बाबा हरदेव सिंह जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया
- By Vinod --
- Wednesday, 15 May, 2024
Baba Hardev Singh ji dedicated his entire life to the service of humanity
Baba Hardev Singh ji dedicated his entire life to the service of humanity- चंडीगढ़I युगद्रष्टा बाबा हरदेव सिंह जी की पावन स्मृति में 'समर्पण दिवस' का आयोजन संत निरंकारी सत्संग भवन, सेक्टर 30 ए, चंडीगढ़ में किया गया। जिसमे श्री नवनीत पाठक जी संयोजक चंडीगढ़ ने अपने वचनो में बाबा हरदेव सिंह जी की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर उन्हें व्यवहारिक रूप में अपनाने को कहा। बाबा हरदेव सिंह जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया।
उन्होने समालखा में हुए मुख्य ‘समर्पण दिवस’ समागम के बारे में बताया कि सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपने पावन आशीष वचनो में कहा कि जब हम हर पल में इस निरंकार प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पित भाव से अपना जीवन जीते चले जाते हैं तब वास्तविक रूप में मानवता के कल्याणार्थ हमारा जीवन समर्पित हो जाता है। ऐसा ही प्रेमा-भक्ति से युक्त जीवन बाबा हरदेव सिंह जी ने हमें स्वयं जीकर दिखाया।
युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह जी की पावन स्मृति में ‘समर्पण दिवस’ समागम का आयोजन 13 मई को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के सान्निध्य में संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में हुआ जिसमें दिल्ली, एन. सी. आर. सहित पड़ोस के राज्यों से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने सम्मिलित होकर उनके परोपकारों को न केवल स्मरण किया अपितु हृदयपूर्वक श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इसके अतिरिक्त यह दिवस विश्वभर में भी आयोजित किया गया जहां सभी भक्तों ने बाबा जी की सिखलाईयों का स्मरण करते हुए उनके विशाल जीवन को नमन किया।
मानवता के मसीहा बाबा हरदेव सिंह जी की सिखलाईयों का जिक्र करते हुए सतगुरु माता जी ने फरमाया कि बाबा जी ने स्वयं प्यार की सजीव मूरत बनकर निस्वार्थ भाव से हमें जीवन जीने की कला सिखाई। माता जी ने आगे कहा कि जब परमात्मा से हमें सच्चा प्रेम हो जाता है तब इस मायावी संसार के लाभ और हानि हम पर प्रभाव नहीं डाल पाते क्योंकि तब ईश्वर का प्रेम और रज़ा ही सर्वोपरि बन जाते हैं।
इसके विपरीत जब हम स्वयं को परमात्मा से न जोड़कर केवल इन भौतिक वस्तुओं से जोड़ लेते हैं तब क्षणभंगुर सुख-सुविधाओ के प्रति ही हमारा ध्यान केन्द्रित रहता है। जिस कारण हम इसके मोह में फंसकर वास्तविक आनंद की अनुभूति से प्रायः वंचित रह जाते है। वास्तविकता तो यही है कि सच्चा आनंद केवल इस प्रभु परमात्मा से जुड़कर उसकी निरंतर स्तुति करने में है जो संतों के जीवन से निरंतर प्रेरणा लेकर प्राप्त किया जा सकता है। यही भक्त के जीवन का मूल सार भी है। परिवार, समाज एवं संसार में स्वयं प्यार बनकर प्रेम रूपी पुलों का निर्माण करें क्योंकि समर्पण एवं प्रेम यह दो अनमोल शब्द ही संपूर्ण प्रेमा भक्ति का आधार है जिसमें सर्वत्र के कल्याण की सुंदर भावना निहित है।
समर्पण दिवस के अवसर पर दिवगंत संत अवनीत जी की निस्वार्थ सेवा का जिक्र करते हुए सतगुरु माता जी ने कहा कि उन्होंने सदैव गुरु का सेवक बनकर अपनी सच्ची भक्ति एवं निष्ठा निभाई न कि किसी रिश्ते से जुड़कर रहे। इस समागम में मिशन के अनेक वक्तागणों ने बाबा जी के प्रेम, करूणा, दया एवं समर्पण जैसे दिव्य गुणों को अपने शुभ भावों द्वारा विचार, गीत, भजन एवम् कविताओं के माध्यम से व्यक्त किये।
निसंदेह प्रेम के पुंज बाबा हरदेव सिंह जी की करूणामयी अनुपम छवि, प्रत्येक श्रद्धालु भक्त के हृदय में अमिट छाप के रूप में अंकित है और उनके इन उपकारो के लिए निरंकारी जगत का प्रत्येक भक्त सदैव ही ऋणी रहेगा।