यूपी विधान परिषद में सपा को बड़ा झटका, 10 प्रतिशत से कम सदस्य होने से छिना नेता प्रतिपक्ष का पद
यूपी विधान परिषद में सपा को बड़ा झटका, 10 प्रतिशत से कम सदस्य होने से छिना नेता प्रतिपक्ष का पद
लखनऊ : विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से नेता प्रतिपक्ष का पद छिन सकता है। परिषद में गुरुवार से सिर्फ नौ सदस्य रह जाएंगे। सभापति मानवेंद्र सिंह गुरुवार को इस बारे में निर्णय लेंगे। वहीं, सदन में कांग्रेस की उपस्थिति शून्य हो जाएगी और बसपा के इकलौते सदस्य भीमराव अम्बेडकर रह जाएंगे। विधान परिषद में सपा के नौ सदस्यों में पांच पुराने हैं और चार नए जीतकर आए हैं। ये सदस्य हैं नरेश उत्तम पटेल, राजेंद्र चौधरी, आशुतोष सिन्हा, डॉ. मानसिंह यादव, लाल बिहारी यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, शाहनवाज खान, मो़ जास्मीर अंसारी और मुकुल यादव। वहीं कांग्रेस के इकलौते विधान परिषद दीपक सिंह का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो गया। इसी तरह बसपा के भी तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। अब भीमराव अम्बेडकर अकेले बचे हैं।
नियम के अनुसार, सदन में नेता प्रतिपक्ष पद हासिल करने के लिए कुल सदस्य संख्या का 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्व होना जरूरी है। 100 सदस्य संख्या वाले परिषद में सपा के पास तय सीमा से एक सदस्य कम है। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी की सहमति से ही नेता प्रतिपक्ष का पद सपा को मिल सकता है। अंतिम निर्णय सभापति को लेना होता है। इस बारे में सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह कहते हैं कि गुरुवार को बैठक करके निर्णय लिया जाएगा।
13 सीटों पर हुए थे चुनाव
हाल ही में यूपी विधान परिषद की 13 सीटों के संपन्न हुए चुनाव में 9 बीजेपी और 4 सपा उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है। यूपी चुनाव 2022 में कौशांबी जिले के सिराथू विधानसभा सीट से हार के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत योगी सरकार के 7 मंत्रियों को एमएलसी बनाया गया है। बीजेपी की ओर से केशव मौर्य के अलावा दानिश आजाद अंसारी, भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र कश्यप, जसंवत सैनी, दयाशंकर दयालु मिश्रा, जेपीएस राठौर, बनवारी लाल दोहरे और मुकेश शर्मा को टिकट दिया था। इसमें सभी सदस्य निर्विरोध चुनाव जीत गए थे। वहीं, समाजवादी पार्टी ने बीजेपी से सपा में गए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, मुकुल यादव, जासमीन अंसारी और शाहनवाज खान एमएलसी बने हैं।