहना है कि पार्कों को मेंटेन करने में समय लगता है। माली व सुपरवाइजर एक पार्क के बाद दूसरे में जाते हैं। उनका कहना है कि उनके इलाके से आप पार्षद जानबूझ कर हेराफेरी व पार्कों की मेंटेनेंस न किये जाने के आरोप लगा रहे हैं क्योंकि वह खुद यह मेंटेनेंस लेना चाहते हैं।