beekeeping camp in swarghat

प्रदेश उद्यान विभाग के सौजन्य से विकास खंड स्वारघाट की ग्राम पंचायत स्वाहण के गांव धरा में मधुमक्खी पालन शिविर का आयोजन किया गया

Beekeeping camp in Swarghat

beekeeping camp in swarghat

मधुमक्खी पालन शिविर:पांचदिवसीय इस मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के अन्तर्गत चलाए जा रहे शिविर में बागवानों को व्यवसायिक मौन पालन बारे विस्तृत जानकारी दी गई।

शिविर में गांव धरा के बागवानों को जानकारी देते हुए उद्यान विकास अधिकारी स्वारघाट डॉ रमल अंगारिया ने बताया कि भारत देश में मुख्यतः मधुमक्खियों की 4 प्रजातियां पाई जाती हैं।

इनमें छोटी मधुमक्खी, भैरों या पहाड़ी मधुमक्खी, देशी मधुमक्खी तथा यूरोपियन मधुमक्खी प्रमुख हैं। इन सब में भैरों मधुमक्खी जिसे स्थानीय भाषा में भौंर भी कहा जाता है सबसे गुस्सैल तथा क्रोधी स्वभाव की होती है। 

यह मधुमक्खी भी 40 से 50 किलो तक शहद तैयार करने में समर्थ होती है।एक छत्ते में इनकी संख्या 80 हजार तक रहती है। जबकि यूरोपियन मधुमक्खीयों में सर्वप्रथम वर्ष 1962 में हिमाचल के नगरोटा में लाई गई थी। जोकि 50 किलो तक शहद देने में लाभदायक सिद्ध होती हैं।

एक छत्ते में इन मधुमक्खीयों की संख्या 1लाख तक हो जाती है। बागवानों को प्रशिक्षित करने आई टीम ने बताया कि मधुमक्खी पालन को व्यवसाय के रूप में किस तरह इस्तेमाल किया जाएइ। इसके बारे में बागवानों को पांच दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा।