महाकुंभ में साधुओं के चिलम पीने पर निकला बाबा रामदेव का रिएक्शन, जानें क्या कही बात

महाकुंभ में साधुओं के चिलम पीने पर निकला बाबा रामदेव का रिएक्शन, जानें क्या कही बात

महाकुंभ 2025 की शुरुआत होने वाली है

 

Mahakumbha 2025: अब जैसा कि सभी को पता होगा कि महाकुंभ 2025 की शुरुआत होने वाली है और आजकल प्रयागराज का नजारा बिल्कुल बदला हुआ है। हिंदुओं के लिए सबसे बडा महापर्व महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है और वह दिन दूर नहीं है, जब संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू नागा साधुओं द्वारा चिलम पीने वाले बाबा और जटाएं लहराते हुए डुबकी लगाते संत दिखेंगे। हर साल महाकुंभ में लाखों की संख्या में नागा साधु आते हैं और चिलम सुलगाते दिखते हैं। जहां एक तरफ महाकुंभ को काफी पवित्र माना जाता है वहीं दूसरी तरफ यह सवाल उठता है कि नशीले पदार्थों का सेवन कहां तक सही है? आखिर क्यों पीते है नागा साधु चिलम?

 

चिलम पीना कहा तक सही है ?

 

इस सवाल के जवाब में योग गुरु स्वामी रामदेव ने एक इंटरव्यू में कहा मैंने पिछली बार के भी प्रयागराज कुंभ में चिलम दान अभियान शुरू करवाया था। तब मैंने नागा साधुओं वैरागियों सन्यासियों के पास जाकर कहा था कि आप चिलम हमको दे दीजिए। आप यह जो चिलम उठाते हो, इसे विदेशी लोग इसके फोटो खींचकर पूरी दुनिया में वायरल करते हैं। उन्होंने आगे कहा चल्लम पीना सनातन धर्म नहीं है यह मैं प्रमाणिकता से कह रहा हूं हमारे सभी संन्यासियों को भी इस बात को कहना चाहिए। जितने भी बड़े-बड़े आचार्य हुए हैं उन्होंने कभी भी चिलम नहीं पिया।

 

बाबा रामदेव ने कही ये बात

पिछली बार बाबा रामदेव ने एक अभियान चलाया था, जिसे चिलम दान अभियान कहा गया। महाकुंभ में आने वाले सभी नागा साधुओं से उन्होंने अपनी चिलम को दान करने के लिए कहा था और उन्हें यह भी कहा था कि चिलम पीना हमारे सनातन धर्म के खिलाफ है। बाबा रामदेव ने नशा मुक्ति अभियान लेकर पिछली बार चले थे और साधु संतोष निवेदन कर रहे थे, की चिलम वगैरह ना पिए और धूम्रपान न करें।