चुनावी बिगुल बजा: दिल्ली में सियासी महायुद्ध; आम आदमी पार्टी की गारंटी, भाजपा का मास्टरस्ट्रोक और कांग्रेस की नई रणनीति किसकी होगी जीत?!
- By Arun --
- Thursday, 09 Jan, 2025
Battle for Delhi Elections intensifies AAPs guarantees BJPs masterstroke and Congresss new strategy
नई दिल्ली, 9 जनवरी: Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा हो चुकी है। भाजपा, आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। लंबे समय से इन दलों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी, और अब उनके सामने खुद को साबित करने का समय आ गया है। चुनावी रण में मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों दलों के बीच होने की उम्मीद है।
आम आदमी पार्टी की तैयारी और चुनौतियां
आम आदमी पार्टी अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएगी। मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं के लिए निशुल्क बस यात्रा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए संजीवनी योजना जैसी योजनाओं के जरिए पार्टी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने कई गारंटी देने का वादा किया है।
पार्टी का मजबूत पक्ष यह है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। झुग्गी बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनियों, मुस्लिम समुदाय और महिलाओं के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत है। हालांकि, पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों और सीएम हाउस विवाद का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कई नेताओं के पार्टी छोड़ने और विधायकों में नाराजगी से भी चुनौतियां बढ़ गई हैं।
भाजपा की रणनीति और समस्याएं
भाजपा ने बूथ प्रबंधन पर जोर देते हुए हर बूथ पर तीन समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की है। झुग्गी बस्तियों और अनुसूचित जाति के बीच जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है।
हालांकि, पार्टी के सामने अरविंद केजरीवाल जैसा लोकप्रिय चेहरा नहीं है। आप इसे मुद्दा बनाकर भाजपा को घेर रही है। दिल्ली की सत्ता से पिछले 26 साल से दूर रहने और नगर निगम भी गंवाने के कारण कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है। इसके अलावा, प्रत्याशियों की घोषणा में देरी और गुटबाजी बढ़ने का खतरा भी पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस ने भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, दिल्ली में पार्टी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण पार्टी को जनता का भरोसा जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
जनता करेगी फैसला
अब देखना होगा कि इन दलों में से कौन जनता का भरोसा जीत पाता है। चुनावी जंग में मुद्दे, वादे और रणनीतियां किस हद तक प्रभावी साबित होंगी, यह चुनाव परिणाम तय करेंगे।