केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी एकता में जुटे अरविंद केजरीवाल को मिला शरद पवार का भी साथ
Delhi Tranfer Posting Case
- अगर सभी विपक्षी पार्टियां इकट्ठी हो जाएं तो ये बिल राज्यसभा में गिर सकता है और देश में संदेश जाएगा कि 2024 में मोदी जी की सरकार नहीं आ रही है- अरविंद केजरीवाल
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन देश में लोकतंत्र की लगातार हत्या हो रही है- भगवंत मान
यह देश के लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है, अगर देश को इलेक्टेड की जगह सेलेक्टेड लोगों को चलाना है तो प्रधानमंत्री और राज्यों के राज्यपाल ही देश को चला लें - भगवंत मान
- एनसीपी का अरविंद केजरीवाल को पूरा समर्थन है, हम अन्य गैर भाजपा दलों से भी समर्थन देने के लिए बात करेंगे- शरद पवार
चंडीगढ़/नई दिल्ली/मुम्बई, 25 मई 2023: Delhi Tranfer Posting Case: केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी दिल्ली के लोगों का साथ देगी। गुरुवार को मुम्बई में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने समर्थन देने का एलान किया। इस दौरान उन्होंने गैर भाजपा दलों के नेताओं को भी राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए राजी करने का आश्वासन दिया।
शरद पवार ने कहा कि यह सवाल दिल्ली या ‘आप' का नहीं है, बल्कि यह देश में चुनी हुई सरकारों को मिले अधिकारों को बचाने का है। वहीं, ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने समर्थन देने के लिए उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि मोदी सरकार द्वारा दिल्ली के लोगों के खिलाफ लाए गए काले अध्यादेश को हम सबको मिलकर संसद में रोकना है। एनसीपी और पवार साहब राज्यसभा में दिल्ली के लोगों का साथ देंगे। इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह व राघव चड्ढा और शिक्षा मंत्री आतिशी मौजूद रहीं।
एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि दिल्ली के लोगों के साथ बहुत अन्याय हुआ है। 2015 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, तो 23 मई 2015 को केंद्र सरकार ने एक साधारण अधिसूचना जारी कर दिल्ली सरकार की अधिकारियों पर नियंत्रण करने की सारी पावर छीन ली। पिछले 8 साल ( मई 2015 से मई 2023 तक) से दिल्ली के लोग कोर्ट के चक्कर काट रहे थे। आठ साल के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्व सम्मति से दिल्ली के लोगों के हक में आदेश दिया कि दिल्ली के लोग सरकार चुनते हैं। इसलिए सरकार को काम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार काम नहीं कर सकती तो दिल्ली के लोगों को सरकार चुनने का क्या फायदा है? दिल्ली के लोगों ने आठ साल में जो लड़ाई जीती, उसे केंद्र ने 8 दिन के अंदर (19 मई को) अध्यादेश लाकर छीन लिया और दिल्ली की सारी शक्तियां वापस लेकर कहा कि एलजी के पास सारी शक्तियां होंगी।
केजरीवाल ने कहा कि केंद्र का यह अध्यादेश अब राज्यसभा में बिल के रूप में आएगा। राज्यसभा में इस बिल को रोकने के लिए हम देश भर में सभी विपक्षी पार्टियों के पास जा रहे हैं और उनसे निवेदन कर रहे हैं कि दिल्ली के लोगों के साथ न्याय होना चाहिए। दिल्ली के लोगों के लिए समर्थन मांग रहे हैं कि जब यह अध्यादेश बिल के रूप में राज्यसभा में आए तो इसे हराना है। मैं एनसीपी प्रमुख शरद पवार का शुक्रिया यदा करता हूं कि इन्होंने दिल्ली के लोगों को अपना समर्थन देने का हमें आश्वासन दिया है कि राज्यसभा में इस बिल को पास नहीं होने देंगे। राज्यसभा में किसी भी पार्टी का स्पष्ट बहुमत नहीं है। अगर गैर भाजपा सारी पार्टियां इकट्ठी होती हैं तो यह बिल राज्यसभा में गिर सकता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन देश में लोकतंत्र की लगातार हत्या हो रही है- भगवंत मान
यह देश के लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है, अगर देश को इलेक्टेड की जगह सेलेक्टेड लोगों को चलाना है तो प्रधानमंत्री और राज्यों के राज्यपाल ही देश को चला लें - भगवंत मान
इस दौरान मौजूद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि यह लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहते हैं, लेकिन देश के अंदर लगातार लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। राज्यों के राज्यपाल भाजपा के स्टार कैंपेनर बन गए हैं और राजनिवास भाजपा का मुख्यालय बन गए हैं। राज्यपालों से हिसाब मांगा जाता है कि उन्होंने चुने हुए मुख्यमंत्री को कितनी बार तंग किया।
मान ने कहा कि पंजाब में हमें बजट सत्र बुलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा था। राज्यपाल बजट सत्र नहीं होने देना चाहते थे। देश में आज इलेक्टेड नहीं, सेलेक्टेड राज है। देश को 30-31 राज्यपाल ही देश को चला रहे हैं। यह बहुत ही खतरनाक है। हर दिन किसी न किसी राज्य के अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर देश को इलेक्टेड की जगह सेलेक्टेड लोगों को चलाना है तो प्रधानमंत्री और राज्यों के राज्यपाल ही देश को चला लें। चुनाव कराने की क्या जरूरत है!
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कई दल पहले ही समर्थन करने का कर चुके हैं एलान
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गत 23 मई से केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने के लिए उनसे मुलाकात कर रहे हैं। 23 मई को उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात कर उनका समर्थन लिया। इसके बाद 24 मई को मुम्बई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। उद्धव ठाकरे ने भी दिल्ली का समर्थन करने का एलान किया है। इसी कड़ी में आज वे मुम्बई में ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिले। इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने दिल्ली में ‘‘आप’’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात कर राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की जनता का साथ देने की घोषणा की थी।
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