अहंकार आज की सबसे बड़ी समस्या है अहंकारियों की स्थिति अन्धों जैसी होती है: क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव
Siddhachakra Mahamandal Vidhan
Siddhachakra Mahamandal Vidhan: परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी गुरुदेव के शिष्य परम पूज्य जिनवाणी पुत्र क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव ने सिद्धचक्र महामंडल विधान के तृतीय दिवस पर सम्बोधित करते हुए कहा — अहंकार आज की सबसे बड़ी समस्या है अहंकारियों की स्थिति अन्धों जैसी होती है उनके पास आंख तो होती है पर उन्हें दिखाई नहीं देता। पूरी लंका तबाह हो रही थी पर रावण को लंका की तबाही कहां दिखाई दी। कंस की आंखें थी पर वह कृष्ण की शक्ति को कहां देख पाया। दुर्योधन आंख वाला था अंधा नहीं था पूरे परिवार के विनाश को कहा देख पाया था। अहंकार भक्त और भगवान के बीच में दीवार का काम करता है। अहंकार शब्द कान में पढ़ते ही हमारा ध्यान रावण, कंस की ओर चला जाता है यह दोनों ही असीम शक्तिशाली थे। पर इन्हें अपनी शक्ति का बहुत गरुर था परिणाम इन दोनों का ऐसा पतन हुआ कि इनकी कहानी अहंकार के पतन की कहानी बन गई अहंकार और दीमक में कोई खास फर्क नहीं है यह दोनों वस्तुओं और आदमियों को अंदर से खोखला कर देती है इनका अंत बुरा होता है।
संसार मैं इतना कोई अमीर नहीं है जो अपने अतीत को खरीद सके और ना ही कोई इतना गरीब है कि वह मुस्कुराहट का भी दान न कर सके। अमीरी और गरीबी तो मन के समीकरण है एक व्यक्ति है जो रातों को फुटपाथ पर भी चैन की नींद सोता है और एक वह है जिसे आलीशान बंगले में कोमल गद्दों पर भी नींद नहीं आती है। अब तुम ही बताओ दोनों में अमीर कौन है और गरीब कौन है। जिस व्यक्ति को दवाई खाकर नींद लेना पड़े वह व्यक्ति अमीर है या जो बिना दवाई खाएं ही चैन की नींद सोता है वह व्यक्ति अमीर है? अमीर तो वह व्यक्ति है जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में चाहे फुटपाथ पर सोए या घर में सोए या बंगले में सोए उसे जब सोना हो तो नींद की दवाई न लेना पड़े वही वास्तविकता में अमीर है। जिसका स्वास्थ्य अच्छा है उसका जीवन अच्छा है। जिसका जीवन अच्छा है उसका भविष्य अच्छा है। प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी पुष्पेंद्र शास्त्री दिल्ली के निर्देशन में सिद्धचक्र महामंडल विधान के अन्तर्गत बत्तीसी विधान का आयोजन भव्य रुप से किया गया है। जिसमें सिद्ध भगवान के 32 गुणों के माध्यम से पूजा की गई है। समाज के महानुभावों ने भक्ति नृत्य करते हुए सिद्धों का गुणगान किया। जिसमें मांगलिक क्रियायों की स्वर लहरियों के माध्यम से सौधर्म इन्द्र श्री धर्म बहादुर जैन, नवरत्न जैन, सन्त कुमार जैन आदि के द्वारा आज का विधान सानंद सम्पन्न हुआ।
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