चंडीगढ़ नगर निगम के टैंडर अलॉटमेंट की प्रक्रिया में बड़ा गोलमाल: रोड बनाने के कई टैंडर, तीनों के रेट अलग
- By Vinod --
- Monday, 29 Jul, 2024
Big confusion in the process of tender allotment of Chandigarh Municipal Corporation
Big confusion in the process of tender allotment of Chandigarh Municipal Corporation- चंडीगढ़I चंडीगढ़ नगर निगम में टैंडरों का ऐसा खेल चल रहा है जिसे समझना आम इंसान के तो बूते की बात नहीं। इन टैंडरों में ऐसे झोल हैं कि बड़ों-बड़ों के दिमाग चकरा जायें। शहर में सडक़ें बनाने के लिये एक ही स्पेसिफिकेशन, एक ही गाइडलाइंस लेकिन अलग अलग सब डिवीजनों में टैंडर लग रहे जिनके प्रति स्कवायर मीटर रेट अलग-अलग हैं।
है न हैरान करने वाली बात लेकिन यह सौलह आने सच है। नगर निगम की सब डिवीजनों की ओर से सडक़ें बनाने के कुछ टैंडर जारी हुए हैं जिसमें यह विभिन्नता देखी जा रही है। कोई इसे अधिकारियों का गोलमाल बता रहा है तो कोई इसमें घपले की आशंका जता रहा है। शहर से जुड़ी कई संस्थाएं इसके ऑडिट की बात कर रही हैं तो दूसरी तरफ विजिलेंस इंक्वायरी भी मांग रही हैं।
नगर निगम की की रोड डिवीजन नंबर तीन की विभिन्न सब डिवीजनों ने सडक़ बनाने के टैंडर निकाले। एक टैंडर 9 करोड़, 17 लाख, 54 हजार 526 रुपये का है। इस टैंडर के जरिये 1,34,332 स्कवायर मीटर रोड बनाई जानी है। अगर प्रति स्कवायर मीटर रोड का खर्चा कैलकुलेट करें तो यह 683.043 रुपये आ रहा है। इसी प्रकार दूसरा टैंडर जो दूसरी सब डिवीजन ने 5 करोड़, 91 लाख, 44 हजार, 967 का निकाला है को अगर सडक़ बनाने के पूरे एरिया यानि 1,03988 से भाग करें तो प्रति स्कवायर मीटर एरिया सडक़ बनाने का खर्चा 568.7672 आ रहा है।
वहीं 6 करोड़ 92 लाख, 43 हजार 961 रुपये का टैंडर को कुल बनाए जाने वाले एरिया 99,743 से भाग करें तो प्रति स्कवायर मीटर रोड बनाने का खर्चा 694.2238 रुपये आ रहा है। यानि नगर निगम की विभिन्न सब डिवीजनों के इन टैंडरों को देखें तो तीनों रेट अलग अलग हैं। करीब 5 करोड़ 92 लाख के टैंडर का रेट सबसे कम है जबकि 6 करोड़ 92 लाख वाले टैंडर का रेट सबसे ज्यादा। यानि एक ही स्पेसीफिकेशन की सडक़ें। उन्हें बनाने की एक ही गाइडलाइंस लेकिन रेट फिर भी अलग अलग।
प्रथम दृस्टया: देखने पर इन टैंडरों में स्पष्ट तौर पर गोलमाल नजर आ रहा है। यहां बता दें कि इन टैंडरों में कुछ जगहों पर 40 एमएम तो कुछ जगह 30 एमएम का बिटुमन बिछाया जाना है। ये भी समझ से परे है कि अलग अलग मोटाई का बिटुमन क्यों बिछाया जा रहा है। सैकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष व आरटीआई एक्टीविस्ट आरके गर्ग ने इस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मांग की है कि इन टैंडरों का लोकल ऑडिट डिपार्टमेंट से ऑडिट कराया जाए और साथ ही विजिलेंस से इंक्वायरी कराई जाए ताकि चंडीगढ़ की जनता के सामने सच सामने आ सके। आइटम वाइस यह फर्क क्यों आ रहा है। तीनों टैंडरों का अलग-अलग रेट क्यों है?
स्पेसिफिकेशंस और गाइडलाइंस तय, फिर भी रेट अलग अलग
जानकारी के अनुसार टीटीआई सेक्टर 26 ने नगर निगम के साथ रोड कैसे बनानी है, इसको लेकर समझौता भी किया हुआ है। बावजूद इसके रेटों में फर्क भी आ रहा है। इसी तरह इंडियन रोड कांग्रेस की भी रोड बनाये जाने को लेकर अलग स्टैंडर्ड स्पेसीफिकेशन हैं। बावजूद इसके इन स्पेसीफिकेशंस और गाइडलाइंस को नगर निगम की अलग अलग सब डिवीजन नहीं मान रही। मनमाफिक तरीके से अलग अलग रेट पर टैंडर इश्यू किये जा रहे हैं। आरके गर्ग के मुताबिक केवल इन तीन टैंडरों का ही नहीं बल्कि रोड बनाने के जो पहले टैंडर भी इश्यू हुए हैं, उनकी भी विस्तार से जांच विजिलेंस व लोकल ऑडिट को करनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने आशंका जताई कि इस टैंडर प्रक्रिया में जबरदस्त घपला है जिसकी पारदर्शिता नगर निगम अफसरों को सामने लानी चाहिए। उधर नगर निगम के चीफ इंजीनियर एनपी शर्मा से इस फॉल्टी टैंडर प्रक्रिया को लेकर बातचीत की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं की हालांकि उन्होंने मैसेज के जरिये ये जरूर पूछा कि किन टैंडरों की बात कर रहे हो।