लोकसभा में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक स्वीकार; वोटिंग में पक्ष में पड़े इतने वोट, JPC को भेजा जाएगा बिल, कांग्रेस का विरोध
Arjun Ram Meghwal Introduced One Nation-One Election Bill And Sent To JPC
One Nation-One Election Bill: संसद के लिए आज का दिन एतिहासिक रहा। आज लोकसभा में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया। यह संविधान का 129वां संशोधन विधेयक, 2024 है। वहीं संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के साथ केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 भी पेश किया गया।
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सरकार के दोनों विधेयक लोकसभा में रखे। वहीं लोकसभा में दोनों विधेयकों के प्रस्ताव को स्वीकार करने को लेकर सदन में ई-वोटिंग हुई। जिसमें विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े। जबकि विधेयक के विरोध में 198 वोट पड़े। जहां पक्ष में ज्यादा वोट पड़ने से लोकसभा में दोनों विधेयक स्वीकार कर लिए गए।
JPC को भेजे जाएंगे दोनों विधेयक
लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक के पेश होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा जोरदार विरोध किया गया। विपक्ष ने विधेयक को जेपीसी में भेजने की मांग की। जहां केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजे जाने का प्रस्ताव रखा। केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को भी जेपीसी भेजे जाने का प्रस्ताव रखा गया।
अर्जुन राम ने मेघवाल कहा कि, दोनों विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने चाहिए। सरकार की भी यह इच्छा है। मेघवाल ने कहा कि, हम संविधान सम्मत संसोधन विधेयक लेकर आए हैं। अनुच्छेद 327 संसद को ये अधिकार देता है कि वो विधान मंडलों के चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सके। जिसमें ये कहा गया है कि संसद समय-समय पर कानून द्वारा संसद के किसी भी सदन या विधान मंडलों के सदन के किसी भी मामले के संबंध में प्रावधान कर सकती है।
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, संविधान संसोधन से न तो संसद और न तो विधानसभा, दोनों की शक्ति में कोई कमी नहीं आएगी। दोनों के बेसिक स्ट्रक्चर में कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। फिलहाल, विरोध के चलते दोनों विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC- Joint Parliamentary Committee) के पास भेजे जाएंगे। JPC में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक पर विस्तृत चर्चा और सामूहिक राय के बाद विधेयक की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
JPC में विधेयक पर विस्तार से चर्चा होगी और इसमें सभी दलों की राय ली जाएगी। विधेयक पर सामूहिक सहमति बनाने पर काम होगा। वहीं JPC अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी। इसके बाद संसद में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक फिर से पेश होगा। दोनों सदनों से विधेयक पास कराया जाएगा। विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाएगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का कानून बन जाएगा।
कांग्रेस सिर्फ विरोध करना जानती
'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक को लेकर कांग्रेस के विरोध के बीच खड़े हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, विधेयक को लेकर चर्चा हो रही है और चर्चा में कोई भी अपने विचार रख सकता है। मगर कांग्रेस में विचार रखने का मतलब सिर्फ विरोध ही है। जबकि विचार का मतलब है कि पक्ष में भी बोल सकते हैं।
अमित शाह ने कहा कि, विपक्ष कहता है कि विधेयक जेपीसी के पास जाना चाहिए। लेकिन मैं विपक्ष को यह बता दूं कि जब इस विधेयक को कैबिनेट में मंजूरी दी गई थी तो उस वक्त खुद पीएम मोदी ने मनसा व्यक्त की थी कि, यह विधेयक विस्तरत चर्चा के लिए जेपीसी को भेजा जाना चाहिए। ताकि सभी स्तर पर विस्तार से चर्चा हो।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- विरोध करना ठीक नहीं
'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, यह देश के प्रगति के लिए है। पूरे देश में 5 साल में एक बार ही चुनाव होगा। पहले भी ऐसे ही था। बहुत पहले भी चुनाव ऐसे ही होते थे। इसलिए सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।
संघीय ढांचे पर पर चोट
'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, "यह संविधान विरोधी विधेयक है। यह हमारे राष्ट्र के संघवाद के खिलाफ है। हम इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि, ये विधेयक संघीय ढांचे पर चोट करना है। ये वोट देने के अधिकार पर चोट है, ये बिल संविधान की मूल भावना पर हमला है।
वहीं जेपीसी को भेजे गए 'वन नेशन-वन इलेक्शन' विधेयक पर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, "यह अच्छा है कि बिल को जेपीसी को भेजा गया। हम भी यही मांग कर रहे थे। जेपीसी में बिल पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। बिल में कई कमियां हैं। जबकि आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने कहा, "यह संघीय ढांचे पर हमला है। यह राज्य सरकारों की शक्ति को कम करता है।
समाजवादी पार्टी का भी विरोध
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, "मैं संविधान के 129वें संशोधन विधेयक का विरोध करने के लिए खड़ा हूं। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अभी 2 दिन पहले संविधान को बचाने की, संविधान की गौरवशाली परंपराओं की कसमें खाने में कोई कमी नहीं रखी। 2 दिन के भीतर संविधान की मूल भावना और मूल ढांचे को खत्म करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाए हैं। मैं मनीष तिवारी से सहमत हूं।
जेपीसी को भेजे गए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बिल पर डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा, "डीएमके इस बिल का विरोध कर रही है। हमें लगता है कि यह असंवैधानिक है, संघवाद के खिलाफ है और लोगों की इच्छा के खिलाफ है। हम चाहते हैं कि इस बिल को वापस लिया जाए, लेकिन अभी के लिए उन्होंने इसे जेपीसी को भेज दिया है।"
तेजस्वी यादव का हमला
वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, बीजेपी वाले RSS के एजेंडा को लागू करना चाहते हैं इसलिए हम लोग कहते हैं कि ये लोग संविधान विरोधी हैं। अभी ये कह रहे हैं कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन'। आगे कहेंगे 'एक राष्ट्र एक पार्टी, फिर कहेंगे कि 'एक राष्ट्र एक नेता' क्या मतलब हुआ... बाद में पता चलेगा कि विधानसभा चुनाव की जरूरत ही नहीं है।
तेजस्वी यादव ने कहा, ये बीजेपी के लोग वास्तविक मुद्दा पर बात नहीं करते हैं। कहते हैं कि इससे खर्चा बचेगा। तो पीएम मोदी कितना विज्ञापन में खर्चा करते हैं? वह चुनाव से ज्यादा विज्ञापन पर खर्चा करते हैं. वह 11 साल में विज्ञापन पर कितना खर्चा किए ये बता दें? जो बिहार में एक फेज में चुनाव नहीं करा सकता उससे क्या उम्मीद की जाए कि वह 'एक राष्ट्र एक चुनाव' करा पाएगा।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' का उद्देश्य क्या?
दरअसल, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को कानून बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें. जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्चों में कमी आने की बात कही गई है। इसके साथ ही यह कोशिश है कि, वन नेशन-वन इलेक्शन' माध्यम से चुनावों को स्थिर और संगठित तरीके से कराने व देशभर में चुनावी गतिविधियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके।
सरकार का कहना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सितंबर में कैबिनेट ने समिति का प्रस्ताव मंजूर किया था
इससे पहले इसी साल सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर गठित उच्च स्तरीय समिति (रामनाथ कोविंद कमेटी) की सिफारिशों को मंजूर किया था। यानि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है।
एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का चेयरमैन बनाया गया था। समिति ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मसौदा तैयार किया और प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा। यह माना जा रहा था कि, केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session 2024) में इस संबंध में बिल संसद में पेश कर सकती है।