नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई – कांग्रेस नेतृत्व घोटाले की जड़ में: संजीव राणा

नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई – कांग्रेस नेतृत्व घोटाले की जड़ में: संजीव राणा

Big action by ED in National Herald Money Laundering Case

Big action by ED in National Herald Money Laundering Case

Big action by ED in National Herald Money Laundering Case: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaint) दर्ज की है। इस शिकायत में सुमन दुबे सहित अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो इस घोटाले में शामिल माने जा रहे हैं।

भाजपा चंडीगढ़ के मीडिया प्रभारी संजीव राणा ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मामला केवल एक आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि देश की जनता के साथ किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व, जो दशकों तक सत्ता पर काबिज रहा, देश की संपत्तियों और संस्थाओं का दुरुपयोग कर अपनी निजी कंपनी ‘यंग इंडियन’ के ज़रिए करोड़ों की संपत्ति को हड़पने की साजिश में शामिल रहा।

राणा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड घोटाला इस बात का प्रतीक है कि कैसे कांग्रेस ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया और जनभावनाओं को छलने का काम किया। यह केवल राहुल गांधी या सोनिया गांधी का नहीं, बल्कि पूरी कांग्रेस संस्कृति का चेहरा उजागर करता है — जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही की कोई जगह नहीं है।

उन्होंने कहा कि आज जब प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाया है, तो कांग्रेस के नेता बौखलाए हुए हैं और इसे राजनीतिक प्रतिशोध का नाम दे रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि एजेंसियां पूरी तरह से सबूतों और तथ्यों के आधार पर काम कर रही हैं।

संजीव राणा ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और हर उस व्यक्ति को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा जिसने देश की संपत्ति को लूटा है, चाहे वह कितना भी बड़ा चेहरा क्यों न हो।

उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे ऐसे भ्रष्ट नेताओं से सावधान रहें, जिन्होंने वर्षों तक देश की संस्थाओं और संसाधनों का निजी हित में इस्तेमाल किया और अब जब कानून अपना काम कर रहा है, तो उसे रोकने की कोशिशें कर रहे हैं।