रात का खाना कितने बजे खाते हैं, इसका भी पड़ता है सेहत पर असर
रात का खाना कितने बजे खाते हैं, इसका भी पड़ता है सेहत पर असर
डिनर को लेकर कई एक्सपर्ट के अलग-अलग विचार हैं। ये रूल्स डाइट कॉन्शस लोगों को भ्रमित करते हैं। रात का खाना बाकी मील्स जितना ही ज़रूरी होता है और किसी भी भोजन को स्किप करना कभी भी सही नहीं होता। यदि हम सभी मील्स ठीक समय पर करते हैं, तो इससे हमारा मेटाबॉलिज़्म सही तरीके से काम करता है। अपने भोजन के समय को शरीर की प्राकृतिक घड़ी के करीब रखना स्वास्थ्य के लिए हमेशा से ही फायदेमंद साबित होता है।
1. समय से कर लें डिनर
रात का खाना सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले खत्म हो जाना ज़रूरी है। जल्दी खा लेने से पाचन प्रक्रिया को पूरा समय मिलता है, जिससे एसिडिटी जैसी समस्या नहीं होती। अगर आप रात का खाना खाने के बाद लाइट वॉक भी कर रहे हैं तो समझें कि आपको आज अच्छी नींद आने वाली है, क्योंकि टहलने से नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। बिज़ी लाइफस्टाइल में दिन भर की थकान के बाद लगता है कि रात का भोजन सही से करेंगे, जिसमें प्रॉपर थाली होगी, लेकिन रात में न के बराबर खाएं। वरना ग्लूकोज़ और वसा के पचने में दिक्कत हो सकती है।
2. पोर्शन साइज़ हो सही
रात के भोजन का पोर्शन ठीक रखने का सही तरीका है खाने को क्वॉर्टर प्लेट में परोसें। प्लेट का 1/4 हिस्से में कार्ब्स हो, दूसरे हिस्से में 1/4 लीन प्रोटीन हो और बची आधी प्लेट सब्जि़यों से भरी हो। रोज़ाना डिनर में इतना पोर्शन खाएंगे, तो सेहतमंद रहेंगे। वहीं दिन भर याद रखें कि आपको 8-10 ग्लास पानी भी पीना है। इन सबसे आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे।
3. अगर हैं डायबिटिक
इंसुलिन कार्य को बनाए रखने और शुगर लेवल में अचानक गिरावट और उछाल को रोकने के लिए हमेशा निर्धारित भोजन समय पर करना ज़रूरी है।
4. अगर गर्भवती हैं तो
सभी के लिए रात का खाना का नियम है कि अपने बॉडी क्लॉक को समझें। गर्भावस्था में पहले से ही प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन के प्रभाव के कारण पाचन धीमा हो जाता है, अगर होने वाली मां रात का खाना समय से खत्म कर लें तो उनको काफी फायदे मिलेंगे। विशेष रूप से लास्ट ट्राइमेस्टर में, क्योंकि यह अम्लता को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।