चंडीगढ़ की राजनीति में फिर अलटा-पलटी- बीते दिनों भाजपा में शामिल हुए तीन पार्षदों में से दो दोबारा आप में हुए शामिल, भाजपा ने खोया बहुमत
- By Vinod --
- Saturday, 09 Mar, 2024
Another ups and downs in Chandigarh politics
Another ups and downs in Chandigarh politics- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ की राजनीति में शुक्रवार को एक मर्तबा फिर अलटा-पलटी हो गई। सोमवार को नगर निगम की फाइनेंस एंड कांट्रेक्ट कमेटी (एफएंडसीसी)के चुनाव हैं,उससे ठीक पहले बीते दिनों भाजपा में शामिल हुए तीन पार्षदों में से दो आम आदमी पार्टी में लौट आए। दो महिला पार्षद पूनम और नेहा मुसावत की आम आदमी पार्टी में वापसी हो गई।
बताया जा रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री के ओएसडी राजबीर घुम्मन ने दोनों पार्षदों की वापसी कराई। निगम में इनकी वापसी के बाद एक मर्तबा फिर बहुमत आम आदमी पार्टी का हो गया है। बावजूद इसके सवाल ये भी उठने लगे हैं कि आया राम-गया राम का यह खेल कब तक चलेगा? जानकार बता रहे हैं कि भाजपा को ये खेल भी पूरी तरह सूट कर रहा है। कहा जा रहा है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो पंजाब के राज्यपाल और यूटी के प्रशासक जिन पर पहले ही राजनीतिक मोहरा बनने के आरोप लग रहे हैं, इस हाऊस को भंग कर सकते हैं।
शनिवार शाम को आप के जो तीन पार्षद भाजपा में बीते दिनों शामिल हो गये थे, इनमें से दो वापिस आम आदमी पार्टी में लौट आए। आम आदमी पार्टी ने एफएंडसीसी चुनाव से ठीक पहले तीन पार्षदों में से दो को अपने पाले में कर लिया है। आप में लौटे पार्षद नेहा मुसावत व पूनम कुमारी ने संयुक्त बयान में कहा कि वह गुमराह होकर भाजपा में चले गये थे। आज जब उन्हें एहसास हुआ तो उन्होंने फिर से अपनी आम आदमी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।
आने वाले दिनों में हम चंडीगढ़ नगर निगम के नागरिकों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करेंगे और हर समय चंडीगढ़ निवासियों के कल्याण के लिये काम करेंगे। जिस तरह के हालात चल रहे हैं, उससे लग रहा है कि आने वाले दिनों में भाजपा और कांग्रेस-आप गठबंधन के बीच यह रस्साकशी और चलेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आप पार्टी के मेयर पद पर कुलदीप बैठ तो गये लेकिन उनके लिये हाऊस चलाना आसान नहीं है। कुलदीप की ओर से बुलाई गई पहली मीटिंग को ही प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने अमान्य घोषित कर दिया। आगे भी यह राजनीतिक रस्साकशी बढऩे के आसार हैं।
एक बार फिर कांग्रेस-आप का बहुमत
भाजपा के कुलजीत सिंह संधू ने सीनियर डिप्टी मेयर और राजिंदर शर्मा ने डिप्टी मेयर के पद पर जीत हासिल की थी। नगर निगम के कुल ३५ मेंबर हाऊस में कुलजीत सिंह संधू को १९ वोट मिले थे जबकि कांग्रेस-आप गठबंधन के गुरप्रीत सिंह गाबी को १६ वोट हासिल हुए थे। राजिंदर शर्मा को १९ वोट जबकि गठबंधन की निर्मला देवी को १७ वोट हासिल हुए थे। भाजपा के हाऊस में पहले महज १४ पार्षद थे जो आप के तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने के बाद १७ तक पहुंच गये थे। एक वोट सांसद का जबकि एक वोट शिअद का मिलाकर भाजपा की संख्या १९ पहुंच गई थी। अब दो पार्षदों के भाजपा में दोबारा शामिल होने के बाद भाजपा के निगम में १५ पार्षद ही रह गये। सांसद और शिअद का मिलाकर यह संख्या १७ पर है। कांग्रेस-आप गठबंधन की संख्या १८-१९ पर पहुंच गई है।
ठगा महसूस कर रहे थे तीनों पार्षद
असल में आम आदमी पार्टी से बगावत कर भाजपा में शामिल होने वाले तीनों पार्षद ठगा महसूस कर रहे थे। आरोप लग रहे हैं कि उन्हें भाजपा ने केवल इस्तेमाल किया और सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में इनका वोट हासिल करने के लिये खेल किया। असल में दोनों पदों पर कब्जा करने के बाद इन्हें अलग थलग कर दिया गया। इन्हें किसी पद पर नहीं उतारा गया। अब एफएंडसीसी के चुनाव में भी भाजपा से जुड़े पार्षदों को ही मैदान में उतारा गया। आम आदमी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए तीनों पार्षद खुद को ठगा महसूस कर रहे थे। कहा ये भी जा रहा है कि इन पार्षदों को आप में वापसी करने का बड़ा ईनाम भी दिया जा सकता है।
भाजपा के भीतर की रस्साकशी भी जाहिर
भाजपा के चंडीगढ़ से पूर्व अध्यक्ष अरुण सूद ने ही इन्हें पार्टी में शामिल कराया था और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के सामने इन्हें ले जाकर अपनी सक्रियता का एहसास कराया। असल में अरुण सूद लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ से टिकट की आकांक्षा पाले हैं और अपने आप को दूसरे दो प्रत्याशियों संजय टंडन (भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष) और सत्यपाल जैन (पूर्व सांसद) से खुद को हाईकमान के सामने आगे दिखाने में लगे हैं। लेकिन इसके साथ ही कहीं न कहीं भाजपा की अंदरूनी खेमेबाजी भी सामने आ रही है। चंडीगढ़ के अध्यक्ष से हटाये जाने के बाद से भाजपा ऑफिस के समानांतर कार्यालय शुरू करने के भी उन पर आरोप लगे, हालांकि वह इसे चंडीगढ़ की जनता की सेवा में उठाया गया कदम बताते रहे।
आखिर कब तक चलेगा खेल?
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि चंडीगढ़ की राजनीति में ये दल बदल का खेल कब तक चलता रहेगा? कहा जा रहा है कि भाजपा को ये खेल भी सूट कर रहा है। इसकी आड़ में नगर निगम का हाऊस भी भंग किया जा सकता है। असल में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस-आप गठबंधन भाजपा को परास्त करने के लिये नगर निगम में कई महत्वपूर्ण फैसले ले सकता है। इसमें शहरवासियों को प्रतिमाह २० हजार लीटर पानी मुफ्त देने के अलावा कुछ और लोक लुभावन फैसले हैं। आप की दिल्ली वाली राजनीति चंडीगढ़ में भाजपा को भारी पड़ सकती है लिहाजा वह आप को परास्त करने के लिये कुछ भी कर सकती है। यही वजह है कि भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। चंडीगढ़ में आप को हावी होने का मौका नहीं देना चाहती।