Announcement of names of BJP's Lok Sabha candidates
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Editorial: हरियाणा में भाजपा के लोकसभा उम्मीदवारों के नाम की घोषणा

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Announcement of names of BJP's Lok Sabha candidates

हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा में भाजपा ने बाजी मारी ली है, लेकिन कांग्रेस अभी अपने उम्मीदवारों का नाम तक तय नहीं कर पाई है। हालांकि हरियाणा में भाजपा की ओर से अभी 6 सीटों पर ही नाम घोषित किए गए हैं, बाकी 4 सीटों पर अभी नाम आने बाकी हैं। पार्टी ने 6 सीटों पर जो नाम तय किए हैं, उनके बारे में पहले से ही सुनिश्चित था। हालांकि एक-दो सीट पर नए चेहरों के नाम यह बताते हैं कि पार्टी अपनी प्रयोगधर्मिता को जारी रखे हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल जोकि करनाल हलके से विधायक भी थे, के इस्तीफे के बाद उन्हें अब इसी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

पंजाबी समाज से आने वाले मनोहर लाल सुशासन का पर्याय बन चुके हैं और अपने हलके एवं प्रदेश के समुचित विकास में उनका योगदान अद्वितीय रहा है। ऐसे में उनका बतौर लोकसभा उम्मीदवार चयन यह बताता है कि पार्टी नेतृत्व एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में उनका कितना बड़ा स्थान है। पार्टी ने सिरसा एवं अम्बाला लोकसभा सीट पर नये चेहरों को महत्व दिया है। हालांकि अम्बाला से पूर्व सांसद दिवंगत रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दिया गया है। बंतो कटारिया उच्च शिक्षित महिला हैं, वहीं भाजपा की वर्ष 1980 से सदस्य हैं। निश्चित रूप से उनकी समर्पित कार्यकर्ता के रूप में पहचान है, वहीं अपने पति रतन लाल कटारिया के सरोकारों को संजोए वे चुनावी राजनीति में प्रथम बार उतरी हैं। इसी प्रकार सिरसा सीट पर अशोक तंवर को टिकट दिया है। ये दोनों सीटें एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।  

अशोक तंवर कांग्रेस से तृणमूल कांग्रेस और फिर आम आदमी पार्टी से होते हुए भाजपा में आए हैं। निश्चित रूप से 47 साल की उम्र में ही उन्होंने काफी राजनीतिक अनुभव हासिल कर लिया है। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष उन्होंने क्या-क्या नहीं झेला है, यह राज्य एवं देश की जनता ने देखा है। वास्तव में आज के समय में दलित समाज को ऐसा नेतृत्व नहीं मिल रहा है, जोकि उनकी आवाज को बुलंद कर सके। यह समय का फेर है कि अब एससी समाज को आगे बढ़ाने की बात होती है, लेकिन राजनीति में उसके नेताओं को पथ अनुसरण ही करना पड़ रहा है। बावजूद इसके एससी समाज की अनदेखी कोई भी राजनीतिक दल नहीं कर सकता। निश्चित रूप से अशोक तंवर के रूप में भाजपा को सिरसा में एक प्रभावी उम्मीदवार हासिल हो गए हैं, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि विपक्ष की ओर से किन्हें मैदान में उतारा जाता है।

भाजपा की पहली सूची में तीन पूर्व सांसदों को पुन: टिकट देकर उन पर पुन: भरोसा जताया गया है। इस बीच राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की ओर से जो 72 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई है, उसमें तीन पूर्व सीएम और 15 महिला उम्मीदवार शामिल हैं। भाजपा ने उन सीटों पर पहले उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, जिन पर उम्मीदवार को लेकर कोई संशय नहीं है। हालांकि अनेक ऐसी सीटें भी हैं, जिन पर अभी मशक्कत जारी है। हरियाणा में रोहतक एवं सोनीपत सीट ऐसी ही हैं। रोहतक सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज्यसभा सदस्य पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को टिकट मिलनी अवश्यंभावी है, ऐसे में भाजपा उन सभी पक्षों पर काम कर रही है, जिससे एक मजबूत उम्मीदवार यहां से उतारा जा सके।  

गौरतलब है कि भाजपा-जजपा गठबंधन के टूटने के बाद जजपा की ओर से कहा गया है कि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें रोहतक सीट देने की पेशकश की थी। इस दावे में क्या छिपा है, यह तो दोनों पक्ष ही जानते हैं, लेकिन यह अपने आप में आश्चर्यजनक लगता है कि जजपा की ओर से ऐसा दावा किया जा रहा है कि उन्हें रोहतक सीट पेश की गई। क्या यह माना जाए कि भाजपा को इसकी उम्मीद नहीं है कि वह रोहतक सीट जीतेगी, इसलिए जजपा जैसी नवोदित पार्टी को यह सीट देकर गठबंधन धर्म की पूर्ति की जा रही थी? बेशक, गठबंधन से अलग हुई जजपा के तेवर भाजपा के प्रति नरम हैं और इसकी काफी वजह हैं। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान भी जजपा के सभी विधायक सदन में नहीं थे। राजनीति में कुछ भी संभव है। कहा जा रहा है कि जाट वोट को बांटने के मकसद से जजपा को भाजपा ने खुद से अलग किया है। संभव है, चुनाव के बाद फिर दोनों साथ आ जाएं। बेशक, हरियाणा की राजनीति इस समय अपने चरम पर है, इस साल के आखिर तक यह गर्मी बनी रहेगी, क्योंकि अक्तूबर में विस चुनाव होंगे। 

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